भाजपा किसान विरोधी, उसका नारा है ‘पिटे किसान, जय धनवान’ : कांग्रेस
प्रधानमंत्री मणिपुर जाकर सुलह की अपील क्यों नहीं करते: कांग्रेस
नयी दिल्ली. कांग्रेस ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की ंिनदा करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि यह कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘किसान विरोधी चेहरे’ का प्रतीक है और अब भाजपा सरकार का नारा ‘मरे किसान, पिटे किसान, जय धनवान’ है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार को किसानों की आवाज दबाने के बजाय सूरजमुखी के बीज की खरीद पर उनकी मांग पूरी करनी चाहिए.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा का किसान विरोधी रवैया बार-बार सामने आ रहा है. कभी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और काले कृषि कानून लाकर किसानों पर हमले किए जाते हैं तो कभी उनपर सीधा वार किया जाता है, जैसा कि कुरुक्षेत्र में हुआ. शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हुए लाठीचार्ज की हम कड़ी भर्त्सना करते हैं.’’
रमेश का कहना है, ‘‘सरकार को एमएसपी से जुड़ी किसानों की मांग पूरी करनी चाहिए और उनकी आवाज को बेरहमी से दबाने का प्रयास नहीं करना चाहिए.’’ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से आग्रह किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सूरजमुखी के बीज की खरीद सुनिश्चित की जाए और देश में एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘साफ हो चुका है कि यह सरकार न किसान की है, न जवान की है, न पहलवान की है. यह सरकार सिर्फ धनवान की है. भाजपा सरकार का नारा है- मरे किसान, पिटे किसान, जय धनवान.’’ हुड्डा ने कहा, ‘‘लगभग एक साल चले किसान आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री ने तीनों काले कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी. सरकार ने इन कानूनों को वापस लेने के साथ ही वादा किया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दी जाएगी. इसे लेकर सरकार ने एक समिति भी बनाई थी. लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हरियाणा में जो हुआ है, वह किसान आंदोलन के साथ सरकार के विश्वासघात का प्रतीक है. यह भाजपा के किसान विरोधी चेहरे का प्रतीक है. यह हरियाणा सरकार के ‘लठतंत्र’ का प्रतीक है.’’ हुड्डा ने कहा, ‘‘हरियाणा की सत्ता पर ऐसे क्रूर लोग काबिज हैं, जिनके शासन में कोई ऐसा वर्ग नहीं है, जिस पर लाठीचार्ज न किया गया हो.’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री और भाजपा के नेता कई बार कह चुके हैं कि वे एमएसपी पर खरीद करेंगे. अगर यह सच है तो फिर हरियाणा में कल यह सब क्यों हुआ?’’
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि हरियाणा और पूरे भारत में सूरजमुखी की फसल की खरीद एमएसपी पर की जाए. जिन किसानों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. जिन किसानों को चोट आई है, सरकार को उन्हें आर्थिक सहायता देनी चाहिए.’’ हुड्डा ने यह भी कहा कि यदि 2024 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है, तो एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित की जाएगी तथा किसानों से जुड़े इस विषय को संसद में भी उठाया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि बड़ी संख्या में किसानों ने मंगलवार दोपहर कुरुक्षेत्र के शाहबाद के पास राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया था. किसान मांग कर रहे थे कि सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी के बीज की खरीद करे. पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया था और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था.
प्रदर्शनकारी किसानों ने दावा किया था कि सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी के बीज नहीं खरीद रही है, जिसके चलते उन्हें अपनी उपज निजी खरीदारों को 6,400 रुपये एमएसपी के मुकाबले लगभग 4,000 रुपये प्रति ंिक्वटल के भाव पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री मणिपुर जाकर सुलह की अपील क्यों नहीं करते: कांग्रेस
कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा की कुछ हालिया घटनाओें को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘चुप’ क्यों हैं तथा वह राज्य का दौरा कर समुदायों के बीच सुलह की अपील क्यों नहीं करते? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर भेजने की पहल क्यों नहीं कर रहे हैं? उन्होंने कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ऐसा लगता है कि सात सप्ताह पहले मणिपुर में जो भयावह त्रासदी शुरू हुई थी वो खत्म नहीं हुई है. गृह मंत्री ने एक महीने की देरी से राज्य का दौरा किया और इस सहृदयता के लिए राष्ट्र को उनका आभारी होना चाहिए.’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री अब भी चुप क्यों हैं? वह राज्य का दौरा कर समुदायों के बीच सुलह की अपील क्यों नहीं करते? वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर जाने के लिए प्रोत्साहित क्यों नहीं करते?’’ उल्लेखनीय है कि मणिपुर के पश्चिम इंफाल जिले में रविवार शाम भीड़ ने एक एम्बुलेंस को रास्ते में रोक उसमें आग लगा दी, जिससे उसमें सवार आठ वर्षीय बच्चे, उसकी मां और एक अन्य रिश्तेदार की मौत हो गई.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं. हिंसा में करीब 100 लोगों की मौत हुई है. मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह मणिुपरा का दौरा किया था. उन्होंने यह घोषणा की थी कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा. शाह ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति के गठन और हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे के साथ ही राहत और पुनर्वास पैकेज की भी घोषणा की थी.