अस्थिर पाकिस्तान किसी भी देश के हित में नहीं है : रूसी राजदूत
भारत को जल्द ही एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीसरी खेप भेजेगा रूस
नयी दिल्ली. भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने सोमवार को कहा कि उनका देश इस्लामाबाद के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी बढ़ाना चाहता है, क्योंकि उसका मानना है कि एक ‘‘कमजोर’’ पाकिस्तान, भारत तथा अफगानिस्तान समेत क्षेत्र के लिए बेहतर नहीं होगा. एक सम्मेलन में ये टिप्पणियां करने के बाद रूसी राजदूत ने बाद में ट्विटर पर स्पष्ट किया कि उनका आशय था कि एक अस्थिर पाकिस्तान, क्षेत्र में किसी भी देश के हित में नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने उन खबरों पर ‘‘बहुत गंभीर संज्ञान’’ लिया है कि पाकिस्तान, यूक्रेन को सैन्य उपकरण भेज रहा है.
इस्लामाबाद के साथ मॉस्को के संबंध बेहतर होने पर भारत में ंिचताओं पर एक सवाल के जवाब में अलीपोव ने कहा कि उनका देश कभी ऐसा कुछ नहीं करेगा, जो नयी दिल्ली के हितों के लिए हानिकारक हो सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ रूस के रक्षा संबंध ‘‘बहुत सीमित’’ हैं तथा व्यापक रूप से इसका मकसद आतंकवाद रोधी सहयोग है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने लगातार कहा है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में कभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जो भारत के लिए हानिकारक हो….हमारे इस्लामाबाद के साथ बहुत सीमित रक्षा संबंध हैं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम पाकिस्तान में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ाना चाहते हैं. हमें नहीं लगता है कि एक कमजोर पाकिस्तान क्षेत्र, भारत या अफगानिस्तान के लिए बेहतर विकल्प होगा.’’ गौरतलब है कि पाकिस्तान अभी गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
भारत को जल्द ही एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीसरी खेप भेजेगा रूस
रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने सोमवार को कहा कि रूस जल्द ही भारत को सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीसरी खेप की आपूर्ति करेगा. अलीपोव ने कहा, ‘‘यह निकट भविष्य में पूरी की जाएगी…दोनों पक्ष सौदे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम निश्चित तौर पर वह करेंगे. इसे कोई नहीं रोक सकता.’’ रूसी राजदूत भारत-रूस संबंधों पर एक सम्मेलन में मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. रूस ने मिसाइल प्रणाली की पहली दो खेप की आपूर्ति कर दी है.
यह पूछने पर कि क्या वह यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष खत्म होने में भारत की कोई भूमिका देखते हैं, इस पर अलीपोव ने कहा कि मॉस्को इसे कूटनीतिक तरीके से खत्म करने के लिए किसी भी गंभीर वार्ता के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हमारे विदेश मंत्री कहते हैं कि हम किसी भी गंभीर वार्ता के लिए तैयार हैं चाहे कोई भी उसकी पेशकश करे. अभी ऐसा कुछ नहीं है. अगर भारत इसमें अधिक सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है तो हम निश्चित तौर पर बहुत ध्यान से भारत को सुनेंगे और हम सभी प्रस्तावों पर बहुत गंभीरता से विचार करेंगे. लेकिन भारत इस बेहद ही जटिल संघर्ष में शामिल होना चाहता है या नहीं, मुझे नहीं लगता कि यह मुझसे पूछा जाना चाहिए.’’
भारत-चीन के संबंध सामान्य होते देखना चाहता है रूस
रूस ने सोमवार को अमेरिका पर अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच ‘‘विरोधाभासों’’ का ‘‘सक्रियता’’ से दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि मॉस्को और नयी दिल्ली ने दशकों पुराने संबंधों पर आधारित परस्पर विश्वास हासिल किया है जिससे दोनों पक्षों को मौजूदा भूराजनीतिक अशांति से निपटने में मदद मिलेगी.
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिकी की अगुवाई में पश्चिमी देशों के ‘‘अहंकारी’’ और ‘‘लड़ाकू’’ रवैये से बनावटी भू-राजनीतिक बदलाव के कारण भारत-रूस के संबंध ‘‘तनाव’ में हैं. उन्होंने कहा कि मॉस्को इस्लामाबाद के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी बढ़ाना चाहता है क्योंकि एक ‘‘कमजोर’’ पाकिस्तान, भारत समेत पूरे क्षेत्र के लिए सही नहीं है.
बाद में एक ट्वीट में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मतलब था कि एक ‘‘अस्थिर’’ पाकिस्तान क्षेत्र में किसी के भी हित में नहीं है.
वह ‘इंडिया राइट्स नेटवर्क’ और ‘सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स’ द्वारा आयोजित ‘भारत-रूस सामरिक साझेदारी में अगले कदम: पुरानी मित्रता नए क्षितिज’ पर एक सम्मेलन में बोल रहे थे. एक सवाल के जवाब में अलीपोव ने कहा कि रूस, भारत-चीन के संबंधों को सामान्य देखना चाहता है और इससे न केवल एशिया की सुरक्षा बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा को काफी फायदा पहुंचेगा.
वित्तीय तंत्र में बाधाओं के कारण रूस-भारत के संबंध तनाव में हैं : रूसी राजदूत अलीपोव
रूस ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण आर्थिक एवं साजोसामान तंत्र में बाधाओं के कारण भारत के साथ उसके संबंध ‘‘तनाव’’ में हैं. भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने अमेरिका पर अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच ‘‘विरोधाभासों’’ का ‘‘सक्रियता’’ से दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि मॉस्को और नयी दिल्ली ने दशकों पुराने संबंधों पर आधारित परस्पर विश्वास हासिल किया है, जिससे दोनों पक्षों को मौजूदा भूराजनीतिक अशांति से निपटने में मदद मिलेगी.
अलीपोव ने एक सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के ‘‘अहंकारी’’ और ‘‘लड़ाकू’’ रवैये से बनावटी भू-राजनीतिक बदलाव के कारण भारत-रूस के संबंध ‘‘तनाव’ में हैं.
उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच रुपये-रूबल व्यापार के लिए एक तंत्र स्थापित किया गया है लेकिन भारतीय बैंक इसके इस्तेमाल को लेकर ‘‘अत्यधिक सतर्कता’’ बरत रहे हैं, जबकि इस प्रणाली को लेकर अमेरिका की ओर से कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. अलीपोव ने कहा कि रूस के कच्चे तेल पर पश्चिमी देशों की मूल्य सीमा के बावजूद मॉस्को भारत को पेट्रोलियम उत्पाद समेत अन्य निर्यात के स्तर को बनाए रखेगा.
उन्होंने कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों ने लेनदेन और साजोसामान संबंधी तंत्र को बाधित किया है. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं तनाव के बारे में बात करता हूं तो मेरा खासतौर से मतलब आर्थिक संबंधों से है. प्रतिबंधों ने लेनदेन और साजोसामान संबंधी तंत्र को बाधित किया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी मुद्दों पर दोनों पक्ष बहुत करीबी संवाद कर रहे हैं. वोस्त्रो खाते खोले गए हैं. रुपये-रूबल व्यापार के लिए तंत्र स्थापित किया गया है. अब बैंकों को इसका इस्तेमाल करने की बात है.’’ उन्होंने कहा कि रूस पाकिस्तान के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी बढ़ाना चाहता है क्योंकि एक ‘‘कमजोर’’ पाकिस्तान, भारत समेत पूरे क्षेत्र के लिए ठीक नहीं है.