लिज़ ट्रस: वेस्टमिंस्टर गड़बड़ी की रात ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा

लिज ट्रस के बाद अगले ब्रिटिश प्रधानमंत्री को लेकर कयास, सट्टेबाज सुनक पर लगा रहे दांव

लंदन/मेलबर्न. लिज ट्रस के सत्ता छोड़ने के बहुत से कारण थे लेकिन यह ब्रिटिश संसद में अराजकता की रात थी जिसने उनके इस्तीफे का रास्ता बनाया. 19 अक्टूबर को हाउस आॅफ कॉमन्स की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रधान मंत्री ने नियंत्रण खो दिया था. कंजर्वेटिव सांसदों को मतदान के लिए बुलाया गया था, जो जाहिर तौर पर फ्रैंिकग के बारे में था, लेकिन दरअसल वह लिजÞ ट्रस की सरकार के प्रति विश्वास मत था. आरोप है कि कंजर्वेटिव व्हिप ने अपने सांसदों को सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए अनुचित व्यवहार किया.

इस तरह का भ्रम कैसे पैदा हुआ और क्या यह संसद में व्हिंिपग आॅपरेशंस का एक मानक हिस्सा है? नीचे प्रमुख सवालों के जवाब दिए गए हैं. क्या वोट की व्यवस्था करते समय सांसदों पर व्हिप का चिल्लाना सामान्य है? सांसदों पर व्हिप का चिल्लाना सामान्य बात नहीं है. यदि कोई विद्रोह हो रहा है, तो व्हिप अपने आवंटित सांसदों से संपर्क करके यह पता लगाते हैं कि वे किस तरह से मतदान करना चाहते हैं. किसी सांसद के यह कहने पर कि वे अनिश्चित हैं या व्हिप का पालन नहीं करेंगे, मुख्य सचेतक या उप मुख्य सचेतक (या यहां तक ??कि एक कैबिनेट मंत्री) को और अधिक गहन बातचीत करने के लिए भेजा जाता है जहां उन्हें किसी भी तरह से मनाने की कोशिश की जाती है.

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपसी सम्मान दोनों तरफ से होना चाहिए अन्यथा व्यवस्था चरमरा जाएगी. फ्रैंिकग वोट स्पष्ट रूप से भारी जोर जबर्दस्ती और दबाव का क्षण था, यह देखते हुए कि प्रधान मंत्री की स्थिति बेहद अनिश्चित है. तथ्य यह है कि व्हिप को चिल्लाना पड़ रहा था (और उन पर हाथापाई और धमकाने के भी आरोप थे) यह बताता है कि व्हिप नियंत्रण खो रहे थे या नियंत्रण खो चुके थे.

क्या व्हिप के लिए सांसदों को शारीरिक रूप से चैंबर में जबरदस्ती भेजना सामान्य है? नहीं, अपने सांसदों पर चिल्लाना भी ताकत के बजाय कमजोरी की निशानी है. अगर यह मामला है कि कंजर्वेटिव सांसदों को व्हिप ने शारीरिक रूप से पीटा था, जैसा कि लेबर सांसद क्रिस ब्रायंट ने दावा किया है, यह निश्चित रूप से सामान्य नहीं है.

ऐसा होने के कोई ज्यादा उदाहरण नहीं हैं (हालाँकि पूर्व में आरोप लगाए गए हैं). वैसे, हमने देखा है कि पिछले एक साल के दौरान व्हिप अधिक मुखर होने लगे हैं. जनवरी में आरोप लगाए गए थे कि पूर्व प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन के कुछ खास क्षणों के दौरान व्हिप सांसदों को ब्लैकमेल कर रहे थे.

