प्रधानमंत्री संग्रहालय से पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार खुश, गांधी परिवार ने बनाई दूरी

नयी दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को ‘दहेज’ में मिला एक चरखा, चौधरी चरण ंिसह की डायरी और पी वी नरंिसह राव का चश्मा उन वस्तुओं में शामिल हैं, जो उनके परिवारों ने प्रधानमंत्री संग्रहालय में प्रर्दिशत करने के लिए दिये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया.

हालांकि, देश को तीन प्रधानमंत्री देने वाले नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य कार्यक्रम से दूर रहें, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण ंिसह, पी वी नरंिसह राव, एच डी देवगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई और लाल बहादुर शास्त्री के परिजन पूरे उत्साह के साथ इसमें शरीक हुए. नयी दिल्ली में तीन मूर्ति भवन परिसर में स्थित और 271 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित संग्रहालय देश के अब तक हुए सभी 14 प्रधानमंत्रियों के जीवन एवं योगदान पर प्रकाश डालेगा.

अब पूरी तरह से अद्यतन पूर्ववर्ती नेहरू संग्रहालय भवन में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जीवन एवं योगदान को आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये प्रर्दिशत किया गया है. दुनिया भर से उन्हें मिले कई सारे उपहारों, जिन्हें अब तक प्रदर्शनी के लिए नहीं रखा गया था, को जीर्णोद्धार किये गये ब्लॉक-आई में रखा गया है. पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के कई सदस्यों ने कहा कि वे संग्रहालय का विस्तार करने और प्रत्येक पूर्व प्रधानमंत्री को जगह दिये जाने से भावुक हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनिल शास्त्री ने कहा, ‘‘हमने उन्हें संग्रहालय के लिए पुस्तकें और तस्वीरें दीं. मेरे पिता को दहेज के रूप में मिला एक चरखा भी संग्रहालय को दिया. जब मेरे पिता ने दहेज लेने से मना कर दिया था तब उन्हें यह चरखा दिया गया था. ये बहुत ही निजी चीजें हैं और हमने भारी मन से उन्हें दिया है. संग्रह में उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया एक बैडंिमटन रैकेट और एक गुलदस्ता भी शामिल है, जो उन्हें ताशकंद की उनकी अंतिम यात्रा के दौरान उपहार में मिला था. ’’ सुनील ने कहा कि उन्होंने संग्रहालय में शामिल किये जाने वाली अपने पिता लाल बहादुर शास्त्री की वस्तुओं के विवरण को अंतिम रूप देने के लिए अधिकारियों के साथ कई बैठकें की थी.

शास्त्री, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे थे. उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था और उनके बेटे को इस बात का अफसोस है कि इस नारे को संग्रहालय की प्रदर्शनी में शामिल किया जाना अभी बाकी है. वहीं, सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस पार्टी से देश के अंतिम प्रधानमंत्री रहे मनमोहन ंिसह को कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया गया था लेकिन वह अपने खराब स्वास्थ्य के कारण इसमें शरीक नहीं हो सकें. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा को भी न्योता दिया गया था लेकिन उन्होंने कार्यक्रम में अपने अनुपस्थित रहने के बारे में कुछ नहीं बताया है.

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों को कार्यक्रम में शरीक होने के लिए न्योता दिया गया था. ’’ राव की बेटी सुरभि वाणी देवी की आंखों में उस वक्त आंसू आ गये जब उनसे संग्रहालय में उनके पिता से जुड़ी वस्तुओं के बारे में पूछा गया.
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे लिए एक बहुत भावुक क्षण है. मैं अंतिम परिणाम से बहुत खुश हूं. ’’ राव के पोते एवं भारतीय जनता पार्टी नेता एन वी सुभाष ने दावा किया कि कांग्रेस ने दिवंगत प्रधानमंत्री को पर्याप्त श्रेय नहीं दिया और उनके कार्य के लिए उन्हें सम्मान देने में 18 साल लग गये.

