भाजपा शिवसेना को खत्म करने की साजिश रच रही है: उद्धव ठाकरे
मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार के विश्वास मत हासिल करने की पृष्ठभूमि में शिवसेना प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा उनकी पार्टी को खत्म करने की साजिश रच रही है और उसे राज्य में मध्यावधि चुनाव कराने की चुनौती दी.
शिवसेना भवन में यहां पार्टी के जिला प्रमुखों की एक बैठक को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि विधानसभा को मनमाने तरीके चलाना संविधान का अपमान है. शिवसेना की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, ठाकरे ने पार्टी के जिला अध्यक्षों से कहा कि अगर वे लड़ना चाहते हैं, तो एकजुट रहें.
बयान में ठाकरे के हवाले से कहा गया है, ‘‘ शिवसेना को खत्म करने की यह भाजपा की चाल है. मैं उन्हें राज्य में मध्यावधि चुनाव कराने की चुनौती देता हूं. यह खेल खेलने के बजाय, हम जनता की अदालत में जाएंगे. अगर हम गलत हैं, तो लोग हमें घर भेज देंगे और आप (भाजपा और शिंदे गुट) गलत हैं तो लोग आपको घर भेज देंगे.’’
उन्होंने विशेषज्ञों से भी यह इस मुद्दे पर राय देने को कहा कि राज्य में चल रहा राजनीतिक घटनाक्रम क्या संविधान के मुताबिक है या संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है? पिछले महीने शिंदे ने शिवसेना के खिलाफ बगावत कर दी थी. पार्टी के अधिकतर विधायक उनके पाले में चले गए थे, जिस वजह से ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी. ठाकरे के इस्तीफे के एक दिन बाद शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
शिंदे के नेतृत्व वाला गुट मूल शिवसेना होने का दावा नहीं कर सकता: संजय राउत
शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि समूह मूल शिवसेना होने का दावा नहीं कर सकता. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में फिर से नियुक्त किया है.
नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे खेमे से भरत गोगावले की नियुक्ति को भी मान्यता दी और ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को हटा दिया. राउत ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इन विधायकों (शिंदे गुट के) को खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए. उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के चिन्ह और इसके साथ मिलने वाले सभी लाभों का इस्तेमाल किया और फिर उसी पार्टी को तोड़ दिया. राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से इसे अदालत में चुनौती देंगे. शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़ दी, फिर वे कैसे दावा कर सकते हैं कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला समूह नहीं बल्कि उनका समूह मूल पार्टी है. ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है.’’
राउत ने कहा कि उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक कार्यक्रम में भाग नहीं लेने के पार्टी के आदेश की अवहेलना करने पर जद (यू) नेता शरद यादव को निलंबित कर दिया था. शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने दावा किया, ‘‘घटनाक्रम संसद में भी नहीं हुआ था, लेकिन फिर भी उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ा.’’ उन्होंने पूछा, ‘‘हालांकि, जब हम 39 (शिंदे गुट के) में से 16 विधायकों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद करते हैं तो ऐसे नियम हमारे लिए लागू नहीं होते हैं. क्या यह उचित है?’’ उन्होंने कहा कि जब कोई फैसला किसी व्यक्ति या पार्टी की सुविधा के अनुसार दिया जाता है तो वह संसदीय लोकतंत्र नहीं होता.