गुजरात चुनाव: 1 और 5 दिसंबर को मतदान, दो ध्रुवीय राजनीति को त्रिकोणीय बनाने की जुगत में ‘आप’
नयी दिल्ली. गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में, एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा. आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवेश ने इस चुनाव को रोचक बना दिया है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 1995 से वहां अपनी निर्बाध जीत का सिलसिला जारी रखना चाहती है, वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस अपने प्रचार अभियान को धार देने में जुटी हुई है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव की तारीखों को ऐलान करते हुए कहा कि गुजरात की कुल 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण में 89 सीटों पर और दूसरे चरण में 93 सीटों पर मतदान होगा जबकि मतों की गिनती हिमाचल प्रदेश में मतगणना के साथ ही आठ दिसंबर को होगी. इस अवसर पर निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय और आयोग के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे.
कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों ने गुजरात में चुनाव की घोषणा में कथित देरी का आरोप लगाया लेकिन कुमार ने पक्षपात की विपक्ष की आलोचना को भी दरकिनार करते हुए दलील दी कि आयोग को मौसम, विधानसभा के कार्यकाल की अंतिम तिथि और आदर्श आचार संहिता लागू होने के दिन सहित कई चीजों में संतुलन बिठाना होता है.
उन्होंने कहा कि गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को समाप्त हो रहा है और चुनावों की घोषणा 110 दिन पहले की गई है. आयोग ने 14 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी लेकिन उसने गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं की.
उन्होंने कहा, ‘‘यह कई कारकों का संयोजन है और इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है. इन कारकों में आस-पास के राज्यों के चुनाव भी शामिल हैं.’’ कुमार ने संकेत दिया कि चुनावों की घोषणा कुछ दिन पहले की जा सकती थी लेकिन मोरबी में हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए नहीं की जा सकी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें राज्य में हुए हादसे को भी ध्यान में रखना पड़ा. देरी में वह भी एक कारक रहा. बुधवार को तो गुजरात में राजकीय शोक था. इसलिए इसमें बहुत सारे कारक हैं.’’ चुनाव आयोग की निष्पक्षता से जुड़े एक सवाल पर कुमार ने कहा कि बड़ी संख्या में विधानसभा चुनावों ने चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, काम और परिणाम शब्दों से होते हैं. बड़ी संख्या में विधानसभा चुनावों के नतीजों से पता चला है, कई बार आयोग की आलोचना करने वालों को चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं. मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता.’’ कांग्रेस ने चुनाव की घोषणा के बाद कहा था कि निर्वाचन आयोग को इसका जवाब देना चाहिए कि उसने हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभाओं के लिए अलग-अलग तिथियों पर चुनाव की घोषणा क्यों की, जबकि दोनों ही राज्यों में मतगणना एक ही दिन होनी है.
कांग्रेस के गुजरात प्रभारी रघु शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को आधिकारिक खर्च पर कई रैलियां करने का समय मिला और गुजरात में सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया गया. बहरहाल, विधानसभा चुनावों की अधिसूचना पांच नवंबर और 10 नवंबर को क्रमश: पहले और दूसरे चरण के लिए जारी होगी.
पहले चरण के तहत नामांकन की अंतिम तिथि 14 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 17 नवंबर तय की गई है. नामांकन पत्रों की जांच 15 और 18 नवंबर को की जाएगी. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि क्रमश: 17 नवंबर (पहला चरण) और 21 नवंबर (दूसरा चरण) रखी गई है. भाजपा ने गुजरात में पिछले छह विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज की है. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीट जीती थीं जबकि कांग्रेस को 77 सीट मिली थीं. प्रतिशत के लिहाज से देखा जाए तो उस चुनाव में भाजपा को 49.05 प्रतिशत मत मिले थे जबकि कांग्रेस को 42.97 प्रतिशत मत मिले थे.
