वैश्विक चुनौतियों से उबरते हुए भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना, आगे भी रहेगा: सीतारमण

नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार के कई एहतियाती कदमों और आरबीआई की मौद्रिक नीति के कारण महामारी एवं रूस-यूक्रेन संघर्ष के दबाव से उबरते हुए भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और आगे भी रहेगा. लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने के विपक्षी दलों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इसमें पूंजी डालने का रास्ता चुना क्योंकि इसका बहुआयामी असर है. उन्होंने कहा कि लोकोन्मुखी परियोजनाओं में खर्च को बढ़ाया गया जिससे रोजगार के अवसर बढ़े. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया गया जिससे घरेलू मांग बढ़ी है साथ ही सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र पर ध्यान दिया गया.

सीतारमण ने कहा, ‘‘ इन चार कदमों से अर्थव्यवस्था सतत विकास के पथ पर बढ़ चली है.’’ उन्होंने कहा कि सरकार के कई एहतियाती कदमों और आरबीआई की मौद्रिक नीति के कारण नवंबर -दिसंबर 2022 तक मुद्रास्फीति नीचे आई. उन्होंने कहा कि महामारी के बाद चुनौतीपूर्ण स्थिति रही, इसके बाद रूस-यूक्रेन संघर्ष भी सामने आया, लेकिन सरकार की अच्छी नीतियों जिनमें पीएम गति शक्ति, पीएलआई योजना, सहकारी संघवाद जैसे कदमों से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिली. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस बात पर ध्यान दिया कि लोगों के हाथों में पैसा रहे.

उन्होंने कहा कि जहां तक राज्यों को धन के हस्तांतरण की बात है, उसमें कर में केंद्रीय हिस्से के रूप में, केंद्र पोषित योजनाओं सहित अन्य मद में वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान में 17.98 लाख करोड़ रूपये की राशि का प्रस्ताव है जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 1.55 लाख करोड़ रूपये अधिक है. उन्होंने बताया कि पूंजीगत व्यय मद में 10 लाख करोड़ रूपये का प्रस्ताव है जो पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान वर्ष 2013-14 में 2.91 लाख करोड़ रूपये था.

सीतारमण ने बताया कि इसके अलावा राज्यों को 15 वर्ष के लिये ब्याज मुक्त ऋण देने की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि अगले वित्त वर्ष का बजट मध्यम वर्ग, रोजगार सृजन, लघु उद्यमों, कृषि क्षेत्र, ग्रामीण आबादी, स्वास्थ्य एवं हरित विकास पर केंद्रित है. सीतारमण ने कहा कि नयी कर प्रणाली बेहद आकर्षक है जिसमें इस बार के बजट में सात लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने का प्रस्ताव किया गया. उन्होंने कहा कि इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिये अधिक धन रहेगा.

उन्होंने कहा कि नयी कर प्रणाली से अधिकतर मध्यम वर्गीय करदाताओं को लाभ होगा और छूट की सीमा बिना शर्त वाली होने के कारण उनके हाथों में खर्च के लिये अधिक पैसा रहेगा. उन्होंने कहा कि इस बजट में विकास अनिवार्यताओं को राजकोषीय आयामों के दायरे में संतुलित करने का पूरा प्रयास किया गया है.

सीतारमण ने खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने के विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि खाद आयात पर अतिरिक्त खर्च पहले भी किसान पर नहीं डाला गया और इस साल भी किसानों पर नहीं डाला जा रहा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक उर्वरक सब्सिडी 65 हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ रूपये के दायरे में रही और वर्ष 2023-24 के बजट प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर 2.25 लाख करोड़ रूपये करने का प्रस्ताव है.

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं लेकिन हमने किसानों पर उसका भार नहीं पड़ने दिया. वित्त मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से खाद्य सब्सिडी में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान खाद्य सब्सिडी 1 लाख करोड़ रूपये से 1.2 लाख करोड़ रूपये थी लेकिन वर्ष 2023-24 के बजट में यह 1.97 लाख रूपये प्रस्तावित है.
उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी के लिये प्रावधान सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कवर करने के लिये पर्याप्त है.

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर नवंबर 2021 और जून 2022 में दो बार उत्पाद शुल्क कम करके लोगों को राहत दी जबकि अंतरराष्ट्रीय दर कम नहीं हो रहीं थीं. उन्होंने कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों के नाम भी गिनाये जिन्होंने पेट्रोल-डीजल पर मूल्य र्विधत कर (वैट) बढ़ाया.

उन्होंने कहा कि मनरेगा में आवंटन कम का दावा सही नहीं है. मंत्री ने कहा कि बजट में पीएम आवास योजना ग्रामीण में 34 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा और जल जीवन मिशन में 10 हजार करोड़ रूपये की राशि दी गई है. उन्होंने कहा कि इनमें समान कार्य हैं और लाभार्थी भी मनरेगा की तरह समान हैं.

वित्त मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा पर कम आवंटन का दावा गलत है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले बजट में 89,253 करोड़ रुपये आवंटन था, इस बार 92 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का प्रस्तावित है. इसी प्रकार से शिक्षा पर पिछले साल 1.04 लाख करोड़ रूपये आवंटित किये गये थे जो इस बजट में 1.13 लाख करोड़ रूपये करने का प्रस्ताव किया गया है.

सीतारमण ने कहा, ‘‘ हमारा न्यू इंडिया का सपना है और प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान सबका साथ, सबका विकास पर है. समावेशी विकास पर है. जो भी पात्र है, उसे लाभ मिलेगा.’’ उन्होंने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के एक योजना में तरफदारी के आरोपों पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में तरफदारी नहीं की जाती, ऐसे बयान गलत हैं और सभी को पात्रता के आधार पर आवंटन किये जाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ रिश्तेदारों को फोन पर आवंटन की संस्कृति कांग्रेस की है, हमारी नहीं.’’

उन्होंने कहा कि बजट में किसी विभाग का आवंटन कम नहीं किया गया, यह बात वह आंकड़ें रखकर बता रही हैं और यह बजट किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है. वित्त मंत्री ने 1983 की नेल्ली हिंसा और 1984 के सिख विरोधी दंगों का उल्लेख करते हुए तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि उस समय इन घटनाओं में पीड़ित समुदायों के लिए बजट आवंटन क्या कम था, लेकिन फिर भी वे हिंसा का शिकार हो गये.

उन्होंने कहा कि किसी विभाग के लिए बजट आवंटन कम होने का यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि हम किसी समुदाय के खिलाफ हैं. केंद्र पर राज्यों के बकाये को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के आरोपों को निराधार बताते हुए सीतारमण ने कहा कि केंद्र की कई योजनाओं को लेकर पश्चिम बंगाल में अनियमितताओं की शिकायतें आईं.

उन्होंने कहा कि ऐसे में महापंजीयक के प्रमाणपत्र के बिना धन कैसे जारी किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल सरकार ने महापंजीयक का प्रमाणपत्र नहीं दिया, तो मैं क्या करूं.’’ सीतारमण ने कहा कि हम पैसे देने को तैयार हैं, लेकिन उचित प्रक्रिया का पालन होना जरूरी है.

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