राजनाथ सिंह ने मुंबई में दो स्वदेश निर्मित युद्धपोतों का किया जलावतरण
मुंबई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई के मझगांव डॉक पर मंगलवार को स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों ‘सूरत’ और ‘उदयगिरी’ का जलावतरण किया. उन्होंने कहा कि इससे नौसेना के आयुध भंडार की शक्ति बढ़ेगी और दुनिया के सामने भारत की रणनीतिक क्षमता प्रर्दिशत होगी. मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने एक बयान में बताया कि पहली बार स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों का एक साथ जलावतरण किया गया है.
दोनों युद्धपोतों को नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) ने अपने यहां डिजाइन किया है और एमडीएल, मुंबई में इनका निर्माण किया गया है. एमडीएल, जलपोत एवं पनडुब्बी निर्माण करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख रक्षा कम्पनी है. समारोह में सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि दोनों युद्धपोत दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइल वाहक होंगे, जो वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूरा करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि दुनिया की जहाज निर्माण की जरूरतों को भी पूरा करेंगे. हम जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ की परिकल्पना को साकार करेंगे.’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों युद्धपोत भारतीय नौसेना के शस्त्रागार की ताकत बढ़ाएंगे और दुनिया को भारत की रणनीतिक ताकत के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की शक्ति का परिचय देंगे.
रक्षा मंत्री ने स्वदेशी विमान वाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का विशेष उल्लेख करते हुए इसे भारतीय नौसेना के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पथ में एक प्रमुख मील का पत्थर बताया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह हिंद महासागर से प्रशांत और अटलांटिक महासागर तक भारत की पहुंच बढ़ाएगा.
उन्होंने कहा कि ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण भारतीय रक्षा इतिहास में एक र्स्विणम क्षण होगा. नौसेना ने बताया कि जहाज ‘सूरत’, प्रोजेक्ट 15बी कार्यक्रम के तहत बनाया जाने वाला चौथा और अंतिम विध्वंसक पोत है, जिसमें रडार को चकमा देने की प्रणाली है. यह पी15ए (कोलकाता श्रेणी) विध्वंसक के एक महत्वपूर्ण बदलाव का परिचायक है. गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी और मुंबई के बाद पश्चिमी भारत के दूसरे सबसे बड़े वाणिज्यिक केंद्र सूरत शहर के नाम पर इसका नाम रखा गया है.
प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टेल्थ (रडार को चकमा देने में सक्षम) निर्देशित मिसाइल विध्वंसक हैं, जिन्हें मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में बनाया जा रहा है. दूसरा पोत ‘उदयगिरि’ ‘प्रोजेक्ट 17ए’ फ्रिगेट कार्यक्रम का हिस्सा है. ‘उदयगिरि’ पोत का नाम आंध्र प्रदेश की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है. यह प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स के तहत तीसरा पोत है. यह पी17 फ्रिगेट (शिवालिक श्रेणी) का उन्नत संस्करण है, जो बेहतर हथियार, सेंसर तथा मंच प्रबंधन प्रणाली से लैस है.
सिंह ने कहा, ‘‘मुझे आईएनएस ‘सूरत’ और आईएनएस ‘उदयगिरि’ के जलावतरण समारोह में आप सबके बीच मौजूद रहकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है. यह ऐतिहासिक भूमि वीर शिवाजी, संभाजी और कान्होजी जैसे नायकों की कर्मभूमि रही है. यहां इन युद्धपोतों का जलावतरण करना और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है.’’ रक्षा मंत्री ने इन युद्धपोतों का वर्णन आत्मनिर्भरता हासिल करने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए देश की समुद्री क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता के अवतार के रूप में किया. उन्होंने कहा कि यह ऐसे समय में किया जा रहा है, जब दुनिया कोविड-19 के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान देख रही है और रूस-यूक्रेन संघर्ष चला रहा है.
उन्होंने महामारी के बावजूद जहाज उत्पादन कार्यों को जारी रखने और वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय नौसेना की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एमडीएल को बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘‘आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस सूरत भारत की बढ़ती स्वदेशी क्षमता के चमकते हुए उदाहरण हैं.’’ रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर-प्रशांत महासागर क्षेत्र को खुला, सुरक्षित और मजबूत रखने के अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी से निर्वहन करने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. भारत इस क्षेत्र में एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक है. हम सर्वसम्मति-आधारित सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, खुले, नियम-आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थन करते हैं. इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश होने के नाते, हिंद-प्रशांत को खुला, सुरक्षित और मजबूत रखना हमारी नौसेना का प्राथमिक उद्देश्य है.’’ उन्होंने कहा, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) का प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण पड़ोसियों के साथ मित्रता, खुलेपन, संवाद और सह-अस्तित्व की भावना पर आधारित है. इसी दृष्टि से, भारतीय नौसेना अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर रही है.
सिंह ने कहा कि हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार विकसित हो रहे सुरक्षा परिदृश्य के कारण आने वाले समय में भारतीय नौसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी. उन्होंने ऐसी नीतियां तैयार करने का आ’’ान किया जो इस क्षेत्र में देश की उपस्थिति, आपदाओं के दौरान इसकी भूमिका, आर्थिक भलाई और विदेश नीतियों को आगे बढ़ाने पर केन्द्रित हों. इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल एस हरि कुमार और भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.