कर्नाटक में चुनावी ‘गारंटी’ अन्य राज्यों में कांग्रेस के लिए अनुकरणीय हो सकती है : शिवकुमार
बेंगलुरु. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस की पांच ‘गारंटी’ का चुनावी वादा एक ”कठिन निर्णय” था और उन्हें लगता है कि यह अन्य राज्यों में पार्टी के लिए अनुकरणीय हो सकता है, जो वहां की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करेगा.
शिवकुमार ने यहां पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ”सरकारें करोड़ों रुपये का कर्ज माफ कर बड़े कारोबारियों की मदद करती हैं, लेकिन आम आदमी की मदद कैसे की जाए? इसलिए हमने ‘गारंटी’ देने का फैसला किया.” उन्होंने कहा कि आर्थिक मुद्दे, बेरोजगारी और गरीबी वैचारिक नहीं, बल्कि मुख्य मुद्दे हैं. शिवकुमार (61) ने यह भी दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कर्नाटक में भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) एकजुट हो रहे हैं.
हालांकि, उन्होंने हाल ही में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन के बाद पार्टी को लोकसभा में भी अच्छी-खासी संख्या में सीट पर जीत हासिल होने का विश्वास जताया. चुनावी ‘गारंटी’ को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी की संबंधित राज्य इकाइयों को इस बारे में फैसला करना होगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनावी ‘गारंटी’ उन अन्य राज्यों में लागू करने की रणनीति पर कांग्रेस विचार कर सकती है, जहां अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होने हैं क्योंकि ऐसा लगता है कि यह कर्नाटक में शानदार जीत मिलने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक रहा है, इस पर शिवकुमार ने कहा कि यह संबंधित राज्य की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है.
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा, ”यह सब उनकी वित्तीय ताकत पर निर्भर करता है. कर्नाटक वित्तीय रूप से मजबूत है. हमने महंगाई के कारण यह गारंटी दी. महंगाई बढ़ गई है जबकि आय कम हो गई है, इसलिए महंगाई की भरपाई करने के लिए हमने सोचा कि सरकार को लोगों की मदद करनी चाहिए. हम जानते हैं कि यह एक बहुत ही कठिन फैसला है.”
विधानसभा चुनाव के बाद, कर्नाटक में कांग्रेस की नवगठित सरकार ने दो जून को कांग्रेस की पांच चुनावी ‘गारंटी’ को लागू करने का फैसला किया और इस वित्तीय वर्ष के भीतर ये योजनाएं लागू करने के लिए एक समय सीमा भी निर्धारित की. लोगों को ‘सब्सिडी लाभ’ मुहैया करने की चुनावी ‘गारंटी’ को ‘भारतीय राजनीति के इतिहास में पहला बड़ा राजनीतिक निर्णय’ बताने संबंधी अपने बयान को याद करते हुए शिवकुमार ने कहा, ”यह 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का होगा. एक दिन में, मंत्रिमंडल की बैठक में हमने आम आदमी की मदद के लिए इसे (चुनावी गारंटी) को मंजूरी दी… हमने जो वादा किया, उसे निभा रहे हैं.”
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में भाजपा और जद (एस) की चुनावी रणनीति का मुकाबला करने के लिए ”वैकल्पिक योजना” बनाएगी. कांग्रेस ने राज्य की कुल 28 संसदीय सीट में से कम से कम 20 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ”राष्ट्रीय स्तर के बारे में मैं नहीं कह सकता, लेकिन जहां तक कर्नाटक की बात है, भाजपा और जद (एस) दोनों एकजुट हो रहे हैं, यही मुझे पता चला है.” उन्होंने कहा, ”इसलिए हम वैकल्पिक योजनाएं बनाएंगे. हमें कोई आपत्ति नहीं है, उन्हें हाथ मिलाने दीजिए, लेकिन कांग्रेस पार्टी अच्छी-खासी संख्या में सीट जीतेगी.” उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीट है. भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 25 सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि उसके समर्थन से निर्दलीय को एक सीट मिली थी. वहीं, कांग्रेस और जद (एस) ने एक-एक सीट जीती थी.
विधानसभा चुनाव से पहले दी गई कांग्रेस की पांच ‘गारंटी’ में सभी घरों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली(गृह ज्योति), हर परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये मासिक सहायता (गृह लक्ष्मी), गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम मुफ्त चावल (अन्न भाग्य) शामिल है.
इसके अलावा, पार्टी ने बेरोजगार स्नातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) को दो साल के लिए 1,500 रुपये (युवा निधि) और सार्वजनिक बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा (शक्ति) सुविधा उपलब्ध कराने का भी वादा किया था.