सुधीर शर्मा का अमित शाह पर पलटवार, कहा- मुख्यमंत्री पद के कई उम्मीदवार कांग्रेस की क्षमता दिखाते हैं
धर्मशाला: कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों में से एक माने जाने वाले सुधीर शर्मा ने कहा कि शीर्ष पद के लिए कई चेहरों का होना दर्शाता है कि उनकी पार्टी के पास सक्षम नेता हैं। यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस तंज के जवाब में आई है जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए सात-आठ उम्मीदवार हैं।
शाह ने बुधवार को हमीरपुर जिले के नादौन में एक रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस ‘राजाओं और रानियों’ की पार्टी है और भले ही हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के कई उम्मीदवार मैदान में हों, लेकिन वास्तव में किसी को भी मौका नहीं मिलेगा। धर्मशाला निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सुधीर शर्मा ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि और भी उम्मीदवार हो सकते हैं।
शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से साक्षात्कार में कहा, ‘‘और भी (मुख्यमंत्री उम्मीदवार) हो सकते हैं, एक प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि यह लोकतंत्र है और यह अच्छी बात है। यह होना चाहिए। इसका मतलब है कि हमारे पास कई सक्षम उम्मीदवार हैं और बहुत सारे विकल्प हैं।’’ कांग्रेस शासन के दौरान 2012-17 में आवास और शहरी विकास तथा नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री रहे शर्मा ने दावा किया , ‘‘भाजपा के पांच साल के मुख्यमंत्री के नाम पर वोट नहीं डाले जा रहे हैं और लोग उनकी (भाजपा) रैलियों में शामिल नहीं हो रहे हैं।’’
शर्मा ने दावा किया, ‘‘यहां के भाजपा कार्यकर्ता तक पार्टी से निराश और नाराज हैं क्योंकि आम आदमी के काम को भूल जाइए, उनकी खुद की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है।’’ विकास के दावों को खारिज करते हुए, जो हिमाचल प्रदेश में भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा है, शर्मा ने कहा कि धर्मशाला को पिछले पांच वर्षों में उपेक्षा का सामना करना पड़ा है और यहां तक ??कि यहां लाई गई परियोजनाओं को भी शुरू नहीं किया गया है।
उन्होंने दावा किया, ”भाजपा को न केवल इस क्षेत्र के बल्कि राज्य के विकास के बारे में भी बात करनी चाहिए। इस क्षेत्र को उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। पिछले पांच वर्षों में जयराम ठाकुर सरकार की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है।” धर्मशाला में विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में बदल गया है, जिसमें भाजपा-के बागी विपिन नेहरिया निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। नेहरिया गद्दी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिनकी मतदाताओं में अच्छी खासी हिस्सेदारी है।
भाजपा ने मौजूदा विधायक विशाल नेहरिया को टिकट देने से इनकार कर दिया और राकेश कुमार चौधरी को मैदान में उतारा, जो ओबीसी समुदाय से हैं, जो कांगड़ा जिले का एक प्रमुख वोट बैंक है। चौधरी ने कहा कि उन्होंने यहां पर्यटन के विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर, उन्होंने कहा, ‘‘केवल भाजपा ही केंद्र के समर्थन से इस मुद्दे को हल कर सकती है। कांग्रेस पुरानी पेंशन योजना देने के लंबे-चौड़े दावे कर रही है। भाजपा के तत्कालीन बागी चौधरी ने 2019 में हुए पिछले उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और नेहरिया से 6,758 मतों के अंतर से हार गए थे।