हालांकि, यह बताया जाना चाहिए कि ब्रायंट द्वारा लगाए गए आरोपों को कंजर्वेटिव सांसद अलेक्जेंडर स्टैफोर्ड ने खारिज कर दिया था, जिन्होंने कहा था कि उन्होंने ‘‘मतदान लॉबी के बाहर स्पष्ट और मजबूत बातचीत की थी, जो सरकार के सदस्यों के साथ, फ्रैंिकग के मेरे विरोध की पुष्टि करता है, इससे ज्यादा और कुछ नहीं’’. इसके बावजूद, हाउस आॅफ कॉमन्स के स्पीकर ने घोषणा की कि वह व्हिप के व्यवहार की जांच शुरू करेंगे.

इस बात को लेकर भ्रम क्यों है कि सांसद फ्रैंिकग पर मतदान कर रहे थे या विश्वास मत पर? हालांकि इस वोट पर निश्चित रूप से एक तीन-पंक्ति वाला व्हिप था (जिसका अर्थ है कि सरकार को उम्मीद थी कि उनके सभी सांसद बिना किसी संदेह के पार्टी लाइन पर चलेंगे), इस बात पर कम स्पष्टता है कि क्या सरकार इस प्रस्ताव को विश्वास के मुद्दे के रूप में मान रही थी. संदर्भ के लिए, वोट फ्रैंिकग पर लेबर के प्रस्ताव पर था. यदि पारित हो जाता है, तो इससे ब्रिटेन में फ्रैंिकग पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को आगे लाने के लिए संसदीय व्यवसाय पर विपक्ष का नियंत्रण हो जाएगा. यही कारण है कि सरकार ने कम से कम शुरुआत में प्रस्ताव को विश्वास का विषय मानने का फैसला किया.

हाउस आॅफ कॉमन्स नियम (स्थायी आदेश) ज्यादातर समय सरकारी व्यवसाय को प्राथमिकता देते हैं, जिसका प्रभावी रूप से मतलब है कि सरकार के पास एजेंडा का पूरा नियंत्रण है. हालाँकि लेबर के प्रस्ताव ने इस नियम को किसी नामित दिन पर ही अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया होगा, सरकार ने इसे अपने अधिकार की परीक्षा के रूप में देखा. ब्रेक्सिट वार्ता के दौरान तत्कालीन अल्पसंख्यक सरकार को अनुच्छेद 50 वार्ता की समय सीमा बढ़ाने के लिए मजबूर करने के लिए इसी तरह की नीतियों का इस्तेमाल किया गया था.
वोट से कुछ घंटे पहले सरकार के डिप्टी चीफ व्हिप से टोरी सांसदों को कथित तौर पर भेजे गए एक संदेश से भ्रम पैदा होता है.

इसने कहा कि वोट को सरकार में विश्वास मत के रूप में माना जा रहा था क्योंकि हारने के लिए लेबर को एजेंडे पर नियंत्रण करने की अनुमति होगी. मेमो ने वोट को ‘‘100% हार्ड 3 लाइन व्हिप!’’ के रूप में संर्दिभत किया. हालांकि, लेबर के फ्रैंिकग प्रस्ताव पर बहस के अंत में, जलवायु परिवर्तन मंत्री ने घोषणा की कि प्रस्ताव विश्वास मत नहीं था.

यही वजह है कि जब सांसद वोट देने के लिए लाइन में खड़े हुए तो डिविजन लॉबी में अफरा-तफरी मच गई. ऐसी खबरें थीं कि मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को योजना में बदलाव के बारे में नहीं बताया गया था. सुबह 1.30 बजे डाउंिनग स्ट्रीट से एक संदेश प्राप्त करने वाले पत्रकारों की रिपोर्ट के साथ यह गाथा सुबह के शुरुआती घंटों में जारी रही, जिसमें कहा गया था कि वोट को हमेशा विश्वास मत माना जाता था और पिछली रात की बहस को बंद करने वाले मंत्री को अन्यथा सुझाव देना गलत था.

उन सांसदों का क्या होगा जिन्होंने सरकार को वोट नहीं दिया? डाउंिनग स्ट्रीट का दावा है कि जो सांसद कल रात सरकार के खिलाफ मतदान करने में विफल रहे, उनके खिलाफ ‘‘आनुपातिक अनुशासनात्मक कार्रवाई’’ की जाएगी – इसका मतलब जो भी हो. सांसदों के बीच पहले से ही भ्रम और गुस्से को देखते हुए, किसी भी सांसद को उनके वोट की वजह से हटाया जाना बेहद आश्चर्यजनक होगा.
हालाँकि, हम इस बात पर यकीन कर सकते हैं, कि इस समय टोरी के सांसद बहुत दुखी हैं. इस अराजकता से पहले व्हिंिपग आॅपरेशन सबसे अच्छा था और यह बाद के हालात से और भी बिगड़ गया है. धमकाने और धक्का मुक्की के आरोपों को छोड़ भी दिया जाए तो इन शर्तों के तहत कंजर्वेटिव सांसदों को नियंत्रित करना – चाहे कोई भी प्रधानमंत्री हो – मुश्किल होने वाला है.

ट्रस के चले जाने के साथ, यूके को एक और प्रधान मंत्री मिलने वाला है

ब्रिटिश राजनीति वर्तमान में एक अजीब समय से गुजर रही है. डॉ हू के शुरुआती एपिसोड के कुछ बुरे विशेष प्रभावों की तरह, लेकिन इस बार यह सब दुखद रूप से सच है. इस बार हालात चार तरह के समय के पहियों पर घूम रहे हैं पहला यह है कि बहुत कुछ होता है लेकिन कुछ बदलता नहीं है. एक और प्रधान मंत्री चला गया, लेकिन वही पार्टी, विचारों से विहीन, अभी भी सत्ता में है, अपने हित के लिए सत्ता से चिपकी हुई.

यह कंजर्वेटिव सांसदों के विश्वास में पतन का संकेत है क्योंकि उन्हें डर है कि संसद में मौजूदा 71 सीटों के लगभग अजेय बहुमत से निकलकर वह चुनावी गुमनामी में जा सकते हैं. होना तो यह चाहिए था कि इस अराजकता से निपटने के लिए, जो विपक्ष की एक शरारती चाल थी, सरकार के पास कोई मजबूत योजना होती. इसके बजाय, इसने प्रधान मंत्री के इस्तीफे के रूप में जवाब दिया. यह ऐसा है जैसे 2019 की चुनावी जीत को भुलाकर हम उस समय में वापस चले गए हैं जब कंजर्वेटिवों के पास मामूली बहुमत था.

दूसरा तथ्य यह है कि पार्टी में जिस तरह का घटनाक्रम है, वह पूरी पार्टी में सोच की कमी से संबंधित है. दरअसल बोरिस जॉनसन डाउंिनग स्ट्रीट पर लौटने के पसंदीदा दावेदारों में से एक हैं, यह बताता है कि पार्टी के जमीनी स्तर के सदस्य देश के बाकी हिस्सों के साथ कैसे संपर्क से बाहर हैं.

तीसरा तथ्य यह है कि टोरी अब 1980 के दशक के ‘‘बावले वाम’’ की तरह लगते हैं. ब्याज दरों जैसी सुस्त लेकिन महत्वपूर्ण चीजों को सक्षम रूप से प्रबंधित करने से प्रेरित पार्टी होने के बजाय, यह एक वैचारिक लड़ाई मशीन में बदल गई है. चौथा और आखिरी तथ्य हमें एक ऐसे युग में लौटाता है, जब कंजर्वेटिव पार्टी जैसी कोई चीज थी. 19वीं शताब्दी के दौरान, जमींदार वर्गों और निर्माताओं के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों का एक समूह अंतत: एक ऐसे संगठन में बदल गया जिसे हम एक राजनीतिक दल के रूप में देखने लगे. समय अब ??पीछे की ओर जा रहा है और सदियों की इस धीमी प्रक्रिया को बदल रहा है.

