संसद में ‘राजदंड’ स्थापित किया जाना नए भारत की प्रतीकात्मकता का हिस्सा: माकपा
नयी दिल्ली. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राजदंड (सेंगोल) पकड़ने और इसे संसद में स्थापित करने के लिए धर्मगुरुओं के एक समूह के साथ चलने का दृश्य उस नए भारत की प्रतीकात्मकता का हिस्सा है जो ‘हिंदू राष्ट’ का दूसरा रूप है. वामपंथी दल ने अपने मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में लिखे एक ताजा संपादकीय में कहा है कि यह सब भारतीय लोकतंत्र के सिद्धांत के प्रतिकूल है.
संपादकीय में कहा गया है, ”यह भारत गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के भी खिलाफ है क्योंकि एक धार्मिक प्रतीक को संसद में प्रमुख स्थान पर स्थापित किया गया है. 28 मई के दिन को संसद के नए भवन के उद्घाटन के लिए चुना गया क्योंकि इस दिन वी डी सावरकर की जयंती होती है. इसने भी नए भारत के विमर्श को गढ.ने का काम किया है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक राजदंड (सेंगोल) को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया.