राहुल गांधी को विदेश में भारत की आलोचना करने की आदत है : विदेश मंत्री जयशंकर
नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस नेता को विदेश में भारत की आलोचना करने की आदत है लेकिन अपने आंतरिक मामलों को दुनिया के सामने उठाना देश के हित में नहीं है. जयशंकर ने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्ता बरकरार रखेगा . उन्होंने कहा, ” 2024 का परिणाम तो वही होगा, हमें पता है.” मोदी सरकार को लेकर कांग्रेस नेता के अमेरिका में दिये गए बयान के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस बात को लेकर कोई समस्या नहीं है कि भारत के भीतर क्या कहा जाता है लेकिन आंतरिक मुद्दों को विदेशों में उठाना उचित नहीं है.
विदेश मंत्री ने कहा, ” राहुल गांधी को विदेश में भारत की आलोचना करने और विदेश जाने पर हमारी राजनीति के बारे में टिप्पणी करने की आदत है. दुनिया हमें देख रही है और दुनिया क्या देख रही है ? देश में चुनाव होते हैं और कई बार एक पार्टी जीतती है और कई बार दूसरी पार्टी जीतती है.” जयशंकर ने कहा, ” अगर देश में कोई लोकतंत्र नहीं हो तो ऐसे बदलाव नहीं आते…2024 का परिणाम तो वही होगा, हमें पता है.” उन्होंने कहा, ” अगर हम सभी विमर्शो को देखें (सरकार के खिलाफ), ये देश के भीतर दिये गए हैं. अगर विमर्श काम नहीं करते या कम प्रभावी होते हैं, तब उन्हें विदेशों में ले जाया जाता है. वे उम्मीद करते हैं कि बाहरी समर्थन भारत में काम करेगा.” विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजनीति को विदेशों में ले जाने से गांधी परिवार की विश्वसनीयता नहीं बढ.ेगी.
उन्होंने कहा, ” देश में लोकतंत्र है. आपकी अपनी राजनीति है और हमारी अपनी . हमें इस बात को लेकर कोई समस्या नहीं है कि देश के भीतर क्या करते हैं लेकिन मैं नहीं समझता कि राष्ट्रीय राजनीति को देश से बाहर ले जाना राष्ट्रीय हित में होगा. मैं नहीं समझता कि इससे उनकी विश्वसनीयता बढ.ेगी.” कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद गांधी ने हाल ही में अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की थी और विभिन्न मोर्चों पर सरकार की नीतियों को लेकर उन पर निशाना साधा था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भविष्य की ओर देखने में ‘अक्षम’ करार दिया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह केवल पीछे (रियर व्यू मिरर) देखकर भारतीय कार चलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे ‘एक के बाद एक हादसे’ होंगे.
सीमा पर अमन और शांति के बिना चीन के साथ संबंधों में प्रगति नहीं हो सकती : जयशंकर
बीजिंग को स्पष्ट संदेश देते हुए भारत ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने तक चीन के साथ संबंधों के सामान्य होने की बात को निराधार करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति होने पर ही चीन के साथ संबंधों में प्रगति हो सकती है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सैनिकों की ‘अग्रिम मोर्चे’ पर तैनाती को मुख्य समस्या करार दिया.
केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, ” भारत भी चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है लेकिन यह केवल तभी संभव है तब सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति हो.” उन्होंने चीन को पूरी तरह से स्पष्ट किया कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के संबंध आगे नहीं बढ़ सकते.
जयशंकर ने उत्तरी सीमा की स्थिति और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव, लालच और गलत विमर्श से प्रभावित नहीं होता.
