पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन

इस्लामाबाद/दुबई. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और 1999 में करगिल युद्ध की योजना बनाने वाले जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को एक लाइलाज बीमारी से वर्षों तक जूझने के बाद दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे.
मुशर्रफ पाकिस्तान में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों से बचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में खुद निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे. उनका दुबई में अमेरिकन हॉस्पिटल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.

उनके परिवार के मुताबिक, मुशर्रफ दुर्लभ बीमारी ‘एमिलॉयडोसिस’ से पीड़ित थे, जिसमें पूरे शरीर के अंगों और ऊतकों में एमिलॉयड नामक एक असामान्य प्रोटीन बनता है. जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ का निधन दुबई के एक अस्पताल में हुआ. उनका अमेरिकन हॉस्पिटल दुबई में इलाज चल रहा था. वह 2016 से दुबई में रह रहे थे.

मुशर्रफ के निधन के फौरन बाद पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई ‘इंटर-र्सिवसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) ने एक बयान जारी कर कहा कि ज्वाइंट चीफ्स आॅफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद और सभी सेवाओं के प्रमुखों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है. बयान में कहा गया, ‘‘अल्लाह उनकी रूह को सुकून अता फरमाए और शोकसंतप्त परिवार को ताकत दें.’’ ‘जियो टीवी’ ने बताया कि मुशर्रफ की पार्थिव देह को सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए पाकिस्तान लाए जाने के वास्ते सोमवार को एक विशेष विमान दुबई भेजा जाएगा.

उनकी बीमारी 2018 में सामने आई थी जब उनकी पार्टी ‘आॅल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ (एपीएमएल) ने घोषणा की कि पूर्व सैन्य शासक एक दुर्लभ बीमारी ‘एमिलॉयडोसिस’ से जूझ रहे हैं. पिछले साल जून में उन्हें तीन सप्ताह के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस समय सोशल मीडिया पर उनके निधन की खबरें प्रसारित होने के बाद उनके परिवार ने एक बयान में कहा था, ‘‘वह एक मुश्किल दौर से जूझ रहे हैं जहां ठीक होना संभव नहीं है और शरीर के अंग ठीक तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. रोजमर्रा की ंिजदगी को आसानी से जीने के लिए प्रार्थना करिए.’’

नवाज शरीफ के छोटे भाई एवं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुशर्रफ के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में उन्होंने कहा, ‘‘खुदा उनके गुनाहों को माफ अता फरमाए और परिवार को संयम दें.’’ सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर दुख जताया और शोकसंतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने मुशर्रफ को ‘‘महान व्यक्ति’’ बताया और कहा कि उनकी विचारधारा हमेशा पाकिस्तान को आगे रखने की थी.

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने परवेज मुशर्रफ के निधन पर शोक जताया
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत कई वरिष्ठ नेताओं और सेना ने रविवार को पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के निधन पर शोक जताया.

राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी शोक संदेश में कहा गया, ‘‘राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पूर्व राष्ट्रपति और जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ के निधन पर दुख जताया है.’’ नवाज शरीफ के छोटे भाई एवं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुशर्रफ के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में शहबाज शरीफ ने कहा, ‘‘खुदा उनके गुनाहों को माफ अता फरमाए और परिवार को संयम दें.’’ मुशर्रफ के निधन के फौरन बाद पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई ‘इंटर-र्सिवसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) ने एक बयान जारी कर कहा कि ज्वाइंट चीफ्स आॅफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है.

बयान में कहा गया, ‘‘अल्लाह उनकी रूह को सुकून अता फरमाए और शोक संतप्त परिवार को ताकत दें.’’ सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर दुख जताया और शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने मुशर्रफ को ‘‘महान व्यक्ति’’ बताया और कहा कि उनकी विचारधारा हमेशा पाकिस्तान को आगे रखने की थी.

