एक बार पोछा मारने को कहा गया था रिंकू को, अब लगातार पांच छक्के जड़कर सुर्खियां बटोरी

नयी दिल्ली/लखनऊ/अहमदाबाद. रिंकू ंिसह ने अपनी परेशानियों को बयां करते हुए कहा था कि उनसे एक बार कहा गया था कि तुम्हें किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि तुम ‘ट्यूशन सेंटर’ में पोछा मारते हो. सुबह आओ, साफ-सफाई करो और निकल जाओ. किसी को पता नहीं चलेगा. ये शब्द रिंकू के पिता के थे जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए अंडर-16 में खेलना शुरू नहीं किया था. रिंकू को हालांकि यह विचार पसंद नहीं आया.

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रिंकू के पिता खानचंद रसोई गैस सिंिलडर की डिलीवरी का काम करते हैं और उनके पिता की कमाई सात लोगों के परिवार के लिए पूरी नहीं होती थी जिसके कारण उन्हें और उनके चार भाइयों को गुजारा करने के लिए छोटा-मोटा काम करना पड़ता था.

रिंकू ने काफी मुश्किल दौर देखा है लेकिन रविवार को आईपीएल मुकाबले में लगातार पांच छक्के जड़कर उन्होंने सुर्खियां बटोरी.
रिंकू ने कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से कुछ समय पहले कहा था, ‘‘मैं इतना पढ़ा-लिखा नहीं हूं कि पढ़ाई के आधार पर कोई काम कर सकूं. यह केवल क्रिकेट है जो मुझे आगे ले जा सकता है और यह एक विकल्प नहीं था बल्कि एकमात्र विकल्प था.’’ अलीगढ़ के 25 वर्षीय रिंकू ने उत्तर प्रदेश टीम के अपने साथी खिलाड़ी यश दयाल पर लगातार पांच छक्के जड़कर केकेआर को अप्रत्याशित जीत दिलाई.

पिछले कुछ वर्षों में रिंकू का परिवार आईपीएल के पैसे से गरीबी को दूर करने में सफल रहा है लेकिन अब वह आईपीएल का स्टार होने का लुत्फ उठाएंगे. रिंकू ने अपनी मैच जिताने वाली पारी के बाद कहा, ‘‘मेरे पिता ने बहुत संघर्ष किया, मैं एक किसान परिवार से आता हूं. मैंने जो भी गेंद मैदान से बाहर मारी वह उन लोगों को सर्मिपत थी जिन्होंने मेरे लिए इतना बलिदान दिया.’’ वर्ष 2021 के घरेलू सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हुए एक मैच में दूसरा रन लेते हुए रिंकू के घुटने में गंभीर चोट लग गई थी और उनकी सर्जरी हुई थी. उनके पिता इतने उदास थे कि उन्होंने कुछ दिनों के लिए खाना बंद कर दिया था.

रिंकू ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘कॉलोनियों के बीच मुकाबला या क्लब मैच खेलने के लिए आपको गेंद खरीदने के लिए पैसे जमा करने की जÞरूरत थी और मेरे पिता मुझे कभी पैसे नहीं देते. एक बार जब मैं कानपुर में एक मैच खेलने गया तो मेरी मां ने स्थानीय किराना स्टोर से 1000 रुपये उधार लिए जिससे कि मुझे खर्चे के लिए दे सके.’’ उन्होंने बताया, ‘‘पापा से हम पांचों भाइयों को बहुत मार पड़ी है. मेरे पिता एलपीजी सिलेंडर डिलीवरी करते थे और जब वे नौकरी के लिए उपलब्ध नहीं होते थे, तो हम भाइयों को उनकी जगह काम करना पड़ता था और पिताजी तब तक छड़ी लेकर बैठे रहते जब तक हम डिलीवरी नहीं कर देते.’’ भारी एलपीजी सिलेंडर को उठाने में काफी ताकत लगती है. रिंकू और उसका एक भाई पीछे बैठकर अक्सर अपनी बाइक पर भारी सिलेंडर लोगों के घरों और होटल में पहुंचाते.

