दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक देश में दोषसिद्धि की दर में वृद्धि लाने के लिए : शाह

नयी दिल्ली. दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक के प्रावधानों के दुरूपयोग होने की विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि यह विधेयक आंकड़ों के दुरुपयोग की मंशा से नहीं, बल्कि कानून के हिसाब से जीने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा करने एवं दोषसिद्धि की दर में वृद्धि के लिए लाया गया है.

शाह ने कहा कि मौजूदा सरकार का मानना है कि अपराध की जांच ‘थर्ड डिग्री’ के आधार पर नहीं बल्कि तकनीक एवं सूचना के आधार पर होनी चाहिए.  उच्च सदन में ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022’ पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक किसी भी डेटा के दुरुपयोग के लिए नहीं लाया गया है और यह समय के अनुरूप बदलाव का उपयोग करते हुए दोषसिद्धि की दर में वृद्धि के लिए लाया गया है.

कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा मानवाधिकारों का विषय उठाये जाने जाने का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि उनके भी मानवाधिकार हैं, जो अपराधियों से पीड़ित हैं, जिनके परिवार के उस सदस्य की हत्या हो जाती है, जो घर चलाता है. उन्होंने कहा कि सदन को सिर्फ गुनहगारों की ही नहीं बल्कि उनसे पीड़ित लोगों के मानवाधिकारों की भी ंिचता करनी चाहिए.

शाह ने कहा कि यह विधेयक कानून का पालन करने वाले देश के 97 प्रतिशत लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए लाया गया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश में दोषसिद्धि को बढ़ाने और अपराधों को सीमित करने तथा गुनाहगारों को दंडित करके सख्त संदेश देने के एक मात्र उद्देश्य से लाया गया है.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022’ को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी. इससे पहले सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग वाले विपक्ष के संशोधन को मत विभाजन के बाद खारिज कर दिया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है.

गृह मंत्री ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2020 के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में हत्या के मामलों में दोषसिद्धि सिर्फ 44 प्रतिशत, बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि 39 प्रतिशत, हत्या के प्रयास के मामले में 24 प्रतिशत रही. उन्होंने कहा कि जबकि ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और आॅस्ट्रेलिया जैसे देशों में दोषसिद्धि की दर उच्च है.

उन्होंने कहा कि अपराध का स्वरूप और अपराधियों के तौर-तरीके बदल गए हैं, ऐसे में पुलिस को आधुनिक तकनीक से लैस करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हम अगली पीढ़ी के अपराधों से पुरानी तकनीक के माध्यम से नहीं निपट सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को समग्रता से देखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इस कानून पर बिना आधार के आशंका खड़ा करना अनुचित है. उन्होंने कहा कि 1920 के कानून की जगह नये कानून से अदालतों में दोषसिद्धि के लिए वैज्ञानिक प्रमाणों को बढ़ाया जा सकेगा. विधेयक में इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या ंिप्रट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 ऐसे व्यक्तियों का समुचित शरीरिक माप लेने का विधिक उपबंध करता है. यह अपराध की जांच को अधिक दक्ष बनायेगा और दोषसिद्धि दर में वृद्धि करने में सहायता करेगा.

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