ज्ञात हो कि ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल चीन द्वारा प्रायोजित एक योजना है जिसमें पुराने सिल्क रोड के आधार पर एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों में आधारभूत सम्पर्क ढांचे का विकास किये जाने की योजना है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के कुछ क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षो से अधिक समय से तनातनी है. हालांकि दोनों देशों के बीच अनेक दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद कुछ क्षेत्रों से दोनों पक्ष पीछे हटे हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को अपने सैनिकों को पीछे हटाने के रास्ते तलाशने होंगे और वर्तमान गतिरोध चीन के हित में भी नहीं है. इस संबंध में सवालों के जवाब में जयशंकर ने कहा, ” वास्तविकता यह है कि संबंध प्रभावित हुए हैं और यह प्रभावित होते रहेंगे…. अगर कोई ऐसी उम्मीद रखता है कि सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने के बावजूद हम किसी प्रकार (संबंध) सामान्य बना लेंगे तो ये उचित उम्मीद नहीं है.” यह पूछे जाने पर कि क्या मई 2020 के सीमा विवाद के बाद चीन ने भारत के क्षेत्र पर कब्जा किया है, जयशंकर ने कहा कि समस्या सैनिकों की अग्रिम मोर्चे पर तैनाती है.
जून 2020 में गलवान घाटी में संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध ठीक नहीं है और इसके कारण दशकों में पहली बार दोनों पक्षों के बीच गंभीर सैन्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. जयशंकर ने कहा, ” हम चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाना चाहते हैं. लेकिन यह तभी संभव है तब सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति हो और अगर कोई समझौता है तो उसका पालन किया जाए.” उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष विवाद के समाधान के लिए बातचीत कर रहे हैं.
विदेश मंत्री ने कहा, ” ऐसा नहीं है कि संवाद टूट गया है. बात यह है कि चीन के साथ गलवान की घटना से पहले भी हम बात कर रहे थे और उनसे कह रहे थे कि हम आपके सैनिकों की गतिविधियों को देख रहे हैं जो हमारे विचार से उल्लंघनकारी हैं. गलवान की घटना के बाद की सुबह मैंने अपने चीनी समकक्ष के साथ बातचीत की.” उन्होंने कहा कि इसके बाद से दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, ” पीछे हटना एक व्यापक प्रक्रिया है.” उन्होंने कहा कि इसकी बारीकियों पर इससे जुड़े लोग काम कर रहे हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के चीन के अलावा सभी प्रमुख देशों एवं महत्वपूर्ण समूहों के साथ संबंध आगे की ओर बढ़ रहे हैं.
यह पूछे जाने पर ऐसा क्यों, जयशंकर ने कहा, ” इसका जवाब केवल चीन दे सकता है. क्योंकि चीन ने कुछ कारणों से वर्ष 2020 में समझौते को तोड़ने और सैनिकों को सीमावर्ती क्षेत्रों में आगे बढ़ाने का मार्ग चुना. विदेश मंत्री ने कहा, ” यह उनको पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन, शांति स्थापित नहीं होगी, हमारे संबंध आगे नहीं बढ़ सकते. यही बाधा है जो हमें रोक रही है.”
दुनिया आज भारत को एक सहयोगी, विकास साझेदार के रूप में देखती है : जयशंकर
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आज दुनिया, खास तौर पर ग्लोबल साउथ, भारत को एक विकास साझेदार के रूप में देखता है तथा विश्व हमसे जुड़ना चाहता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नौ साल पूरे होने पर जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि भारत आज महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव डाल रहा है, जिसे दुनिया ने भी माना है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर पड़ोसी देशों के नेताओं के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने आने से लेकर आज तक विदेश नीति को लेकर स्पष्टता रही जो दुनिया को जानने, पड़ोस प्रथम सहित अन्य रूपों में सामने आई. विदेश मंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि आर्थिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें कोविड रोधी टीके की आपूर्ति का अभियान ‘ऑपरेशन मैत्री’ शामिल है.
उन्होंने देशों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने में भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए श्रीलंका के आर्थिक संकट का उदाहरण दिया.
विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया, खास तौर पर ग्लोबल साउथ, भारत को एक विकास साझेदार के रूप में देखता है. उन्होंने साथ ही कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के तौर पर देखता है. जयशंकर ने उत्तरी सीमा पर स्थिति और ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव में नहीं आता.
उन्होंने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के कल्याण का उल्लेख करते हुए कहा कि ”हमने लगभग हर वर्ष किसी न किसी अभियान को संचालित किया .” विदेश मंत्री ने इस संबंध में यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को वापस लाने, सूडान और अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को वापस लाने संबंधी अभियानों का जिक्र किया. जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की भूमिका तथा अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहल का भी उल्लेख किया.