निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी की लोकसभा सीट रही वायनाड में उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू की

कोझिकोड. ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी करार दिये जाने पर संसद की सदस्यता से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किये जाने के कुछ महीनों बाद, निर्वाचन आयोग ने वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

गुजरात की एक अदालत ने इस साल मार्च में उक्त मामले में राहुल को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था. कोझिकोड के जिला निर्वाचन अधिकारी के नाते उपजिलाधिकारी ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को पांच जून को भेजे गये एक पत्र में कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वोंिटग मशीन (ईवीएम) और ‘वोटर वेरिफियेबल पेपर आॅडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) प्रणालियों के सत्यापन के बाद सात जून को ‘मॉक’ मतदान कराया जाएगा जिसके बाद वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव होगा.

आयोग ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी राहुल की याचिका खारिज करने के सूरत सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ उनकी पुर्निवचार अर्जी गुजरात उच्च न्यायालय में लंबित है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग के कदम के पीछे एक ‘‘रहस्य’’ है. पार्टी ने सवाल किया कि आयोग ने अपील के लंबित रहते अदालत के फैसले के बारे में पहले ही कैसे जान लिया.

कोझिकोड जिला कांग्रेस कमेटी प्रमुख के. प्रवीण कुमार ने कहा, ‘‘राहुल की अर्जी पर उच्च न्यायालय का फैसला आने से पहले ही वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. यह रहस्यमय और संदेहास्पद है.’’ उन्होंने कहा कि देश के लोग जानना चाहते हैं कि किस प्राधिकार के निर्देश पर निर्वाचन आयोग ने वायनाड लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए काम करना शुरू किया है.

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं विधायक मैथ्यू कुझलनदान ने आरोप लगाया कि इस कदम के पीछे ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब से राहुल ने लोकसभा में दिये एक भाषण में अडाणी समूह के साथ ‘संदिग्ध लेनदेन’ को उजागर किया है, केंद्र की भाजपा सरकार उनके (राहुल के) खिलाफ जल्दबाजी में कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि राहुल के निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराना भी उनके खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति का हिस्सा है.

कांग्रेस विधायक ने यह भी कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत के बाद राहुल और मजबूत हुए हैं और उन्हें निशाना बनाकर भाजपा सरकार द्वारा उठाये जाने वाले किसी भी कदम से वह (राहुल) भयभीत नहीं हैं. राहुल को 2019 के मानहानि के मामले में सूरत (गुजरात) की एक अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने के करीब चौबीस घंटे बाद 24 मार्च को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किये जाने के बाद, चार बार के सांसद राहुल (52) आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, जबतक कि उनकी दोषसिद्धि पर एक ऊपरी अदालत द्वारा रोक नहीं लगा दी जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button