पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने राज्य विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव किया पेश

चंडीगढ़. राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा सत्र आयोजित करने की मंजूरी दिए जाने के दो दिन बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया. राजभवन और आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार के बीच टकराव के बाद राज्यपाल ने राज्य विधानसभा का सत्र आयोजित करने की स्वीकृति दी थी.

विधानसभा अध्यक्ष कुलतार ंिसह संधवां ने जब घोषणा की कि मुख्यमंत्री विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो विधायकों-अश्विनी शर्मा और जंगीलाल महाजन ने सदन से र्बिहगमन किया. सदन में मान ने कांग्रेस पर भाजपा के ‘आॅपरेशन लोटस’ का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके विधायक सदन में चर्चा से बचे के लिए भाग गए.

आप ने दावा किया था कि ‘आॅपरेशन लोटस’ के तहत भाजपा ने उसकी छह महीने पुरानी सरकार को गिराने के लिए पच्चीस-पच्चीस करोड़ रुपये की पेशकश के साथ उसके कम से कम 10 विधायकों से संपर्क किया. इसके बाद मान 22 सितंबर को एक विशेष सत्र बुलाना चाहते थे. राज्यपाल ने 21 सितंबर को इस विशेष विधानसभा सत्र को आयोजित करने की अनुमति तब वापस ले ली थी जब आप सरकार “केवल विश्वास प्रस्ताव” लाना चाहती थी.

इसके बाद उन्होंने मंगलवार को सदन बुलाने के राज्य सरकार के अनुरोध को तब मंजूरी दी थी, जब उन्हें सूचित किया गया कि एक दिवसीय सत्र के दौरान पराली जलाने, माल और सेवा कर तथा बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. चर्चा के दौरान मान ने राजस्थान के राजनीतिक संकट को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस ऐसी स्थिति में है कि कोई भी पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता. उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के विश्वस्त विधायकों ने कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों से मुलाकात नहीं की थी.

मान ने भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि पार्टी का मानना है कि हर जगह उसे ही सत्ता में होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के तीन करोड़ लोगों ने हम पर भरोसा जताया है… मुझे अपने 91 सिपाहियों (आप विधायकों) पर पूरा भरोसा है.’’ भाजपा के दो विधायकों ने जहां बहिर्गमन किया, वहीं सदन की कार्यवाही को बाधित करने को लेकर अध्यक्ष ने कुछ कांग्रेस विधायकों का नाम लिया. दो मौकों पर 10 मिनट के लिए बैठक को स्थगित करना पड़ा. दूसरी बार बैठक स्थगित होने के बाद फिर से कार्यवाही शुरू होने पर जब कांग्रेस विधायक सदन से नहीं गए तो विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शल को उन्हें बाहर ले जाने का निर्देश दिया.

विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी आदेश दिया कि कांग्रेस विधायक मंगलवार को सदन की शेष कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे. विपक्षी खेमे में केवल शिअद विधायक, एकमात्र बसपा विधायक और एकमात्र निर्दलीय विधायक सदन में मौजूद थे. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पंजाब के मंत्री अमन अरोड़ा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ‘‘हमारा विरोध करने के लिए भाजपा की ‘बी टीम’ की तरह काम कर रही है.’’ विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मान और अरोड़ा के बोलने के बाद, अध्यक्ष ने सदन को बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दिया. उस दिन विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी.

राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में आप के 92 विधायक, कांग्रेस के 18, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के तीन, भाजपा के दो, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक और एक निर्दलीय विधायक है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विपक्ष के नेता प्रताप ंिसह बाजवा ने आप सरकार के सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश करने के कदम पर सवाल उठाया. बाजवा ने कहा कि पंजाब विधानसभा के नियम में कहीं भी जिक्र नहीं है कि सत्तारूढ़ पार्टी विश्वास प्रस्ताव ला सकती है.

बाजवा ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि सदन की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में जब उन्होंने विश्वास प्रस्ताव के बारे में पूछा तो कोई जवाब नहीं दिया गया. उन्होंने विश्वास प्रस्ताव लाए जाने की राज्यपाल द्वारा अनुमति न दिए जाने जिक्र करते हुए कहा कि इसका मतलब है कि संवैधानिक प्रमुख (पंजाब के राज्यपाल) के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया जा रहा है.

बाजवा ने कहा कि देखा जाए तो आपने राज्यपाल की शक्तियों को चुनौती दी है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसकी ंिनदा करता हूं.’’ सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद कांग्रेस सदस्यों ने जानना चाहा कि शून्यकाल होगा या नहीं क्योंकि उन्हें कुछ निश्चित मुद्दों पर चर्चा करनी है. जब मान और मंत्री अमन अरोड़ा बोलने के लिए उठे तो कांग्रेस सदस्यों ने बार-बार व्यवधान डाला.

विधानसभा अध्यक्ष ने इसके बाद कहा कि वे नारे नहीं लगाएं और सदन के बीचोंबीच नहीं आएं. मान ने भी कांग्रेस विधायकों पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘‘जो हमें कानून का पाठ पढ़ाना चाहते हैं, उन्हें पहले अपना घर संभालना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा में वे अपना घर नहीं संभाल सके. आप यहां किसी भी बात पर बहस नहीं होने देते और बाहर आप मांग करते हैं कि सदन की अवधि लंबी होनी चाहिए.’’ मान ने विपक्ष के नेता से कहा, ‘‘श्रीमान बाजवा, इसका मतलब है कि ‘आॅपरेशन लोटस’ के नाकाम होने से आपको कुछ नुकसान हो रहा है.’’

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