रिंकू ने कहा, ‘‘हम पांचों भाइयों ने पापा के काम में बहुत मदद की है.’’ तो आखिर कब उनके पिता ने पढ़ाई को नजरअंदाज करने और क्रिकेट खेलने के लिए उन्हें पीटना बंद किया. रिंकू ने कहा, ‘‘डीपीएस अलीगढ़ ने स्कूल विश्व कप नाम का एक टूर्नामेंट आयोजित किया था और मुझे ‘मैन आॅफ द टूर्नामेंट’ घोषित किया गया था. यह पहली बार था जब पापा मुझे देखने के लिए मैदान पर आए थे. मुझे उनके सामने एक मोटरसाइकिल भेंट की गई थी, उस दिन के बाद उन्होंने कभी नहीं मारा.’’ उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के अंडर-16 ट्रायल के दौरान उन्हें दो बार नजरअंदाज किया गया था क्योंकि उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वह उस समय वह उस स्तर के लिए तैयार नहीं थे.

वह हालांकि 2012 तक तैयार था और विजय मर्चेंट ट्रॉफी में पदार्पण करते हुए उन्होंने 154 रन बनाए. बीसीसीआई टूर्नामेंट में इस तरह की पारी ने विश्वास दिलाया कि कड़ी मेहनत से वह एलीट क्रिकेट खेल सकता है. कुछ वर्षों के भीतर वह उत्तर प्रदेश अंडर -19 टीम में थे और पहले वर्ष (2014) में उन्हें सीधे राज्य की वनडे टीम में शामिल किया गया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक बार जब आप प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं तो कुछ निश्चित निवेश होते हैं और किट उनमें से एक है.

रिंकू ने कहा, ‘‘कम से कम पांच या छह लोगों ने वास्तव में मेरी मदद की. मेरे बचपन के कोच मसूद अमीनी, मोहम्मद जीशान जिन्होंने मुझे क्रिकेट के बल्ले सहित पूरी किट प्रदान की. अर्जुन ंिसह फकीरा, नील ंिसह और स्वप्निल जैन कुछ ऐसे लोग हैं जिनका मैं हमेशा आभारी रहूंगा.’’ पिछले तीन वर्षों में रिंकू ने आईपीएल के पैसे से सबसे पहले अपने परिवार को शहर में अपने नए अपार्टमेंट में स्थानांतरित कर दिया है. उन्होंने अपने परिवार के सभी कर्जे चुका दिए हैं.

कभी क्रिकेट खेलने पर पिता से मार खाई थी ‘सिक्सर ंिकग’ रिंकू सिंह ने
आईपीएल में गुजरात टाइटंस के खिलाफ आखिरी ओवर में पांच छक्के जड़कर कोलकाता नाइट राइडर्स को सनसनीखेज जीत दिलाने वाले उत्तर प्रदेश के बल्लेबाज रिंकू सिंह को कभी क्रिकेट खेलने के लिए अपने पिता से मार भी खानी पड़ी थी. बेहद गरीबी और अभाव के बीच संघर्ष कर इस मकाम तक पहुंचे रिंकू के परिवार के लिए उनकी यह उपलब्धि किसी ख्वाब के सच होने जैसी है.

रिंकू रविवार को आईपीएल में गुजरात टाइटंस के खिलाफ खेले गए मुकाबले में आखिरी पांच गेंदों पर छक्के जड़कर अपनी टीम को अप्रत्याशित जीत दिला कर चर्चा में हैं. मगर करियर में यहां तक पहुंचना उनके लिए इतना आसान नहीं था. बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रिंकू के पिता खानचंद रसोई गैस सिंिलडर की डिलीवरी का काम करते हैं और अब भी वह इसी पेशे से जुड़े हैं. अपने बेटे के संघर्ष को याद करते हुए वह कहते हैं कि कई बार उन्होंने क्रिकेट खेलने पर रिंकू की पिटाई भी की थी.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले खानचंद ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, “मैंने कई बार रिंकू की सिर्फ इसलिए पिटाई की कि वह क्रिकेट खेल कर अपना समय बर्बाद कर रहा था. वह ना तो पढ़ाई करता था और ना ही काम में मेरा हाथ बटाता था.” उन्होंने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह रिंकू को बल्ला दिलवा सकते. ट्रेंिनग की बात तो बहुत दूर की है.

खानचंद ने बताया कि क्रिकेट के प्रति बेटे की लगन देखकर अक्सर उनका मन भर आता था लेकिन मुफलिसी के आगे वह बेबस थे. हालांकि रिंकू की खुशकिस्मती थी कि उसे क्रिकेट कोच मसूदउज्जफर अमीनी और क्रिकेट अकादमी संचालित करने वाले अर्जुन सिंह का साथ मिला.

