हम अपने रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देने के लिए काम करते रहेंगे: मोदी

भारत,नेपाल ने सीमा विवाद का हल सौहार्दपूर्ण तरीके से करने का संकल्प लिया;कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का हल ‘मैत्री की भावना’ से करने का बृहस्पतिवार को संकल्प लिया. साथ ही, इस पड़ोसी देश (नेपाल) से अगले 10 वर्षों में बिजली का आयात मौजूदा 450 मेगावाट से बढ़ा कर 10,000 मेगावाट करने सहित कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए.

मोदी और प्रचंड के बीच हुई व्यापक वार्ता में, भारतीय पक्ष 40 मेगावाट तक बिजली भारत के मार्फत नेपाल से बांग्लादेश को निर्यात किये जाने के प्रथम त्रिपक्षीय ऊर्जा कारोबार पर सहमत हुआ. इस कदम को वृहद क्षेत्रीय सहयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है.

मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों को हिमालय की ऊंचाई तक ले जाने के लिए प्रयास जारी रखेंगे. भारत और नेपाल ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें ‘ट्रांजिट’ की एक संशोधित संधि शामिल है, जिसे विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि यह नेपाल को भारत के अंतरदेशीय जलमार्गों तक पहुंच उपलब्ध कराएगी और इससे व्यापार एवं निवेश में बहुत योगदान मिलने की उम्मीद है.

दोनों पक्षों ने संपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को विस्तारित करने के लिए एक भविष्योन्मुखी रुख के तहत जलविद्युत, पेट्रोलियम से संबद्ध बुनियादी ढांचा, रेल संपर्क, सीमा के आरपार भुगतान प्रणाली और व्यापार तथा निवेश में सहयोग विस्तारित करने की कई नयी पहल को भी ठोस रूप दिया. बैठक के बाद, मोदी ने अपने प्रेस बयान में कहा कि उन्होंने और प्रचंड ने भविष्य में दोनों देशों के बीच साझेदारी को ‘सुपर हिट’ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं.

मोदी ने प्रचंड की मौजूदगी में कहा, ‘‘हम अपने संबंधों को हिमालय की ऊंचाई तक ले जाने का प्रयास जारी रखेंगे. और इस भावना के साथ, हम सभी मुद्दों का समाधान करेंगे, चाहे वह सीमा विवाद से संबद्ध हो या कोई अन्य मुद्दा हो.’’ भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये प्रचंड ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उन्होंने और मोदी ने सीमा मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री मोदीजी से, स्थापित राजनयिक तंत्र के माध्यम से सीमा मुद्दे का हल करने का अनुरोध किया.’’ काठमांडू द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था. उसमें तीन भारतीय क्षेत्रों–लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख–को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था.

प्रेस वार्ता के दौरान, सीमा विवाद के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव क्वात्रा ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की टिप्पणियों का हवाला दिया और कहा कि वे ना केवल दोनों नेताओं के इरादे और दो प्रणालियों की बात कर रहे हैं, बल्कि वे उस तरीके की भी बात कर रहे हैं जिसके जरिये वे इसे आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या वार्ता के दौरान चीन पर चर्चा हुई, क्वात्रा ने कहा कि चर्चा में व्यापक घटनाक्रमों और चुनौतियों को शामिल किया गया. उन्होंने कहा कि चुनौतियों को दूर करने में दोनों देशों के बीच सहयोग के तरीके पर चर्चा की गई. मोदी ने अपनी टिप्पणी में, नौ साल पहले प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद नेपाल के साथ संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्राथमिकता का भी जिक्र किया.

उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है, नौ साल पहले 2014 में पदभार संभालने के तीन महीने के भीतर मैंने नेपाल की अपनी पहली यात्रा की थी. उस समय मैंने भारत-नेपाल संबंधों के लिए ‘हिट’ फॉर्मूला दिया था- राजमार्ग, आई-वे और ट्रांस-वे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि हम भारत और नेपाल के बीच ऐसे संबंध स्थापित करेंगे कि हमारी सीमाएं हमारे बीच बाधा न बनें.’’ मोदी ने कहा कि उन्हें नौ साल बाद यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि ‘हमारी साझेदारी वास्तव में हिट’ रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत और नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने और मजबूत हैं. इस सुन्दर कड़ी को और मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और मैंने निश्चय किया है कि रामायण र्सिकट से संबंधित परियोजनाओं में तेजी लाई जानी चाहिए.’’ वार्ता के बाद, मोदी और प्रचंड ने डिजिटल माध्यम से रेल लाइन के बिजलपुरा खंड का उद्घाटन किया, बथनाहा(भारत) से नेपाल कस्टम यार्ड तक के लिए एक मालगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया तथा भारत के रुपइडीहा और नेपाल के नेपालगंज में एकीकृत जांच चौकियों का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया.