परवेज मुशर्रफ: करगिल युद्ध के सूत्रधार से दुबई में निर्वासन तक का सफर

करगिल युद्ध के सूत्रधार और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिरा दिया और नौ साल तक देश पर शासन किया. इस दौरान उन्होंने खुद को एक प्रगतिशील मुस्लिम नेता के रूप में पेश करने का भी प्रयास किया.

दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे मुशर्रफ 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे. उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में स्व-निर्वासन के दौरान बीमारी से जूझते हुए अपने अंतिम वर्ष बिताए. लंबी बीमारी के बाद रविवार को मुशर्रफ का खाड़ी देश में निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे.

सेवानिवृत्त जनरल मुर्शरफ करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार थे, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लाहौर में अपने भारतीय समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के साथ किए गए एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ महीने बाद हुआ था.
करगिल में हार के बाद मुशर्रफ ने 1999 में रक्तहीन तख्तापलट में तत्कालीन प्रधानमंत्री शरीफ को अपदस्थ कर दिया और 1999 से 2008 तक विभिन्न पदों पर पाकिस्तान पर शासन किया. मुर्शरफ ने शुरुआत में पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी के रूप में और बाद में राष्ट्रपति के रूप में शासन किया.

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 2008 में चुनावों की घोषणा करने वाले मुशर्रफ को चुनाव बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और वह दुबई में स्व-निर्वासन में चले गए. मुशर्रफ ने 2010 में अपनी पार्टी ‘आॅल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ बनाई और खुद को पार्टी का अध्यक्ष घोषित किया. वह लगभग पांच साल तक स्व-निर्वासन में रहने के बाद मार्च 2013 में चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान लौटे.

हालांकि, उन्हें विभिन्न मामलों में अदालत में घसीटा गया- जिनमें 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या, पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद छह के तहत राजद्रोह और बुगती जनजाति के प्रमुख नवाब अकबर खान बुगती की हत्या के आरोप शामिल थे.
वर्ष 2019 में, मुशर्रफ को एक विशेष अदालत द्वारा उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई गई थी. अदालत ने उन्हें तीन नवंबर, 2007 को संविधान को दरकिनार कर आपातकाल लागू करने के लिए देशद्रोह का दोषी पाया था.

इस फैसले ने पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना को नाराज कर दिया, जिसने देश के अस्तित्व में आने के बाद से अधिकांश समय तक पाकिस्तान पर शासन किया है. यह पहली बार था जब किसी पूर्व शीर्ष सैन्य अधिकारी को पाकिस्तान में देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई गई. इस सजा को बाद में लाहौर उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.

दुबई में रह रहे मुशर्रफ को बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और लाल मस्जिद के मौलवी की हत्या के मामले में भी भगोड़ा घोषित किया गया था. मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान, पाकिस्तान में आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र से लेकर प्रशासनिक क्षेत्र में कुछ संरचनात्मक सुधार देखने को मिले थे.

अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में मुशर्रफ ने अमेरिका का साथ देने का वादा किया. उन्होंने खुद को एक उदारवादी और प्रगतिशील मुस्लिम नेता के रूप में पेश करने के प्रयास में इस्लामी समूहों पर नकेल कसी और दर्जनों कट्टरपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया.

मुशर्रफ ने 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा की थी और वह 2005 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच को देखने के लिए भी पहुंचे थे. मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने अपने शुरुआती साल – 1949 से 1956 तक – तुर्की में बिताए, क्योंकि उनके पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन अंकारा में तैनात थे.

तुर्की से लौटने के बाद उन्होंने सेंट पैट्रिक हाई स्कूल, कराची और फिर एफ.सी. कॉलेज, लाहौर से पढ़ाई की. वह 1961 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे. मुशर्रफ ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक युवा अधिकारी के रूप में लड़ाई लड़ी और कमांडर के रूप में 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी भाग लिया था. मुशर्रफ की शादी 1968 में हुई थी और उनकी एक बेटी औए एक बेटा है.

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