पेलोसी की ताइवान की सफल यात्रा के बाद चीन ने ‘कड़ी’ जवाबी कार्रवाई की धमकी दी

ताइपे/बीजिंग/इस्लामाबाद. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइपे की सफल यात्रा के बाद चीन ने बुधवार को कहा कि वह ‘‘एक-चीन नीति’’ का उल्लंघन करने को लेकर अमेरिका और ताइवान के खिलाफ ‘‘कठोर एवं प्रभावी’’ जवाबी कदम उठाएगा.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनंियग ने यहां एक मीडिया ब्रींिफग में कहा, “हम वही करेंगे जो हमने कहा है. कृपया थोड़ा धैर्य रखें.” चीन कहता रहा है कि ताइवान उसका अलग हुआ हिस्सा है और एक दिन यह फिर से मुख्य भूमि से जुड़ जाएगा. बींिजग ने स्व-शासित द्वीप को मुख्य भूमि के साथ फिर से जोड़ने के लिए बल प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं किया है.
चुनंियग चीन की सहायक विदेश मंत्री भी हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन अमेरिकी नेता पेलोसी के साथ-साथ राष्ट्रपति त्साई इंग वेन जैसे ताइवानी नेताओं के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है, चुनंियग ने कहा, “हम वही करेंगे जो हमने कहा है. ये उपाय कठोर, प्रभावी और दृढ़ होंगे.” पेलोसी की सफल ताइवान यात्रा के बाद चीन की कथनी और करनी को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इसने अमेरिकी सदन की अध्यक्ष की यात्रा से पहले धमकी दी थी कि वह इसे नहीं होने देगा.

चीन की धमकी को कोई तवज्जो दिए बिना पेलोसी मंगलवार रात अमेरिकी वायुसेना के विमान से ताइपे पहुंची थीं. उनकी यह यात्रा दुनियाभर की सुर्खियों में छा गई. पेलोसी (82) ताइवान की अपनी सफल यात्रा के बाद बुधवार को ताइपे से रवाना हो गईं.

चीन के विरोध के बीच पेलोसी ने सम्पन्न की ताइवान यात्रा

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी चीन के विरोध के बीच अपनी ताइवान यात्रा सम्पन्न करके यहां से बुधवार को रवाना हो गईं. पेलोसी और पांच अन्य संसद सदस्य यहां से दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुए. एशिया की यात्रा के तहत पेलोसी का ंिसगापुर, मलेशिया और जापान जाने का भी कार्यक्रम है.

इससे पहले, ताइवान की यात्रा पर पहुंचे अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा. पेलोसी पिछले 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पहली अध्यक्ष हैं. ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त बयान में उन्होंने कहा था, ‘‘आज विश्व के सामने लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक को चुनने की चुनौती है. ताइवान और दुनियाभर में सभी जगह लोकतंत्र की रक्षा करने को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग है.’’

ताइवान को अपना क्षेत्र बताने और ताइवान के अधिकारियों की विदेशी सरकारों के साथ बातचीत का विरोध करने वाले वाले चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के मंगलवार रात ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचने के बाद द्वीप के चारों ओर कई सैन्य अभ्यासों की घोषणा की और कई कड़े बयान भी जारी किए.

वहीं, चीन के उप विदेश मंत्री शी फेंग ने चीन में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स को मंगलवार देर रात तलब किया और पेलोसी की यात्रा पर कड़ा विरोध व्यक्त किया. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर के अनुसार, शी फेंग ने कहा कि चीन के विरोध के बावजूद यात्रा जारी रखने के कारण अमेरिका को उसकी ‘‘गलतियों’’ की ‘‘कीमत चुकानी’’ होगी.

खबर के अनुसार, शी फेंग ने अमेरिका से तत्काल इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने, पेलोसी की ताइवान यात्रा के कारण उत्पन्न होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को पलटने के लिए व्यावहारिक उपाय करने को कहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका को और गलत रास्ते पर नहीं बढ़ना चाहिए, जिससे कि ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़े और चीन-अमेरिका के संबंध इतने बिगड़ जाएं कि वापस पटरी पर ना लौट सकें.

पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन, अमेरिका के सहयोगी दो खेमों में बंटे

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर उन्हें अपने देश में भरपूर समर्थन मिल रहा है. साथ ही दुनिया भर के कई लोकतांत्रिक देशों ने भी पेलोसी की यात्रा के प्रति समर्थन जताया है. इस बीच, चीन के सहयोगी देशों ने उसका समर्थन जताया है. चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र होने का दावा करता है. पेलोसी की यात्रा को लेकर चीन और अमेरिका के सहयोगियों के दो खेमों में बंट जाना बींिजग के बढ़ते वैश्विक प्रभाव के साथ ही विश्व के उदार देशों की ओर से यात्रा के लिए आ रही सकारात्मक प्रतिक्रिया को भी दर्शाता है.

हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने पेलोसी की यात्रा का खुलकर समर्थन नहीं किया है. बाइडन ने कहा है कि सेना महसूस करती है कि दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनाव के दौरान मौजूदा समय में यह (यात्रा) एक ‘‘अच्छा विचार नहीं था.’’ आॅस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने बुधवार को पेलोसी की यात्रा के संबंध में कोई टिप्पणी करने से इंकार किया. हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां हमारे क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और तनाव में इजाफा हुआ है तथा चीन ने क्षेत्र में अधिक आक्रामक रुख अपनाया है.’’

अल्बानीज ने कहा, ‘‘ लेकिन, ताइवान को लेकर हमारा रुख साफ है. हम यथास्थिति में कोई बदलाव देखना नहीं चाहते और ताइवान क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए हम साझेदारों के साथ मिलकर कार्य करना जारी रखेंगे.’’ जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाजु मात्सुनो भी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर टिप्पणी करने से बचते नजर आये. हालांकि, उन्होंने समुद्री क्षेत्र में चीन के योजनाबद्ध सैन्य अभ्यास को लेकर ंिचता जतायी, जिसमें जापान का विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है.

मात्सुनो ने कहा, ‘‘ताइवान जलडमरूमध्य की शांति और स्थिरता ना केवल जापान बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी अहम है. जापान का रुख यह है कि ताइवान से जुड़े मुद्दों का वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया जाना चाहिए.’’ इस बीच, चीन के सहयोगी उत्तर कोरिया ने यात्रा पर निशाधा साधते हुए अमेरिका पर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालने का आरोप लगाया. चीन के अन्य सहयोगी रूस ने पेलोसी की यात्रा को स्पष्ट तौर पर अमेरिका की उकसाने वाला कदम करार दिया. रूसी सरकार ने एक बयान में कहा कि ताइवान के मुद्दे पर चीन को अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के संबंध में उपाय करने का अधिकार है.

क्षेत्रीय शांति के लिए पेलोसी की ताइवान यात्रा के ‘गंभीर निहितार्थ’ होंगे : पाकिस्तान

पाकिस्तान ने अपने करीबी सहयोगी चीन के प्रति समर्थन जताते हुए बुधवार को कहा कि क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के ‘‘गंभीर निहितार्थ’’ होंगे. चीन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए पेलोसी मंगलवार रात को ताइपे पहुंचीं. वह पिछले 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली सर्वोच्च पदस्थ अमेरिकी अधिकारी हैं. पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी.

यहां विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान ताइवान में मौजूदा घटनाक्रम को लेकर बेहद ंिचतित है, जिसके क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए ‘‘गंभीर निहितार्थ’’ होंगे. पाकिस्तान ने ‘एक-चीन नीति’ के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी और चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पुरजोर समर्थन किया. बयान में कहा गया कि यूक्रेन युद्ध के चलते पहले ही विश्व एक नाजुक सुरक्षा स्थिति से गुजर रहा है तथा दुनिया अब एक और ऐसे संकट का सामना नहीं कर सकती, जिसके वैश्विक शांति, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक परिणाम हों.

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