सरकार दिवालिया घोषित कर कुछ कंपनियों के प्रवर्तकों को बचा रही :कांग्रेस
नयी दिल्ली. कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड के जरिये दिवालिया घोषित कर कुछ कंपनियों के प्रवर्तकों को बचा रही है. पार्टी ने एमटेक समूह के दिवालियापन की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की भी मांग की.
कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार को एमटेक आॅटो के दिवालियापन की अर्नस्ट एंड यंग (ईवाई) की आॅडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों की जांच का आदेश देना चाहिए. निरूपम ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि एमटेक समूह ने अपनी 70 प्रतिशत से अधिक संपत्ति और कोष को 129 फर्जी कंपनियों में हस्तांतरित कर दिया.
उन्होंने आॅडिट रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘एमटेक समूह की कंपनियों ने 25,000 करोड़ रुपये का रिण भारतीय बैंकों से लिया था. कंपनी को 1,500 करोड़ रुपये में बेच दिया गया. इसके प्रवर्तकों ने 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति को बट्टे खाते में डाल दिया और 12,500 करोड़ रुपये का कोष फर्जी कंपनियों में हस्तांतरित कर दिया. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ईवाई रिपोर्ट हमारे सामने है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कंपनी के प्रवर्तकों को क्यों बचाया जा रहा है?’’
निरूपम ने आरोप लगाया , ‘‘कोई और एजेंसी नहीं बल्कि सीबीआई इस विषय की जांच कर सकती है क्योंकि ऐसा लगता है कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के साथ मिलीभगत है और इस घोटाले में राष्ट्रीय कंपनी विधिक अधिकरण (एनसीएलटी) की भी संलिप्प्तता प्रतीत होती है. ’’ उन्होंने पिछले पांच वर्षों के आधिकारिक आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि बैंकों के साथ छह लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है.
निरूपम के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि कंपनियों के दिवाला मामलों का हल करने के नाम पर संस्थागत भ्रष्टाचार किया जा रहा है. निरूपम ने कहा, ‘‘(वित्त मंत्री) निर्मला सीतारमण जी सदा कहती हैं कि कंपनियों ने संप्रग के शासनकाल में रिण लिया था. लेकिन रिण नहीं चुकाना और धन की धोखाधड़ी मोदी सरकार के तहत हो रही है.’’ उन्होंने एमटेक मामले की तुलना एबीजी शिपयार्ड के साथ भी की.
फरवरी में सीबीआई ने एबीबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, इसके पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रिषी कमलेश अग्रवाल के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था. आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व वाले रिणदाताओं के एक समूह के साथ कथित धोखाधड़ी करने को लेकर यह मामला दर्ज किया गया था.