‘आसियान’ से जुड़े होने के कारण जापान, दक्षिण कोरिया और चीन से भारत के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं: जयशंकर
सिंगापुर/सिडनी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि 10 सदस्य देशों वाले संगठन ‘‘आसियान’’ से जुड़े होने की वजह से भारत के जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के साथ द्विपक्षीय व आर्थिक संबंध प्रगाढ़ हुए हैं. दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ (‘आसियान’) और भारत के बीच 13 अगस्त, 2009 को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे और यह जनवरी, 2010 में लागू हुआ था. दस ‘आसियान’ देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. जयशंकर ने ये टिप्पणियां ‘‘आसियान एंड इंडिया: द वे फॉरवर्ड’’ नामक पुस्तक में प्रकाशित एक प्रस्तावना में की, जिसका बुधवार को सिंगापुर में विमोचन किया गया.
मंत्री ने कहा, ‘‘जापान और दक्षिण कोरिया के साथ रिश्ते (भारत-आसियान संबंधों के) परिणामस्वरूप प्रगाढ़ हुए हैं. इसके अलावा चीन के साथ आर्थिक संपर्क लगातार बढ़ता गया है.’’ सिंगापुर के वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग द्वारा जारी की गई 300 पन्नों की पुस्तक में उन्होंने लिखा, ‘‘और भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि इसका सबसे नया उदाहरण है. इसमें दोनों देशों के बीच हाल ही में हुआ मुक्त व्यापार समझौता शामिल है.’’ ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (ईसीटीए) पर 2 अप्रैल, 2022 को ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन व्यापार, पर्यटन व निवेश मंत्री डैन तेहान और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.
हिन्द-प्रशांत में सुरक्षा व स्थिरता के लिये भारत का अहम साझेदार है ऑस्ट्रेलिया
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता के लिये ऑस्ट्रेलिया, भारत का अहम साझेदार है और दोनों के साथ मिलकर काम करने से क्षेत्र की स्वतंत्रता, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित होगी. ऑस्ट्रेलिया की दो दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना कुछ समय ऑस्ट्रेलिया की सेना के साथ बिताया.
जयशंकर ने कहा, ‘‘ हिन्द प्रशांत में सुरक्षा और स्थिरता के लिहाज से आज वे हमारे लिये काफी अहम साझेदार हैं . हमारे संबंधों में ये बड़ा बदलाव इस तथ्य से स्पष्ट है कि दोनों देश क्वाड ढांचे में सदस्य हैं और विभिन्न प्रकार से मिलकर काम कर रहे हैं ताकि इस क्षेत्र की स्वतंत्रता, स्थिरता और समृद्धि बरकरार रखी जा सके.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने पिछले वर्ष भी देखा है कि कुछ ही सप्ताह के भीतर हमने कितनी प्रगति की है. हमने ऑस्ट्रेलिया में दो महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास किये जिसमें भारतीय सेना ने हिस्सा लिया.’’ जयशंकर ने कहा कि धारणा, प्रत्येक देश की एक दूसरे को लेकर प्रासंगिकता तथा क्षेत्र की बेहतरी में योगदान देने के लिये दो देशों की साझा क्षमता, आज संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण कारक बन गए हैं .
ज्ञात हो कि अमेरिका, भारत और दुनिया की कई अन्य शक्तियां हिन्द प्रशांत को स्वतंत्र, मुक्त और समृद्ध बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित कर रही हैं. यह इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हो रहा है. चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग सम्पूर्ण क्षेत्र पर अपना दावा करता है. हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया, वियतनाम भी इसके हिस्सों पर दावा करते है. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान स्थापित किया है.
जयशंकर ने कहा, ‘‘ दोनों देशों ने कई अर्थों में हमारे संबंधों की ताकत को पहचाना है और इसे कफी गंभीर रूप में लेना शुरू किया है. ’’ विदेश मंत्री ने भारत ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं कारोबार समझौता के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘ पूरा विश्वास है कि इस वर्ष के अंत तक या अगले वर्ष के प्रारंभ तक हम एक नया आर्थिक ढांचा पेश करने की स्थिति में होंगे. यह हमारे सहयोग को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाने में सहायक होगा. ’’ उन्होंने कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं, खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में .