‘किसी कीमत पर इस्तीफा न दें केजरीवाल, जेल से चलाएं सरकार’, पत्नी सुनीता से मिलकर बोले 6 मंत्री समेत 55 विधायक
शराब घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से आम आदमी पार्टी (AAP) में हलचल बढ़ गई है. इस बीच मंगलवार को पार्टी के विधायकों ने सुनीता केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की. विधायकों ने सुनीता केजरीवाल से कहा कि दिल्ली की दो करोड़ जनता केजरीवाल के साथ खड़ी है.
आम आदमी पार्टी के छह मंत्रियों सहित कुल 55 विधायकों ने अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता से मुलाकात की है. इस दौरान विधायकों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल किसी भी कीमत पर इस्तीफा नहीं दें. वे जेल से ही सरकार चलाएं.
इस बीच मंगलवार को ही दिल्ली कैबिनेट मंत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सिलसिलेवार कई दावे किए थे. इसके बाद पार्टी के एक और बड़े नेता सौरभ भारद्वाज ने भी केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था.
दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी मार्लेना ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि मेरे बहुत करीबी व्यक्ति के माध्यम से मुझे भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन करने के लिए अप्रोच किया गया. मुझे ये कहा गया कि या तो मैं बीजेपी में शामिल हो जाऊं और अपना राजनीतिक करियर बचा लूं. अगर भाजपा ज्वॉइन नहीं करी तो आने वाले एक महीने में मुझे एक महीने में अरेस्ट कर लिया जाएगा.
उन्होंने कहा था कि अगले कुछ दिनों में आम आदमी पार्टी के कुछ और नेताओं को गिरफ्तार किया जा सकता है. आतिशी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री और बीजेपी ने अपना मन बना लिया है. वे आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को कुचलना चाहते हैं, खत्म करना चाहते हैं.’
शराब घोटाले में गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था. दिल्ली शराब घोटाले में उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट ने 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था. अपनी गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है. आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और जरूरत पड़ने पर जेल से सरकार चलाएंगे.
क्या थी नई शराब नीति?
– 22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई.
– नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई. और पूरी शराब की दुकानें निजी हाथों में चली गई.
– नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी.
– हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी.