चीन ने ताइवान के पास युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे…
बींिजग: चीन ने शनिवार को ताइवान की तरफ युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे। ताइवान की सरकार ने यह जानकारी दी। चीन ने यह कदम ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी की मुलाकात के जवाब में उठाया। चीन दावा करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने कहा कि ‘लड़ाकू तैयारी से संबंधित तीन दिवसीय गश्त’ की शुरुआत ताइवान के लोगों के लिए एक चेतावनी है। पीएलए ने यह संकेत नहीं दिया कि वह इस गश्त में पिछले अभ्यास की तरह मिसाइलों को शामिल करेगा या नहीं, जिससे क्षेत्र में समुद्री और हवाई परिवहन प्रभावित हुआ था।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष मैक्कार्थी ने बृहस्पतिवार को कैलिफोर्निया में राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के साथ बातचीत की थी। इसी के साथ वह उन विदेशी जनप्रनिधियों में शामिल हो गए थे, जो चीन की धमकी के बीच वेन से मिले। बींिजग ने मैक्कार्थी और वेन की मुलाकात के बाद शुक्रवार को ताइवानी राष्ट्रपति के अमेरिका दौरे से जुड़े अमेरिकी समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ यात्रा एवं वित्तीय प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ताइवान के पास शनिवार को आठ युद्धपोत और 42 विमान देखे गए, जिनमें से 29 ने जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया। यह रेखा ताइवान और मुख्य भूमि चीन को अलग करती है। पीएलए ने एक बयान में कहा, ‘‘यह ताइवान की अलगाववादी ताकतों और बाहरी ताकतों के बीच मिलीभगत और उकसावे के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी है। ‘ज्वाइंट स्वोर्ड’ अभ्यास राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए जरूरी है।’’
वहीं, ताइवान की सेना ने कहा कि मिसाइल रक्षा प्रणाली को सक्रिय कर दिया गया है और चीनी विमानों का पता लगाने के लिए हवाई और समुद्री गश्ती दल भेजे गए हैं। ताइवान गृह युद्ध के बाद 1949 में चीन से अलग हो गया था। चीन इस द्वीप पर दावा जताता है और इसे मुख्य भूमि से जोड़ने की बात करता है, भले ही इसके लिए बल का इस्तेमाल क्यों न करना पड़े।