वे भैरवाहा (नेपाल) और सोनौली (भारत) में एकीकृत जांच चौकी के शिलान्यास समारोह में भी शामिल हुए. उन्होंने गोरखपुर-भुटवाल ट्रांसमिशन लाइन के भारतीय हिस्से के निर्माण के लिए परियोजना की भी शुरूआत की. मोदी ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष हमने बिजली क्षेत्र में सहयोग के लिए एक ऐतिहासिक दृष्टिपत्र दस्तावेज अपनाया था. इसे आगे बढ़ाते हुए आज भारत औरÞ नेपाल के बीच दीर्घकालीन बिजली व्यापार समझौता किया गया है. इसके अंतर्गत हमने आने वाले 10 वर्षों में नेपाल से 10,000 मेगावाट बिजली का आयात करने का लक्ष्य रखा है.’’ वर्तमान में, भारत नेपाल से करीब 450 मेगावाट बिजली का आयात करता है.

मोदी ने कहा कि मोतिहारी-अमलेहगंज पाइपलाइन के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए इस पाइपलाइन को चितवन तक ले जाने का निर्णय किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सिलीगुड़ी से पूर्वी नेपाल में झापा तक और एक नई पाइपलाइन भी बिछाई जाएगी. साथ साथ चितवन और झापा में नए भंडारण र्टिमनल भी बनाये जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने नए रेल ंिलक स्थापित कर भौतिक संपर्क बढ़ाने का निर्णय किया.’’ साथ ही, भारतीय रेल संस्थानों में नेपाल के रेलर्किमयों को प्रशिक्षण प्रदान करने का भी निर्णय किया गया है. नेपाल के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र से संपर्क को बढ़ावा देने के लिए शिरशा और जुलाघाट में और दो पुल बनाए जाएंगे. क्वात्रा के अनुसार, भारत ने करीब 68 करोड़ अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता के तहत तीन बड़े ट्रांसमिशन कॉरिडोर का वित्तपोषण करने का फैसला किया है.

प्रचंड ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि उन्होंने और मोदी ने संबंधों में प्रगति की ‘व्यापक समीक्षा’ की और संबंधों एवं सहयोग को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि वह मोदी की ‘पड़ोस पहले की नीति’ की सराहना करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल और भारत के बीच संबंध सदियों पुराने और बहुआयामी हैं. यह संबंध एक तरफ सभ्यतागत, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक संबंधों की समृद्ध परंपरा से निर्मित ठोस नींव पर खड़े हैं तो दूसरी तरफ संप्रभु समानता, आपसी सम्मान, समझ और सहयोग के समय की कसौटी पर खरे उतरे सिद्धांत के प्रति दोनों देशों की दृढ़ प्रतिबद्धता पर आधारित हैं .’’

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने व्यापार, ट्रांजिट, निवेश, पनबिजली, बिजली व्यापार, ंिसचाई, बिजली पारेषण लाइन, पेट्रोलियम पाइपलाइन के विस्तार, एकीकृत जांच चौकी और भूमि और हवाई संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत के आर्थिक और विकास परिदृश्य के उल्लेखनीय बदलाव को देखकर खुश हैं. मैं कई मोर्चों पर दूरगामी उपलब्धियों के साथ सरकार में नौ साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देता हूं.’’ इसके बाद एक ट्वीट में मोदी ने प्रचंड के साथ बातचीत को उत्पादक करार दिया.

मोदी ने कहा ” प्रधानमंत्री प्रचंड और मैंने पिछले कुछ वर्षों में भारत-नेपाल संबंधों में हुई प्रगति और इस सहयोग को और भी प्रगाढ़ करने के तरीकों पर उत्पादक बातचीत की. इस चर्चा में वाणिज्य, ऊर्जा, संस्कृति और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्रमुखता से शामिल किया गया.” नेपाल, क्षेत्र में अपने समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेताओं ने अक्सर सदियों पुराने ‘रोटी-बेटी’ संबंधों पर ध्यान दिया है. यह दोनों देशों के लोगों के बीच ब्याह शादी के रिश्तों को संर्दिभत करता है.
नेपाल पांच भारतीय राज्यों – सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक सीमा साझा करता है.

चारों ओर से जमीन से घिरा नेपाल वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर अत्यधिक निर्भर है. समुद्र तक नेपाल की पहुंच भारत के माध्यम से है और वह भारत से तथा उससे होते हुए अपनी आवश्यकताओं का एक प्रमुख अनुपात आयात करता है. साल 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार है.

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