ब्रिटिश राजनीति की अधिकांश समस्या वास्तव में कंजर्वेटिव पार्टी है. लेकिन यह पूछना सही होगा है कि क्या ऐसी कोई एक पार्टी बाकी बची है? कंजर्वेटिव पार्टी गुटों और भारी व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता से त्रस्त है. यह तमाम हालात नए नेता को चुनना असंभव बना देंगे. जॉनसन संभव है. वह एक महान प्रचारक हैं, लेकिन वह 2019 में ‘‘पार्टीगेट’’ से पहले था. ऋषि सनक ‘‘मैंने तुमसे कहा था’’ कहकर अपना दावा पेश कर सकते है, लेकिन वह एक बहु-करोड़पति है और उनका प्रधानमंत्री बनना जीवन यापन की राजनीति के वर्तमान संदर्भ में अच्छा नहीं होगा. पेनी मोरडॉंट ने ट्रस कार्यकाल के दौरान अपना दामन पाक-साफ रखा है, लेकिन उनमें अनुभव की कमी है.

लिज ट्रस के बाद अगले ब्रिटिश प्रधानमंत्री को लेकर कयास, सट्टेबाज सुनक पर लगा रहे दांव
ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी में गहरे विभाजन के मद्देनजर लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद पार्टी नेता और प्रधानमंत्री पद को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. लेकिन सट्टेबाजों की पसंद भारतीय मूल के ब्रिटिश व पूर्व चांसलर ऋषि सुनक बने हुए हैं. पिछले महीने नेतृत्व के लिए हुए चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे सुनक ने ट्रस के लघु बजट से आर्थिक संकट आने का पूर्वानुमान लगाया था और उन्हें अब 10 डाउंिनग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) के लिए मुफीद माना जा रहा है.

सट्टेबाजी संस्था आॅडचेकर के मुताबिक 42 वर्षीय सुनक 55 प्रतिशत पसंदीदा राय ले कर साथ सबसे आगे चल रहे हैं जबकि 29 प्रतिशत की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई जा रही है. तीसरे स्थान के लिए हाउस आॅफ कामन (संसद के निचले सदन)की नेता पेनी मोरडांट का नाम उभर रहा है जो पिछले नेतृत्व चुनाव में लिए संसदीय मतों के पहले चरण के चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थीं.

सुनक को खुले तौर पर समर्थन करने वाले करीब 50 सांसदों में शामिल डोमनिक राब ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं प्रधानमंत्री पद के लिए सुनक का समर्थन करता हूं. उनके पास ब्रिटिश लोगों की सेवा के लिए सरकार में बेहतरीन प्रतिभाओं को लाकर वित्तीय स्थिरता को बहाल करने, महंगाई को कम करने और कर कटौती और कंजर्वेटिव पार्टी को एकजुट रखने की योजना और विश्वसनीयता है.’’

नए नेता को चुनने के लिये मुकाबले से पहले समर्थन जुटा रहे हैं सांसद

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सहित कई सांसद, देश के नेता के रूप में लिज ट्रस की जगह लेने के लिए एक छोटे मुकाबले से पहले शुक्रवार को समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं. कंजरवेटिव पार्टी ट्रस का स्थान लेने के लिए एक चुनाव कराने जा रही है. इससे एक सप्ताह के भीतर नया नेता चुना जाएगा, जो देश का नया प्रधानमंत्री बनेगा.

जॉनसन के साथ ब्रिटेन के पूर्व वित्तमंत्री ऋषि सुनक और हाउस आॅफ कॉमन्स की नेता पेनी मोर्डौंट सट्टेबाजों के पसंदीदा हैं. जॉनसन को कई विवादों में घिरने के बाद पार्टी द्वारा इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था. जॉनसन प्रधानमंत्री के रूप में पद छोड़ने के बाद एक सांसद बने रहे. उन्होंने इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन संसद में उनके सहयोगी समर्थन जुटाने के लिए प्रयासरत हैं.

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