भारत, अमेरिका के रिश्तों में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए मजबूती और सहजता का स्तर: जयशंकर

वाशिंगटन. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राजधानी के दौरे का समापन करते हुए बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों में आज उन सभी मुद्दों पर चर्चा करने की मजबूती और सहजता है, जिन पर दोनों पक्ष सहमत नहीं हैं. जयशंकर यहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में शामिल होने आए थे. अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड आॅस्टिन ने किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच डिजिटल माध्यम से बैठक के बाद मंत्रिस्तरीय वार्ता हुई.

यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह से जयशंकर ने कहा कि चर्चा सभी मुद्दों पर हुई, जो निश्चित रूप से द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा यूक्रेन की स्थिति, भारत के पड़ोस और ंिहद-प्रशांत क्षेत्र में घटनाक्रम पर केंद्रित थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का मुद्दा चर्चा का हिस्सा नहीं था.

एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने इस धारणा का जोरदार खंडन किया कि यूक्रेन की स्थिति भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाली है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह भारत-अमेरिका संबंधों के लिए तनावपूर्ण होगा. देखिए…मैं आज यहां हूं ..मैं अपने रुख और अपने दृष्टिकोण के बारे में काफी खुला और स्पष्टवादी रहा हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘निष्पक्षता के साथ मैं कहूंगा कि ऐसे ही अमेरिकी भी हैं. आज, हमारे रिश्ते में बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा करने की मजबूती और सहजता का स्तर है. हम सभी मुद्दों पर सहमत नहीं हो सकते हैं. हमारे पास इससे निपटने की ताकत और सहजता भी है.’’

भारत-अमेरिका संबंधों में बड़ा बदलाव आया है. उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में हमें 10 साल पहले या 20 साल पहले की तुलना में एक-दूसरे के साथ बहुत अधिक कदम उठाने और एक-दूसरे को बहुत अलग तरीके से जोड़ने की अनुमति देता है.’’ जयशंकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन, ंिब्लकन के साथ अपने द्विपक्षीय, वाणिज्य मंत्री और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि, ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के साथ बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के साथ अपनी चर्चा का अवलोकन करते हुए कहा कि मोटे तौर पर यूक्रेन में स्थिति को लेकर चर्चा हुई.

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी पक्ष ने अपना दृष्टिकोण, अपना विश्लेषण, उनके विचार से जो कुछ होने की संभावना है, प्रस्तुत किया. संघर्ष और शांति, उसमें शामिल कूटनीति, शांति वार्ता, प्रगति या प्रगति की कमी, जैसे मुद्दे सामने आए.’’ वैश्विक मुद्दों पर, दोनों देशों ने कोविड, स्वास्थ्य प्रतिक्रिया, टीका आपूर्ति, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और दोनों देश एक साथ कैसे काम कर सकते हैं तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा की.

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के घटनाक्रम को लेकर भी चर्चा हुई. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भारतीय उपमहाद्वीप में घटनाक्रम पर रुचि थी… श्रीलंका में मुश्किलें आई हैं. पाकिस्तान में बदलाव आया है. हाल में नेपाल, म्यांमा में जो कुछ हुआ है, उस पर भी थोड़ी चर्चा हुई.’’ जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के हालात पर भारत से मध्यस्थता करने के लिए अमेरिका की ओर से कोई खास अनुरोध नहीं किया गया है.

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