‘‘अमृत काल’’ के दौरान भारत की यात्रा में ‘‘राष्ट्रदूत’’ प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका : प्रधानमंत्री

इंदौर. दुनिया भर में बसे भारतवंशियों को ‘‘राष्ट्रदूत’’ करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि अगले 25 साल के लिए देश के ‘‘अमृत काल’’ की यात्रा में प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है. इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के उद्घाटन के बाद मोदी ने कहा, ‘‘सरकारी व्यवस्था में राजदूत होते हैं, लेकिन भारत की महान विरासत में आप (प्रवासी भारतीय) राष्ट्रदूत होते हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी भारतीय देश के ‘‘मेक इन इंडिया’’ कार्यक्रम, योग, आयुर्वेद, कुटीर उद्योगों और हस्तकला के साथ ही मोटे अनाजों के भी ‘‘राष्ट्रदूत’’ हैं. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मोटे अनाजों का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है.

मोदी ने सम्मेलन में मौजूद प्रवासी भारतीयों से अपील की कि विदेश लौटते वक्त वे अपने साथ भारत के मोटे अनाज भी ले जाएं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अगले 25 साल के लिए “अमृत काल” में प्रवेश कर चुका है और इस यात्रा में प्रवासी भारतीयों का महत्वपूर्ण स्थान है. उन्होंने कहा, ‘‘अपने अद्वितीय नजरिये से दुनिया की व्यवस्था तय करने में भारत की अहम भूमिका आप लोगों (प्रवासी भारतीयों) से मजबूत होगी.’’ मोदी ने यह भी कहा कि जब दुनिया के अलग-अलग देशों में “सबसे लोकतांत्रिक और अनुशासित नागरिकों” के रूप में भारतवंशियों की चर्चा होती है, तो ‘‘मदर आॅफ डेमोक्रेसी’’ (लोकतंत्र की जननी) होने का भारतीय गौरव अनेक गुना बढ़ जाता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवीय मूल्यों, काम को लेकर जज्बे और जरूरी ईमानदारी से लैस युवाओं की बड़ी तादाद की बदौलत भारत में दुनिया का ज्ञान केंद्र, कौशल विकास की राजधानी और विकास का वैश्विक इंजन बनने का सामर्थ्य है. उन्होंने कहा, ‘‘देश में रहने वाले नौजवानों के साथ ही वे प्रवासी भारतीय युवा भी हमारी प्राथमिकताओं में शुमार हैं जो भारत से जुड़े हैं. विदेश में जन्मे युवाओं को भारत को जानने-समझने के कई अवसर दिए जा रहे हैं जिससे उनमें देश को लेकर उत्साह और उत्सुकता बढ़ रही है.’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया के लोगों को बंधु-बांधव मानने वाली भारतीय विचारधारा की बुनियाद पर पूर्वजों ने देश के सांस्कृतिक विस्तार को आकार दिया था. उन्होंने कहा कि देश के पुरखों ने साबित कर दिखाया था कि असीम लगने वाले समुद्रों को पार किया जा सकता है और अलग-अलग सभ्यताओं के लोगों से कारोबारी संबंध स्थापित कर साझी समृद्धि के द्वार खोले जा सकते हैं. मोदी ने प्रवासी भारतीयों से अनुरोध किया कि वे सात समुंदर पार गए अपने पुरखों के संघर्ष और उपलब्धियों के इतिहास का लिखित या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिये दस्तावेजीकरण करें ताकि उनकी थाती को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके.

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