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए. इस वजह से विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 111 हो गई जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 62 पर पहुंच गई. इस बार के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी अपना दमखम दिखाने जा रही है. पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल अब तक दर्जनों बार वहां का दौरा कर चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पिछले कुछ समय से गुजरात और हिमाचल प्रदेश का दौरा करते रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में उन्होंने गुजरात में सैकड़ों करोड़ रुपयों की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है. गुजरात में 4.9 करोड़ से अधिक मतदाता हैं और इनमें 4.6 लाख मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार मतदान करेंगे. निर्वाचन आयोग राज्य में 51,782 मतदान केंद्र स्थापित करेगा. इनमें 34,276 मतदान केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में हों. शहरी इलाकों में 17,506 मतदान केंद्र होंगे.
नब्बे के दशक के मध्य से भाजपा का गढ़ रहे इस तटीय राज्य का कद नरेंद्र मोदी के आगमन के बाद से राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ा है, पहली बार 2001-14 के बीच इसके मुख्यमंत्री के रूप में और उसके बाद से प्रधानमंत्री के रूप में. भाजपा ने हालांकि राज्य की चुनावी राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के इस्तेमाल किया और अपनी पकड़ मजबूत की है, लेकिन 2017 के चुनावों में मोदी के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद पहली बार करीबी मुकाबला हुआ जब कांग्रेस ने पाटीदार आंदोलन के साथ ही कुशल चुनाव प्रबंधन किया और प्रचार अभियान चलाया. हालांकि इसके बावजूद वह सत्ता से दूर रह गई.
गुजरात का चुनावी परिदृश्य लंबे समय से दो ध्रुवीय रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी यहां के चुनावी मैदान में हाथ आजमा रही है. आप यहां सत्तारूढ़ भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दल कांग्रेस को भी चुनौती दे रही है जो भले ही प्रदेश में अपनी जमीन खो चुकी है लेकिन तब भी उसकी प्रभावी उपस्थिति है.
इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. उसने लगातार छह चुनावी जीत दर्ज करते हुए इस राज्य में पिछले 27 सालों से शासन किया है. आप के लिए भी यह चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे उम्मीद है कि इस राज्य में यदि उसने चुनाव जीत लिया तो उसके राष्ट्रव्यापी अभियान को इससे बहुत बल मिलेगा.
कांग्रेस की कोशिश पिछले 27 सालों से विपक्ष की अपनी भूमिका का समाप्त कर सत्ता में वापसी की है. लेकिन अभी तक पार्टी के शीर्ष नेताओं की राज्य में कोई गौर करने वाली सक्रियता नहीं दिखी है. हालांकि प्रदेश स्तर के नेता जरूर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.
आप ने हालांकि गुजरात में देर से प्रवेश किया लेकिन अपने आक्रामक चुनाव प्रचार और लोकलुभावन चुनाव पूर्व घोषणाओं से सबका ध्यान अपनी ओर आर्किषत किया है.
आप संयोजक अरंिवद केजरीवाल अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की कमान संभाले हुए हैं. वह लगातार रैलियां कर रहे हैं और छोटी-छोटी बैठकें कर रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के नेता राघव चड्ढा भी चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंक रहे हैं.
कांग्रेस फिलहाल शांत दिख रही है और लगभग चुनावी दौड़ से गायब नजर आ रही है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ में मशगूल हैं और वह अभी तक गुजरात के चुनावी परिदृश्य से नदारद रहे हैं. यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वह गुजरात में चुनाव प्रचार करेंगे भी या नहीं. उन्होंने पिछली बार पांच सितंबर को अहमदाबाद में पार्टी की एक रैली को संबोधित किया था.
कांग्रेस ने गुजरात में 1962, 1967 और 1972 में पहले तीन विधानसभा चुनाव जीते थे. 1975 में आपातकाल लागू होने के बाद लड़े गए चुनावों में, उसे मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाले दलों के गठबंधन, जनसंघ और बागी कांग्रेस नेता चिमनभाई पटेल के नेतृव वाली किसान मजदूर पार्टी से हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने इसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव जीते. साल 1990 के चुनाव में जनता दल और भाजपा एक मजबूत ताकत के रूप में उभरे. साल 1995 के बाद हुए सभी चुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की है.