पश्चिम बंगाल मंत्रिपरिषद का विस्तार, नौ मंत्रियों ने शपथ ली

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मंत्रिपरिषद में हुए व्यापक फेरबदल के तहत बुधवार को बाबुल सुप्रियो समेत नौ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. राजभवन में राज्यपाल ला गणेशन ने सुप्रियो के अलावा स्रेहाशीष चक्रवर्ती, पार्थ भौमिक, उदयन गुहा और प्रदीप मजूमदार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलायी.

मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी नेता बीरबाहा हांसदा और बिप्लब रॉय ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ ली. वहीं, तजमुल हुसैन और सत्यजीत बर्मन ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. राज्य मंत्री पद पर रहीं हांसदा को पदोन्नत करते हुए राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है.

मंत्रियों को विभागों की घोषणा बाद में की जाएगी. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री बनर्जी के अलावा कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहे.
पिछले साल तीसरी बार राज्य की सत्ता में आने के बाद मंत्रिपरिषद में पहला फेरबदल ऐसे समय में किया गया, जब स्कूल भर्ती घोटाला मामले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद पार्टी संकट का सामना कर रही है.

मुख्यमंत्री बनर्जी ने सोमवार को पार्टी में व्यापक फेरबदल किया था. उन्होंने कहा था कि मंत्रिपरिषद में चार-पांच नये चेहरों को शामिल किया जाएगा जबकि इतने ही मंत्रियों को पार्टी संगठन में भेजा जाएगा. तृणमूल कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मंत्रिपरिषद में आठ नए चेहरों को शामिल करने और चार अन्य को हटाए जाने की संभावना के मद्देनजर 2011 में राज्य में पहली बार पार्टी के सत्ता में आने के बाद से यह सबसे बड़ा फेरबदल है.

फेरबदल में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की छाप साफ दिखी क्योंकि शपथ लेने वालों में से ज्यादातर उनके करीबी माने जाते हैं. सुप्रियो वर्तमान में कोलकाता के बालीगंज विधानसभा सीट से विधायक हैं. तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पहले सुप्रियो भाजपा नीत केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे. सुप्रियो के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने में अभिषेक बनर्जी की अहम भूमिका रही थी.
सुप्रियो ने कहा, ‘‘पिछले साल अगस्त में मैंने (भाजपा) छोड़ी थी और आज मुझे पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री बनाया गया है. मैं पश्चिम बंगाल के लोगों के विकास के लिए कड़ा परिश्रम करूंगा.’’

बाबुल सुप्रियो : गायक से भाजपा का चेहरा बनने से लेकर ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद का सफर

पश्चिम बंगाल में बुधवार को ममता बनर्जी मंत्रिपरिषद में मंत्री पद की शपथ लेने वाले मशहूर गायक रहे बाबुल सुप्रियो (51) का सियासी सफर भी उनकी गायकी जितना ही दिलचस्प रहा है. कभी बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘पोस्टर बॉय’ रहे सुप्रियो तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार में मंत्री पद संभाल चुके हैं.

शहर में बैंकर की नौकरी से अपने सफर की शुरुआत करने वाले सुप्रियो ने गायकी की दुनिया में भी अपना लोहा मनवाया. योग गुरु रामदेव के सपंर्क में आने के बाद सुप्रियो को भाजपा नीत केंद्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला. हालांकि, पिछले साल टॉलीगंज विधानसभा सीट से 50,000 हजार मतों के बड़े अंतर से हारने के बाद उन्हें तगड़ा राजनीतिक झटका लगा.

सुप्रियो ने सितंबर 2021 में सभी को चौंकाते हुए भाजपा का दामन छोड़ दिया और बंगाल के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसके बाद उन्होंने अपनी नयी पार्टी के टिकट पर अप्रैल में बालीगंज विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में 1970 में सुप्रिया बराल के रूप में जन्मे बाबुल सुप्रियो ने बैंक की नौकरी छोड़कर गायकी की दुनिया में किस्मत आजमाने के लिए अपना नाम बदल लिया.

गायकी में सफलता पाने के बाद सुप्रियो ने 2014 में राजनीति में कदम रखा और बाबा रामदेव की सिफारिश पर भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिया. भाजपा के साथ राजनीतिक पारी शुरू करने वाले सुप्रियो ने आसनसोल सीट से तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन को मात देकर सभी को चौंका दिया, जिसके बाद सुप्रियो को केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री बनाया गया.

दो साल बाद जुलाई 2016 में मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान उन्हें भारी उद्योग मंत्रालय में जिम्मेदारी सौंपी गयी. 2019 के लोकसभा चुनावों में भी सुप्रियो की जीत का सिलसिला जारी रहा और उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की मुनमुन सेन को 1.97 लाख मतों के भारी अंतर से हराया. इस बार सुप्रियो को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बनाया गया.

भाजपा ने सुप्रियो को अप्रैल 2021 में टॉलीगंज विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के तीन बार के विधायक अरूप विश्वास के खिलाफ मैदान में उतारा. हालांकि, इस बार सुप्रियो को 50,000 से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा. बाद में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ सुप्रियो के संबंधों में खटास आने लगी और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा दिया गया. मंत्री पद से हटाए जाने से आहत सुप्रियो ने कहा था कि वह राजनीति ‘‘छोड़’’ देंगे. बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

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