रेल मंत्री इस्तीफा दें या उन्हें पद से हटाया जाए: कांग्रेस
नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बालासोर रेल हादसे को लेकर सोमवार को एक बार फिर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा और आरोप लगाया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के नाम पर ध्यान भटकाया जा रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व रेल राज्य मंत्री भक्त चरण दास ने यह भी कहा कि सरकार को इस बात का अहसास होना चाहिए कि उसने रेल बजट को खत्म करके गलती की है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार रेलवे सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है.
दास ने संवाददाताओं से कहा, ”अतीत में ऐसी रेल दुर्घटना कभी नहीं हुई. सैकड़ों लोगों की जान चली गई और हजार से ज्यादा लोग घायल हैं…सरकार कह रही है कि दोषियों को दंड मिलेगा. सवाल यही है कि कौन दोषी है?” उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ”राहुल गांधी और पार्टी के अन्य प्रमुख लोग इस्तीफे की मांग कर चुके हैं…रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए या उन्हें (पद से) हटा देना चाहिए. प्रधानमंत्री को अपनी गलती का अहसास होना चाहिए कि रेल बजट को खत्म करना गलती थी.”
दास ने आरोप लगाया, ”सीबीआई जांच के नाम पर देश का ध्यान भटकाया जा रहा है.” उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. इस हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है.
बालासोर रेल हादसे की सीबीआई जांच से ‘राजनीतिक विफलता’ की जवाबदेही तय नहीं हो सकती: खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बालासोर रेल हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए इस मामले के सभी पहलुओं की जांच की मांग करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच से ‘तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं’ की जवाबदेही तय नहीं हो सकती. उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा कि सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है.
पूर्व रेल मंत्री खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. रेलवे बोर्ड ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. इस हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है. खरगे ने पत्र में आरोप लगाया कि सरकार के कई ऐसे फैसले इस बीच लिए गए हैं, जिनसे रेलयात्रा असुरक्षित हो गयी है और जनता की समस्याएं बढ.ती गई हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “रेलवे में क.रीब तीन लाख. पद खाली हैं. जिस क्षेत्र में यह दुर्घटना हुई, उस पूर्व तट रेलवे में 8,278 पद ख.ाली हैं. यही हाल उच्च पदों का है, जिनकी भर्ती में प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट कमेटी की भूमिका होती है.” उन्होंने कहा कि रिक्तियों के कारण अनुसूचित जाति जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए सुनिश्चित नौकरियों को भी खतरा पैदा होता है.
उनके मुताबिक, ” रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि रिक्तियों के कारण लोको पायलटों को लंबे समय तक काम करना पड़ा है. फिर भी ये पद अब तक क्यों नहीं भरे गये ?” उन्होंने कहा, ” संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323 वीं रिपोर्ट (दिसंबर 2022) में रेलवे संरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों पर रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई जाने वाली बेरूखी और उपेक्षा के लिए रेलवे बोर्ड की आलोचना की है. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि सीआरएस केवल 8 से 10 प्रतिशत रेल हादसों की ही जांच करता है.”
उन्होंने सवाल किया कि सीआरएस को और मज.बूत तथा स्वायत्त बनाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया? खरगे का कहना है, ” कैग की ताज.ा ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खास उल्लेख है कि 2017-18 से 2020-21 के बीच 10 में से करीब सात रेल दुर्घटनाएं रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की वजह से हुईं. लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया. ” कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि अभी तक भारतीय रेल के महज चार प्रतिशत रेल मार्गों को ही ‘कवच’ से सुरक्षित किया जा सका है, अन्य को नहीं, क्यों ?
उन्होंने यह भी पूछा, “क्या कारण है कि 2017-18 में रेल बजट को आम बजट के साथ जोड़ा गया ? क्या इससे भारतीय रेल की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित नहीं हुई ? क्या ऐसा काम रेलवे की स्वायत्तता को दरकिनार कर निजीकरण को बढ.ावा देने के लिए किया गया था ? ” उन्होंने बालासोर रेल हादसे का उल्लेख करते हुए कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जैसे जिम्मेदार लोग इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहते कि समस्याएं मौजूद हैं. जब रेल मंत्री यह दावा करते हैं कि उन्होंने दुर्घटना के असली कारण की तलाश कर ली है, फिर भी उन्होंने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध कर दिया…. . ”
खरगे का कहना है, “सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है. सीबीआई या दूसरी कानून प्रवर्तन एजेंसी तकनीकी, संस्थागत या राजनीतिक विफलताओं की जवाबदेही नहीं तय कर सकती है.” उन्होंने कहा, “2016 में हुए कानपुर रेल हादसे के समय सरकार ने एनआईए से उसकी जांच करने को कहा था. इसके बाद, आपने स्वयं 2017 में एक चुनावी रैली में इसे ‘साजिश’ करार दिया था, और देश को ये भरोसा दिलाया था कि घटना में शामिल लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी. 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और आरोपपत्र दाखिल करने से इनकार कर दिया. देश अभी भी जानना चाहता है कि उन 150 मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है, जिनको टाला जा सकता था? ”
उन्होंने आरोप लगाया, “यह भी संदेह उत्पन्न होता है कि आपकी सरकार का, प्रणाली के भीतर की खामियों को दूर कर सुरक्षा को चाक चौबंद करने का कोई इरादा नहीं है. इसके बजाय सरकार जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.” खरगे ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया, “इस दुर्घटना की सभी पहलुओं से जांच करके वास्तविक कारणों को प्रकाश में लाया जाये. रेल सुरक्षा के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक और उपकरण मिशन मोड में प्राथमिकता के आधार पर रेल मार्गों पर लगाये जाने का निर्देश दिया जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो सके.”