केंद्र की राज्यों के सहकारिता क्षेत्र में दखल देने की मंशा नहीं, सहमति से लाएंगे बदलाव: अमित शाह
नयी दिल्ली. केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि राज्यों की सहकारी समितियों के कामकाज में दखल देने की केंद्र की कोई मंशा नहीं है लेकिन वह आपसी बातचीत एवं समन्वय के जरिये राज्यों के सहकारिता कानूनों में एकरूपता लाने की कोशिश करेगा. शाह ने सहकारिता नीति पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारी समितियों को मौजूदा दौर की चुनौतियों के हिसाब से बनाए जाने की जरूरत है और सहकारिता कानूनों में एकरूपता लाने के लिए उनके साथ विचार-विमर्श चल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य विधानसभाओं के पास सहकारी समितियों के बारे में विशेष अधिकार हैं और कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है. लेकिन हम बातचीत के जरिये राज्यों के कानूनों में उनकी सहमति से एकरूपता लाना चाहते हैं. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सहकारी समितियां लंबे समय तक टिक नहीं पाएंगी.’’ उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों को एकसमान ढंग से विकसित करने की जरूरत है ताकि सहकारिता क्षेत्र को अगले मुकाम तक पहुंचाया जा सके. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का आकार पांच लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने के लिए किसानों की आय को दोगुना करना जरूरी है जिसमें सहकारिता का अहम योगदान होगा.
उन्होंने इफको एवं अमूल जैसे सफल सहकारी इकाइयों का उदाहरण देते हुए कहा कि इनके सफल सहकारी मॉडल को अपनाने की जरूरत है. इसे सहकारिता नजरिये के साथ कॉरपोरेट सिद्धांतों को जोड़कर, पेशेवर अंदाज, आधुनिकीकरण और पारर्दिशता से हासिल किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, सिक्किम, गुजरात एवं ओडिशा के सहकारिता कानून बहुत बुनियादी किस्म के हैं और अब वे प्रासंगिक नहीं रह गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम बदलाव लाना चाहते हैं लेकिन यह काम बातचीत और राज्यों की सहमति से हो. यह प्रक्रिया लंबी है लेकिन जरूरी है.’’ शाह ने अगले आठ-नौ महीनों में नयी सहकारिता नीति तैयार हो जाने का भरोसा जताते हुए कहा, ‘‘देश में सहकारिता का मजबूत आधार रहा है लेकिन हमें बाधाओं को दूर करने और आगे बढ़ने के लिए मंच देने के लिए एक नीति बनाने की जरूरत है.’’ इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय सहकारी समिति विकास निगम (एनसीडीसी) के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक के उस सुझाव को नकार दिया जिसमें सहकारी समितियों के लिए अलग कानून बनाने की मांग की गई थी.
उन्होंने कहा कि इस बारे में सहकारिता मंत्रालय के पोर्टल पर सुझाव भेजे जा सकते हैं. इस मौके पर सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सचिव डी के ंिसह, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. केंद्र सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने के लिए एक नई सहकारिता नीति लेकर आएगी. यह राष्ट्रीय सम्मेलन इस प्रस्तावित नीति पर केंद्र एवं राज्यों की सरकारों के अलावा अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के लिए आयोजित किया गया है.
नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि भारत की नयी पीढ़ी को आजादी और देश के साथ जोड़ने का ये र्स्विणम अवसर है. साथ ही उन्होंने सभी से पार्टी विचारधारा से ऊपर उठकर अगले 25 वर्षों में लोगों और देश के कल्याण के लिए काम करने की अपील की ताकि भारत दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक बन सके.
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पर ‘अमृत समागम’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगले 25 साल-भारत की आजादी के 75वें वर्ष से देश की आजादी के 100वें वर्ष तक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और देश की इस अवधि को ‘अमृत काल’ कहा गया है. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नयी पीढ़ी को 1857 से 1947 तक 90 साल तक आजादी की जंग लड़ने वाले लोगों के त्याग, बलिदान और तपस्या की जानकारी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत की नयी पीढ़ी को आजादी और देश के साथ जोड़ने का ये र्स्विणम अवसर है.
शाह ने कहा, ‘‘नयी पीढ़ी के मन में देशभक्ति का जज्Þबा जगाना और उसके आधार पर वो पूरे जीवन देश के लिए काम करता रहे, ऐसी नयी पीढ़ी का सृजन करने का ये एक बहुत बड़ा मौकÞा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम राज्यों में कुछ स्थान आजादी के अमृत महोत्सव के निमित्त स्थानीय ऐसे बनाएं, जो चेतना के केंद्र बनें, ऐसे संकल्प प्रसारित करें जो अनेक लोगों को प्रेरणा दें.’’ शाह ने सभी से पार्टी विचारधारा से ऊपर उठकर अगले 25 वर्षों में लोगों और देश के कल्याण के लिए काम करने की अपील की ताकि भारत दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक बन सके.