शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये जापान रवाना हुए मोदी
नयी दिल्ली/तोक्यो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जापान की यात्रा पर रवाना हो गए जहां वह 27 सितंबर को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में हिस्सा लेंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए टोक्यो रवाना हुए.’’
बागची ने ट्वीट किया, ‘‘भारत ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे के सम्मान में 9 जुलाई 2022 को एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा उनकी स्मृति को नमन करने का अवसर होगी.’’ इससे पूर्व, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘मैं पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये आज रात तोक्यो जा रहा हूं.’’ उन्होंने आबे को एक प्रिय मित्र और भारत-जापान मित्रता का बड़ा हिमायती बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह प्रधानमंत्री किशिदा और श्रीमती आबे से मुलाकात कर सभी भारतीयों की ओर से शोक-संवेदना प्रकट करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘हम आबे की दृष्टि के अनुरूप भारत-जापान संबंधों को और मजबूत बनाने के लिये काम करना जारी रखेंगे. ’’ विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने यह जानकारी देते हुए संवाददाताओं को बताया कि करीब 12 से 16 घंटे की इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ मुलाकात और द्विपक्षीय बैठक करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान श्रीमती आबे से मिलेंगे और निजी तौर पर शोक प्रकट करेंगे.
ज्ञात हो कि जापान के सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे की आठ जुलाई को देश के पश्चिमी इलाके में चुनावी कार्यक्रम के दौरान एक हमलावर ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. क्वात्रा ने बताया कि जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने इस वर्ष मार्च में भारत की यात्रा की थी और प्रधानमंत्री मोदी मई में क्वाड की बैठक में हिस्सा लेने वहां गए थे.
उन्होंने बताया कि इस वर्ष भारत-जापान राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है, और ऐसे में दोनों नेताओं को अपने विशेष सामरिक गठजोड़ को और प्रगाढ़ बनाने को लेकर बातचीत करने का अवसर मिलेगा. विदेश सचिव ने कहा कि भारत और जापान के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों के बीच कारोबार एवं निवेश, रक्षा एवं सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, आधारभूत ढांचा, औद्योगिक विकास, मानव संसाधन के क्षेत्र में करीबी सहयोग है.
उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री के बीच संक्षिप्त द्विपक्षीय बैठक होगी जिसमें दोनों पक्षों से संबंधित लोग मौजूद होंगे. क्वात्रा ने बताया कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिये 20 शासनाध्यक्षों सहित 100 देशों के प्रतिनिधि मौजूद होंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मोदी और किशिदा के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर बातचीत होगी, क्वात्रा ने कहा कि इस बैठक में दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों, और इनकी प्रगति के बारे में चर्चा एवं समीक्षा करेंगे और इसे किसी एक विषय तक सीमित करना ठीक नहीं होगा.
आबे के साथ प्रधानमंत्री मोदी के करीबी संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के सम्मान में एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि आबे के निधन पर शोक प्रकट करते हुए मोदी ने उन्हें ‘प्रिय मित्र’ बताया था और कहा था कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने दुनिया को बेहतर स्थान बनाने के लिये अपना जीवन सर्मिपत कर दिया.
पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को लेकर जापान में मतभेद क्यों?
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को लेकर देश में अलग-अलग विचार देखने को मिल रहे हैं. आबे की जुलाई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सत्ताधारी पार्टी के अति-रूढ़िवादी ‘यूनिफिकेशन चर्च’ के साथ मधुर संबंधों का असर है, जिसके चलते अंत्येष्टि का अधिक विरोध उभरकर सामने आ रहा है. कुछ कारणों के चलते मंगलवार को होने वाले आबे के राजकीय अंत्येष्टि कार्यक्रम को लेकर रोष देखा जा रहा है.
जापान में राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम की जड़ें देश में असाधारण योगदान देने वालों को सम्मानित करने के लिए सम्राट द्वारा संपन्न की जाने वाली परंपरा है. द्वितीय विश्व युद्ध से पहले सम्राट को ईश्वर का रूप माना जाता था और राजकीय अंतिम संस्कार का सम्मान पाने वाले लोगों के लिए सार्वजनिक शोक अनिवार्य था.
राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम अधिकतर शाही परिवार के सदस्यों के लिए किए गए थे. हालांकि, इसोरोकू यामामोटो समेत अन्य राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों का भी राजकीय अंतिम संस्कार किया गया था. यामामोटो ने पर्ल हार्बर हमले की कमान संभाली थी और 1943 में उनकी मृत्यु हो गई थी.
युद्ध के बाद राजकीय अंतिम संस्कार कानून को खत्म कर दिया गया था. तब से जापान का एकमात्र अन्य राजकीय अंतिम संस्कार 1967 में राजनेता शिगेरू योशिदा के लिए आयोजित किया गया था, जिन्होंने जापान पर अमेरिकी कब्जे को समाप्त करने और मित्र राष्ट्रों के साथ संबंध बहाल करने के लिए सैन फ्रांसिस्को संधि पर हस्ताक्षर किए थे. योशिदा के अंतिम संस्कार की आलोचना होने के कारण बाद की सरकारों ने ऐसे आयोजन को कम कर दिया.
इतिहासकार जुनिची मियामा ने कहा, ‘‘राजकीय अंतिम संस्कार लोकतंत्र की भावना के विपरीत है.’’ आबे का राजकीय अंतिम संस्कार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का कहना है कि आबे एक राजकीय अंतिम संस्कार के हकदार हैं क्योंकि वह जापान के आधुनिक राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेता थे और उनकी राजनयिक, सुरक्षा और आर्थिक नीतियों के चलते जापान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बढ़ा.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि आबे के लिए राजकीय अंतिम संस्कार किशिदा के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत वह आबे के रूढ़िवादी राजनीतिक धड़े से संबंधित सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के सांसदों को खुश करना चाहते हैं ताकि सत्ता पर उनकी पकड़ मजबूत बनी रहे.
यह विवादास्पद क्यों है ?
वहीं, विरोधियों का कहना है कि कानूनी आधार नहीं होने के चलते आबे का राजकीय अंतिम संस्कार ‘‘अलोकतांत्रिक’’ होने के साथ ही किशिदा मंत्रिमंडल का एकतरफा फैसला है. विरोधी इसे युद्ध काल में जापान के अत्याचारों पर आबे द्वारा पर्दा डालने, अधिक सैन्य खर्च के लिए उनके दबाव, लैंगिक भूमिकाओं पर उनके नजरिए, तानाशाह नेतृत्व और पूंजीपतियों के समर्थक के रूप में याद करते हैं. साथ ही अति-रूढ़िवादी ‘यूनिफिकेशन चर्च’ के साथ आबे और एलडीपी सांसदों के संबंधों पर अधिक जानकारी बाहर आने के साथ राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध हो रहा है.
दक्षिण कोरिया से संबंध रखने वाले इस चर्च ने रूढ़िवादी साझा हितों के चलते एलडीपी सांसदों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए थे.
वकीलों के एक समूह ने राजकीय अंतिम संस्कार को रोकने के अनुरोध के साथ याचिका दायर की, लेकिन इसे सोमवार को कथित तौर पर खारिज कर दिया गया. सरकार का कहना है कि आबे के राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम के लिए सुरक्षा, परिवहन एवं अन्य प्रबंधों पर करीब 1.18 करोड़ डॉलर का खर्च आयेगा.
अंतिम संस्कार से कुछ घंटे पहले मेहमान सुरक्षा जांच के लिए तोक्यो के ‘बुडोकन मार्शल आर्ट एरिना’ में इकट्ठा होंगे. किसी भी तरह का खाने-पीने का सामान अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होगी और कैमरों के उपयोग की अनुमति केवल मीडिया के लिए होगी. लगभग 1,000 जापानी सैनिक कार्यक्रम स्थल के चारों ओर तैनात रहेंगे. आबे की पत्नी अकी आबे के बाद किशिदा सहित सरकार, संसदीय और न्यायिक प्रणाली से जुड़े प्रतिनिधि शोक प्रकट करेंगे और मौजूद लोगों को संबोधित करेंगे.