दुर्गा पूजा: अष्टमी पुष्पांजलि पर अब श्लोक पढ़े जाएंगे बांग्ला भाषा में
कोलकाता. दुर्गा पूजा की महाअष्टमी पर पुष्पांजलि रस्म के लिए अब संस्कृत के श्लोंकों को अनुवाद कर, बांग्ला भाषा में पढ़ा जाएगा तथा इसके लिए विद्वान, भाषाविद् और पुजारी एक साथ आए हैं. संस्कृत के विद्वान नृसिंह प्रसाद भादुड़ी, भाषाविद् पबित्र सरकार और करीब 60 वर्षों तक दुर्गा पूजा अनुष्ठान कर चुके पुजारी कालीप्रसन्न भट्टाचार्य बांग्ला को बढ़ावा देने के अभियान के तहत इस पहल के लिए एक साथ आए हैं.
भादुड़ी ने पीटीआई-भाषा को बताया ‘‘भक्ति हृदय में निहित होती है, उस भाषा में नहीं जिसमें श्लोकों का उच्चारण किया जाता है. प्रार्थना हमेशा उस भाषा में करना बेहतर होता है, जिसे हम जानते हैं और समझते हैं, बजाय इसके कि इसे संस्कृत में आधा अर्थ समझे बिना किया जाए.’’ पुष्पांजलि और संधि पूजा सहित चार दिवसीय त्योहार महाअष्टमी पर अनुष्ठान का दूसरा दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान पूजा में संस्कृत में लिखे गए श्लोक पढ़े जाते हैं. संस्कृत भाषा को ‘देव भाषा’ या दिव्य भाषा भी कहा जाता है.
भले ही दुर्गा पूजा के दौरान कई दिनों तक पुष्पांजलि या फूल चढ़ाए जाते हैं लेकिन महाअष्टमी पर बड़ी पूजा की जाती है, जिसमें हजारों लोग अनुष्ठान में भाग लेने के लिए पंडालों में कतारबद्ध होते हैं.
बांग्ला में अनुवाद के बाद श्लोकों को एक पुस्तक में संकलित किया गया है, जिसे कोलकाता की पूजा समितियों में वितरित किया गया है. विदेश में रहने वाले बांग्ला तकनीकी विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा शुरू किए गए अभियान के प्रमुख श्रीमंत चौधरी ने कहा कि अगर कोई अनुवाद की सटीकता की जांच करना चाहता है तो संस्कृत के श्लोक भी किताब में हैं.
उन्होंने कहा कि बांग्ला श्लोकों को पीडीएफ या आॅडियो प्रारूप में मंत्रबांग्ला डॉट ओआरजी से डाउनलोड किया जा सकता है. आॅडियो प्रारूप में श्लोकों का उच्चारण प्रसिद्ध वक्ता सतीनाथ मुखर्जी ने किया है. उन्होंने कहा कि इस साल पश्चिम बंगाल में लगभग 250 दुर्गा पूजा समितियां बांग्ला में अनुष्ठान करेंगी. न केवल सामुदायिक पूजा, बल्कि कई ‘बोनी बारी’ या पारंपरिक घरों में भी इन छंदों के साथ पूजा की जाएगी. मुखर्जी ने कहा कि कुछ आवासीय परिसरों में भी बांग्ला श्लोक पढ़ते हुए अनुष्ठान किया जाएगा.