भारत में एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों के लिए समान अधिकारों का समर्थन करें प्रधानमंत्री मोदी

वाशिंगटन. भारतीय-अमेरिकी एलजीबीटीक्यू सदस्यों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भारत में समुदाय को समान अधिकार दिए जाने का समर्थन करने की अपील की. प्रधानमंत्री मोदी इस महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर अपनी पहली राजकीय यात्रा पर अमेरिका आ रहे हैं. 21 जून से शुरू होने जा रही मोदी की चार दिवसीय यात्रा के दौरान बाइडन दंपति 22 जून को उनके लिए राजकीय भोज की मेजबानी करेंगे.

‘देसी रेनबो’ की कार्यकारी निदेशक अरुणा राव ने कहा, “भारत का उच्चतम न्यायालय पिछले कुछ महीनों से समलैंगिक शादी के मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है. मैं प्रधानमंत्री मोदी से इसका समर्थन करने की अपील करती हूं. वह भारत में एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए समान अधिकारों का समर्थन करें और यह समझें कि हमारे बच्चे और एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग समान अधिकारों के हकदार हैं, क्योंकि हम सभी इंसान हैं.” राव उन चुनिंदा भारतीय-अमेरिकियों में शामिल हैं, जिन्हें व्हाइट हाउस के ‘साउथ लॉन’ में ऐतिहासिक ‘प्राइड रैली’ में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस रैली को राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन ने संबोधित किया था.

रैली के दौरान राव ने भारतीय-अमेरिकी एलजीबीटी समुदाय के अभिभावकों से यौन पहचान की परवाह किए बिना अपने बच्चों से प्रेम करने और उनका साथ देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “मैं खुद एक समलैंगिक बच्चे की अभिभावक हूं. मैं एलजीबीटीक्यू समुदाय से संबंध रखने वाले दुनियाभर के सभी परिवारों को यह बताना चाहती हूं कि हम सभी को अपने बच्चे से प्यार करना चाहिए और उसका समर्थन करना चाहिए. मुझे आशा है कि आप सभी ऐसा करेंगे.” चेन्नई में जन्मे लेस्ले किंग्स्टन ने कहा कि वह दक्षिण एशियाई लोगों, विशेष रूप से अमेरिका और अन्य देशों में रह रहे भारतीयों का समर्थन करते हैं, जो एलजीबीटीक्यू समुदाय को समानता का अधिकार दिलाने की दिशा में काम कर रहे हैं.

पेशे से कलाकार किंग्स्टन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि एलजीबीटीक्यू समुदाय भारत में भेदभाव का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती वास्तव में औपनिवेशीकरण है, क्योंकि हमारी बहुत सारी सांस्कृतिक मान्यताएं उस उत्पीड़न से संबंध रखती हैं, जो उपनिवेशवाद की वजह से हमारे साथ हुआ है. हम उससे आगे नहीं जा पाए हैं. हमने उन कानूनों का इस्तेमाल किया है, जो अंग्रेज हमारे देश में ले आए थे और इनका इस्तेमाल हमारे लोगों पर अत्याचार करने के लिए किया जा रहा है, जो वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है.”

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