मुख्तार अंसारी गिरोह के सदस्य जीवा की लखनऊ अदालत परिसर में गोली मारकर हत्या

लखनऊ. गैंगस्टर और नेता मुख्तार अंसारी के कथित सहयोगी संजीव माहेश्वरी जीवा की बुधवार को लखनऊ अदालत परिसर के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हमले में दो लोग घायल हुए हैं. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस ने कहा कि कथित हमलावर को घटनास्थल पर पकड़ लिया गया. प्रत्यक्षर्दिशयों के मुताबिक, हमलावर ने अधिवक्ता की पोशाक पहन रखी थी.

इस घटना के तुरंत बाद अदालत परिसर पहुंचे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “लखनऊ जेल में निरुद्ध संजीव माहेश्वरी जीवा को एक मामले में सुनवाई के लिए अदालत लाया गया था जहां अज्ञात हमलावर द्वारा गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई.” पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस हमले में दो साल की एक लड़की और एक पुलिस कांस्टेबल को भी गोली लगी है. लड़की को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है, जबकि पुलिस कांस्टेबल के दांये पैर में गोली लगी है और उसकी हालत स्थिर है.

मुख्तार अंसारी गिरोह का कुख्यात सदस्य जीवा (48) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का निवासी था. वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कृष्णानंद राय और उत्तर प्रदेश में भाजपा के मंत्री रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का आरोपी था और उस पर हत्या, धोखाधड़ी और आपराधिक षड़यंत्र के दो दर्जन मामले दर्ज थे. ब्रह्मदत्त द्विवेदी और उनके गनर की 10 फरवरी, 1997 को उस समय हत्या कर दी गई जब वह फर्रुखाबाद जिले में एक तिलक समारोह से लौट रहे थे.

निचली अदालत ने 17 जुलाई, 2003 को जीवा और अन्य आरोपियों को द्विवेदी और उनके गनर की हत्या का दोषी करार दिया था और इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस बीच, बुधवार को अदालत परिसर के भीतर इस ंिहसा से आक्रोशित अधिवक्ताओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और पुलिस पर कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की मांग की.

अपर पुलिस महानिदेशक (लखनऊ जोन) पीयूष मोर्डिया ने कहा, ‘‘जब हमलावर ने गोली चलाई, उस समय जीवा विशेष एडीजे की अदालत के बाहर गलियारे में अपनी पेशी की बारी आने की प्रतीक्षा कर रहा था.’’ प्रत्यक्षर्दिशयों के मुताबिक, हमलावर द्वारा करीब छह गोलियां चलाई गईं.

राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच टीम)गठित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि एसआईटी को एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी करने को कहा गया है.
अधिकारियों ने बताया कि इस एसआईटी में एडीजी (तकनीकी) मोहित अग्रवाल, आईपीसी नीलाब्जा चौधरी और आईजी (अयोध्या) प्रवीण कुमार होंगे.

इस घटना के महज दो महीने पहले गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की इसी तरह की एक घटना में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इन दोनों भाइयों की पुलिस सुरक्षा में तीन हमलावरों द्वारा 15 अप्रैल को उस समय हत्या कर दी गई जब  दोनों को चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था. विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है.

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त है.उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने अपराधियों को खुला हाथ छोड़ दिया है. अपराधी जिसे चाहते हैं, जब चाहते हैं, मार देते हैं. पुलिस हिरासत, पुलिस थाना और अदालत में हत्याएं हो रही हैं. सड़कों पर हत्याएं हो रही हैं. लोग प्रदेश में कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं.” बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने ट्वीट किया, “लखनऊ के अदालत परिसर में गोली मारने की यह घटना कानून व्यवस्था के संदर्भ में इस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. इस तरह की घटनाओं की वजह से लोगों में ंिचता है. बसपा की मांग है कि सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए.”

जीवा की हत्या के आरोपी का कोई ‘‘गंभीर’’ आपराधिक इतिहास नहीं: पुलिस अधिकारी

गैंगस्टर नेता मुख्तार अंसारी गिरोह के सदस्य संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ अदालत परिसर के भीतर हत्या करने का आरोपी विजय यादव यहां के केराकत कोतवाली क्षेत्र में रहता है और पुलिस को उसके किसी ‘‘गंभीर’’ आपराधिक इतिहास का पता नहीं चला है. पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

जीवा की हत्या के बाद विजय की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही केराकत के पुलिस क्षेत्राधिकारी गौरव शर्मा समेत थाने की पुलिस विजय के सर्की सुल्तानपुर गांव पहुंची और लोगों से उसके आपराधिक इतिहास के बारे में पूछताछ की. शर्मा ने बताया कि अभी तक की जांच में सामने आया है कि विजय यादव पर आजमगढ़ के थाना देवगांव में 2016 में एक नाबालिग लड़की को भगाने का मामला दर्ज है और दूसरा मामला 2020 में कोरोना वायरस काल के समय का है. उन्होंने कहा कि उसके किसी ‘‘संगीन’’ अपराध में लिप्त होने का कोई पुलिस रिकार्ड नहीं मिला है.

विजय यादव के पिता श्यामा यादव ने बताया कि उसका बेटा मुंबई में एक निजी कंपनी में काम करता था और बाद में वह नौकरी छोड़कर घर चला आया. श्यामा ने बताया कि नौकरी छोड़ने के डेढ़ महीने बाद विजय रोजगार की तलाश में लखनऊ चला गया था जहां वह पानी के पाइप लगाने का काम करता था.

उसने बताया कि गत 10 मई को विजय अपनी ममेरी बहन की शादी में शामिल होने आया था और अगले दिन वह लखनऊ वापस चला गया था और तब से श्यामा की अपने बेटे से बात नहीं हुई. श्यामा ने बताया कि परिवार के लोगों ने जब विजय से बात करने का प्रयास किया तो उसका फोन बंद आ रहा था और उन्हें आज की घटना की जानकारी ग्राम प्रधान के माध्यम से मिली.

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