प्रधानमंत्री ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ‘श्री महाकाल लोक’ का किया उद्घाटन
उज्जैन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 900 मीटर लंबे “श्री महाकाल लोक” गलियारे का लोकार्पण किया. महाकालेश्वर मंदिर गलियारा विकास परियोजना राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर उज्जैन में है. कुल 856 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के पहले चरण में ‘महाकाल लोक’ को 351 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है.
मोदी ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज ंिसह चौहान के साथ कार्यक्रम स्थल पर मौजूद साधुओं का अभिवादन किया. उन्होंने ‘श्री महाकाल लोक’ राष्ट्र को सर्मिपत करने के लिए शिवंिलग की प्रतिकृति का अनावरण करने के लिए रिमोट का बटन दबाया.
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का मंदिर उज्जैन में स्थित है. यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. गलियारे के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं. यह गलियारा मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है तथा मार्ग में मनोरम दृश्य पेश करता है. महाकाल मंदिर के नवनिर्मित गलियारे में 108 स्तंभ पर बनाये गये हैं.
“श्री महाकाल लोक” आधुनिक व्यवस्थाओं और संसाधनों से भी परिपूर्ण बनाया गया है. इसकी व्यवस्था इतनी उत्कृष्ट है कि भक्तों और पर्यटकों को अभिभूत कर देगी. मंदिरों के साथ ही पूजा सामग्री और हार-फूल की दुकानों को भी खास लाल पत्थर से बनाया गया है, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है.
“श्री महाकाल लोक” के निर्माण से भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, उनका जीवंत अनुभव शिव भक्त धर्मनगरी उज्जैन में कर पाएंगे. महाकाल ज्योतिर्लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंग में से इकलौत ऐसा ंिलग है जो दक्षिणमुखी है.
“श्री महाकाल लोक” में शिव, शम्भू, शशिशेखर के सहस्त्रों रूप और उनकी महिमा को सुंदर ढंग से उकेरा गया है. शिवंिलग सार्वभौमिक रूप से सृजन का प्रतीक है और “श्री महाकाल लोक” भारतीय सांस्कृतिक विरासत को साक्षात प्रतिबिम्बित कर रहा है. यहाँ शिव का मृत्युंजय रूप भी है, जिसकी उपासना से मृत्यु को भी मात दी जा सकती है. यहाँ महादेव भी है जिसकी उपासना से हर ग्रह नियंत्रित रहता है.