हरित हाइड्रोजन मिशन युवाओं के लिए निवेश के अवसर सृजित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम : प्रधानमंत्री
केंद्रीय मंत्रिमंडल की 19,744 करोड़ रुपये के हरित हाइड्रोजन मिशन को हरी झंडी
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने को सतत विकास और युवाओं के लिए निवेश के अवसर सृजित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया. सरकार ने बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये के व्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी. इस पहल का मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के साथ देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है.
मोदी ने एक ट्वीट में कहा, “राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, जिसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज मंजूरी दी है, सतत विकास और हमारे युवाओं के लिए निवेश के अवसर सृजित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है.” मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इससे हरित हाइड्रोजन से जुड़े क्षेत्रों में आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की 19,744 करोड़ रुपये के हरित हाइड्रोजन मिशन को हरी झंडी
सरकार ने बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये के व्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी. इस पहल का मकसद देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है.’’
मिशन के लिये शुरुआती खर्च 19,744 करोड़ रुपये है. इसमें हरित हाइड्रोजन की तरफ बदलाव को रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) कार्यक्रम के लिये 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिये 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिये 400 करोड़ रुपये तथा मिशन से जुड़े अन्य कार्यों के लिये 388 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं.
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय योजना के क्रियान्वयन को लेकर दिशानिर्देश तैयार करेगा. मिशन के तहत 2030 तक देश में लगभग 1,25,000 मेगावॉट की संबद्ध नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रतिवर्ष कम-से-कम 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश और 2030 तक छह लाख से अधिक नौकरियों के सृजन की उम्मीद है.
साथ ही इससे जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) के आयात में एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी आने का अनुमान है. इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी. आधिकारिक बयान के अनुसार, मिशन से कई लाभ होंगे. इसमें हरित हाइड्रोजन और इससे संबद्ध उत्पादों के लिये निर्यात अवसरों का सृजन, उद्योगों, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी, आयातित जीवाश्म ईंधन में कमी, देश में विनिर्माण क्षमता का विकास, रोजगार के अवसर सृजित होना और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है.
मिशन हरित हाइड्रोजन की मांग तैयार करने के साथ उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा. हरित हाइड्रोजन की तरफ बदलाव कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप के तहत इलेक्ट्रोलाइजर का घरेलू स्तर पर विनिर्माण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन उपाय किये गये हैं. इलेक्ट्रालाइजर का उपयोग हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में किया जाता है.
ठाकुर ने कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय मिशन के कार्यों के क्रियान्वयन और समन्वय के लिये जिम्मेदार होगा.