बजट घोषणाओं का लाभ उठाकर निवेश बढ़ाए उद्योग जगत: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय उद्योग जगत से पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) बढ़ाने के सरकार के फैसले के साथ मिलकर निवेश बढ़ाने और 2023-24 के बजट में पेश किए गए अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया. बजट पर 10वें वेबिनार को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए प्रावधान को बढ़ाकर दस लाख करोड़ रुपये कर दिया है जो अब तक का सर्वाधिक है.

उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक उज्ज्वल ंिबदु बताया जा रहा है और देश ने वर्ष 2021-22 में देश में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आर्किषत किया है, जिसमें अधिकांश हिस्सा विनिर्माण क्षेत्र में जा रहा है. बजट के प्रमुख प्रावधानों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘मैं देश के निजी क्षेत्र से आ’’ान करता हूं कि सरकार के समान वह भी अपनी ओर से निवेश बढ़ाए जिससे देश को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके.’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन ंिलक (पीएलआई) योजना का लाभ उठाने के लिए लगातार आवेदन आ रहे हैं, जो भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है .

उन्होंने कहा कि देश में माल एवं सेवा कर (जीएसटी), आयकर और कॉरपोरेट कर में कमी की वजह से कर का भार उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है. मोदी ने कहा कि इससे कर संग्रह में भी सुधार आया है. 2013-14 में सकल कर राजस्व करीब 11 लाख करोड़ रुपये था जो 2023-24 में 200 प्रतिशत बढ़कर 33 लाख करोड़ रुपये हो गया. व्यक्तिगत कर रिटर्न की संख्या भी 2013-14 के 3.5 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में 6.5 करोड़ हो गई.

उन्होंने कहा, ‘‘कर का भुगतान करना एक ऐसा कर्तव्य है जो सीधे राष्ट्र निर्माण से जुड़ा है. कर के आधार में वृद्धि इस बात का सबूत है कि लोगों का सरकार में भरोसा है और वे मानते हैं कि उनके द्वारा दिए गए कर को जनकल्याण के लिए खर्च किया जाता है.’’ उन्होंने कहा कि अमृत काल के इस बजट ने भारत के विकास के लिए एक सर्व-समावेशी वित्तीय क्षेत्र का खाका तैयार किया और भारत नयी क्षमताओं के साथ आगे बढ़ रहा है तथा भारत की वित्तीय दुनिया में उन लोगों की जिम्मेदारी बढ़ गई है.

मोदी ने बैंंिकग क्षेत्र से कहा कि उनके पास दुनिया की एक मजबूत वित्तीय प्रणाली है और एक ऐसी बैंंिकग प्रणाली है, जो 8-10 साल पहले पतन के कगार पर होने के बाद आज लाभ में है. उन्होंने कहा कि एक ऐसी सरकार है जो साहस, स्पष्टता और विश्वास के साथ नीतिगत फैसले ले रही है. उन्होंने कहा, ‘‘आज समय की मांग है कि भारत की बैंंिकग प्रणाली में मजबूती का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे.’’ एमएसएमई क्षेत्र को सरकार के समर्थन का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने बैंंिकग प्रणाली से कहा कि वह अधिक से अधिक क्षेत्रों तक पहुंचे.

उन्होंने कहा, ‘‘महामारी के दौरान 1 करोड़ 20 लाख एमएसएमई को सरकार से भारी मदद मिली है. इस साल के बजट में एमएसएमई सेक्टर को 2 लाख करोड़ का अतिरिक्त कोलैटरल फ्री गारंटीड क्रेडिट भी मिला है. अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे बैंक उन तक पहुंचें और उन्हें पर्याप्त वित्त मुहैया कराएं.’’ मोदी ने कहा कि वित्तीय समावेशन से संबंधित सरकार की नीतियों ने करोड़ों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बना दिया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना बैंक गारंटी के 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुद्रा ऋण देकर करोड़ों युवाओं के सपनों को पूरा करने में मदद की है. उन्होंने कहा कि पहली बार 40 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे दुकानदारों को पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से बैंकों से मदद मिली है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की राजकोषीय और मौद्रिक नीति के प्रभाव को देख रही है और पिछले नौ वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को मजबूत करने में इसके प्रयासों की सराहना कर रही है. उस समय को याद करते हुए, जब दुनिया भारत को संदेह की नजर से देखती थी, उन्होंने कहा कि तब भारत की अर्थव्यवस्था, बजट और लक्ष्यों पर चर्चा अक्सर एक सवाल के साथ शुरू और समाप्त होती थी.

उन्होंने वित्तीय अनुशासन, पारर्दिशता और समावेशी दृष्टिकोण में बदलाव पर प्रकाश डाला और कहा कि चर्चा की शुरुआत और अंत में प्रश्न चिह्न को ‘विश्वास’ और ‘अपेक्षा’ द्वारा बदल दिया गया है. ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह पसंद का मामला नहीं है, बल्कि ‘स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर होना और आत्मनिर्भरता की दृष्टि एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है’.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा निर्यात अब तक के उच्चतम स्तर पर रहा है, चाहे वह वस्तुओं में हो या सेवाओं में. यह भारत के लिए बढ़ती संभावनाओं को इंगित करता है.’’ उन्होंने कहा कि संगठनों, उद्योग और वाणिज्य मंडलों जैसे हितधारकों को जिला स्तर तक स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘वोकल फॉर लोकल’ सिर्फ भारतीय कुटीर उद्योग से उत्पाद खरीदने से बड़ा है.

उन्होंने उच्च शिक्षा और खाद्य तेल का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘हमें देखना होगा कि वे कौन से क्षेत्र हैं जहां हम भारत में ही क्षमता निर्माण कर देश का पैसा बचा सकते हैं.’’ उन्होंने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और डिजिटल लेनदेन का उदाहरण देते हुए कहा, ‘इंडस्ट्री 4.0 के दौर में भारत द्वारा विकसित प्लेटफॉर्म दुनिया के लिए मॉडल बन रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में 75,000 करोड़ लेनदेन डिजिटल तरीके से किए गए, जिससे पता चलता है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का विस्तार कितना व्यापक हो गया है.

उन्होंने कहा कि रूपे और यूपीआई किफायती और अत्यधिक सुरक्षित प्रौद्योगिकी होने के साथ ही विश्व में हमारी पहचान भी हैं.
नवाचार के लिए संभावनाओं को अपार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपीआई को पूरी दुनिया के लिए वित्तीय समावेशन एवं सशक्तीकरण का साधन बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस दिशा में सामूहिक रूप से काम करना होगा.

उन्होंने सुझाव दिया कि वित्तीय संस्थानों को भी फिनटेक के साथ अधिकतम साझेदारी करनी चाहिए ताकि उनकी पहुंच बढ़ाई जा सके. उन्होंने कहा कि कभी-कभी, एक छोटा सा कदम भी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में बहुत बड़ा अंतर ला सकता है. इस क्रम में उन्होंने बगैर बिल के सामान खरीदने का उदाहरण दिया.

मोदी ने बिल की एक प्रति प्राप्त करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि यह राष्ट्र को लाभान्वित करेगा. उन्होंने सभी हितधारकों से इस दृष्टिकोण के साथ काम करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारत के आर्थिक विकास का लाभ हर वर्ग और व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए. उन्होंने अच्छी तरह से प्रशिक्षित पेशेवरों का एक बड़ा पूल बनाने पर भी जोर दिया.

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