खानचंद कहते हैं कि इन दोनों ने रिंकू की हर तरह से मदद की और अपने करियर को संवारने के लिए उसकी खूब हौसला अफजाई भी की. आज हर तरफ उनके बेटे की कामयाबी के चर्चे हैं. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रिंकू यहां पहुंच जाएगा. उसकी उपलब्धि किसी ख्वाब के सच होने जैसी है.

उत्तर प्रदेश की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेलने वाले रिंकू सिंह के कोच रहे मसूदउज्जफर अमीनी को भरोसा है कि आने वाले वक्त में उनका शागिर्द भारतीय टीम के लिए खेलेगा. रिंकू के करियर के शुरुआती दौर में उन्हें क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले अमीनी ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ रविवार को खेली गई सनसनीखेज पारी का जिक्र करते हुए कहा कि रिंकू की क्षमता को देखते हुए उनसे ऐसी पारी की उम्मीद करना कोई बड़ी बात नहीं है.

उन्होंने कहा कि और रिंकू ने जब आखिरी ओवर में शुरुआती दो छक्के मारे तभी कहीं ना कहीं उन्हें इस बात की उम्मीद जग गई थी कि उनका शागिर्द अपनी टीम को जीत दिला देगा क्योंकि वह बेहतरीन ‘फिनिशर’ है. अमीनी ने कहा कि रिंकू के अंदर ‘एक्स फैक्टर’ है जो उसे बहुत आगे लेकर जाएगा. उम्मीद है कि वह निश्चित रूप से एक दिन भारतीय टीम के लिए खेलेगा. उन्होंने कहा कि रिंकू आक्रामक क्रिकेट खेलने के साथ-साथ एक अच्छा टेस्ट बल्लेबाज भी बन सकतस है क्योंकि उसके अंदर खेल के प्रारूप के हिसाब से खुद को ढालने की विलक्षण क्षमता है.

केकेआर के कप्तान राणा के बल्ले से पांच छक्के मारे थे रिंकू ने

कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के रिंकू सिंह ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ जिस बल्ले से लगातार पांच छक्के जड़कर अपनी टीम को जीत दिलाई वह असल में उनके कप्तान नितीश राणा का था जिन्होंने काफी हिचक के बाद उन्हें यह दिया था. केकेआर की पारी की अंतिम पांच गेंद पर बाएं हाथ के बल्लेबाज रिंकू ने यश दयाल पर लगातार पांच छक्के जड़कर रविवार को यहां इंडियन प्रीमियर लीग मैच में अपनी टीम को यादगदार जीत दिलाई.

राणा ने रविवार को जीत के बाद कहा, ‘‘यह बल्ला मेरा है (जिसका इस्तेमाल रिंकू ने किया) और (इस सत्र में) मैंने दोनों मैच इसी बल्ले से खेले. मैंने पूरी सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और पिछले साल के आखिरी चार या पांच मैच इसकी बल्ले से खेले.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज (रविवार को) मैंने अपना बल्ला बदला. रिंकू ने मेरा बल्ला मांगा. मैं शुरुआत में अपना बल्ला नहीं देना चाहता था लेकिन कोई यह बल्ला उठा लाया (ड्रेसिंग रूम से).’’ केकेआर के कप्तान ने टीम के ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘मुझे अहसास था कि वह यह बल्ला चुनेगा क्योंकि यह उठाने में काफी अच्छा लगता है और मेरे वजन के हिसाब से यह बल्ला हल्का है. अब यह बल्ला रिंकू का है, मेरा नहीं.’’ केकेआर के मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित ने भी शानदार बल्लेबाजी के लिए रिंकू सिंह की सराहना की.

पंडित ने कहा, ‘‘कोच, क्रिकेटर, प्रथम श्रेणी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मेरे 43 साल के करियर के दौरान मैंने इससे पहले सिर्फ दो पारियां देखी थी. एक में रवि शास्त्री ने रणजी ट्रॉफी में छह छक्के जड़े थे और दूसरी में जावेद मियांदाद ने दुबई (शारजाह) में अंतिम गेंद में छक्का जड़ा था. इसके बाद मैं तुम्हें (रिंकू को) देख रहा हूं.’’

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