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (राव को) उनके निधन के 18 साल बाद वह सम्मान मिला जिसके वह हकदार थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन कांग्रेस के लिए सर्मिपत कर दिया और कोई श्रेय नहीं मिला. यदि गांधी परिवार आज यहां आता तो मैं उनसे इसकी वजह पूछता. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘संग्रहालय उनकी विरासत को एक बड़ी श्रद्धांजलि है और सभी प्रधानमंत्री समान महत्व रखते हैं.’’ राव के पोते ने कहा कि परिवार ने दिवंगत प्रधानमंत्री का चश्मा, कपड़े, जूते, लैपटॉप और यहां तक की उनकी कुछ पुस्तकें भी संग्रहालय को दी हैं. चौधरी चरण ंिसह की पोती संध्या अग्रवाल भी उस वक्त भावुक नजर आईं , जब उन्होंने अपने दादा से जुड़ी संग्रहालय की वस्तुओं को देखा.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभिभूत हूं. यह उनकी विरासत को संरक्षित रखने की एक बड़ी पहल है. यह विचारपूर्ण और बखूबी निर्मित है. भावी पीढ़ी के लिए भी उन लोगों को जानना जरूरी है जिन्होंने इस देश का निर्माण किया. मैं अपने बच्चों को यहां लाने की सोच रही हूं.’’ परिवार ने पूर्व प्रधानमंत्री की तस्वीरें, पत्र, पुस्तकें और डायरी संग्रहालय को दी. देवगौड़ा और मोरारजी देसाई के रिश्तेदार तथा वाजपेयी की दत्तक पुत्री भी कार्यक्रम में शरीक हुईं.

मोरारजी देसाई की भगवद् गीता, गांधी टोपी, कलम और रूद्राक्ष माला को भी उनके प्रति सर्मिपत गैलरी में जगह मिली है. इसके अलावा, वाजपेयी का भारत रत्न पदक , चश्मा, कलाई घड़ी और कुछ पत्र भी संग्रहालय में रखे गये हैं. यहां चंद्रशेखर की कुछ हस्तलिखित डायरी भी हैं. अधिकारियों ने बताया कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन ंिसह की सभी प्रदर्शनीय वस्तुएं पुरानी सामग्री हैं क्योंकि उनके परिवारों ने संग्रहालय में प्रदर्शनी के लिए कोई नयी वस्तु नहीं दी है.

प्रदर्शनी में इंदिरा गांधी की तस्वीरें, उनके भाषण, पोखरण परमाणु परीक्षण पर पुरातात्विक सामग्री, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और उनके कार्यकाल के दौरान बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर दस्तावेज शामिल हैं. कंप्यूटर के लिए राजीव गांधी के जुनून को भी संग्रहालय में प्रर्दिशत किया गया है.

प्रधानमंत्री संग्रहालय पर कांग्रेस ने कहा: चूना और गारा से नहीं, काम से लिखा जाता है इतिहास

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री संग्रहालय के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चूना और गारा से नहीं, बल्कि काम से इतिहास लिखा जाता है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस देश के निर्माण में हर प्रधानमंत्री का योगदान रहा है और उनका सम्मान होना चाहिए. पहले की सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय को बुनियादी ढांचा बनाकर इतिहास लिखना चाहती थीं. मोदी जी को लगता है कि इमारतें बनाकर इतिहास लिखेंगे, लेकिन इतिहास कभी भी इमारत, चूना और गारा से नहीं लिखाता है, आपके काम लिखते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी, आप इतना बड़ा सेंट्रल विस्टा बना रहे थे, मुझे खुशी होती, अगर उसी में थोड़ी सी जगह पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी देते.’’ कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘दुनिया का कोई देश अपनी विरासत का अपमान नहीं करता. अमेरिका में देखिए, जॉर्ज वांिशगटन के नाम पर जो स्मृति स्थल है, वो आज उसी नाम से है. आप नेहरू जैसे विशाल नेता को कमतर दिखाने का प्रयास करके अपना छोटापन दिखा रहे हैं. नेहरू के योगदान को पूरी दुनिया में माना जाता है.’’

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