डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा का मुद्दा एक वैश्विक चुनौती: चंद्रशेखर

पुणे/नयी दिल्ली. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा का मसला एक वैश्विक चुनौती है और इससे निपटने के लिए मिलजुलकर काम करने की जरूरत है. चंद्रशेखर ने यहां आयोजित वैश्विक सार्वजनिक डिजिटल ढांचा (डीपीआई) सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की सुरक्षा कोई घरेलू मुद्दा नहीं है और न ही इसमें चुनिंदा सहयोग से काम चल पाएगा.

उन्होंने कहा, ”डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा के घरेलू, कानूनी, तकनीकी एवं आर्थिक पहलुओं को सुधारने के तरीके विकसित करने के लिए एक साझा समझ तैयार करनी होगी.” उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकी, वित्तीय-प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इंटरनेट आधारित कंपनियों के पास अब उपभोक्ताओं के बारे में तमाम संवेदनशील एवं व्यक्तिगत जानकारियां रहती हैं. इनमें साइबर अपराध के सबसे ज्यादा मामले वित्तीय-प्रौद्योगिकी में सामने आते हैं जबकि स्वास्थ्य देखभाल और सोशल मीडिया से संबंधित अपराध उसके बाद हैं.

चंद्रशेखर ने कहा, ”इन कंपनियों के पास मौजूद आंकड़े में सेंधमारी, फिरौती के लिए साइबर हमले और सेवा रोकने वाले हमले आम लोगों के साथ सरकारों के लिए खतरा पैदा करते हैं. ऐसे अपराधों से उपभोक्ताओं का भरोसा कम होने का असर आखिरकार डिजिटल कायाकल्प एवं आर्थिक वृद्धि पर ही पड़ेगा.”

डीपीआई ढांचा दुनियाभर के ‘डिजिटल गवर्नेंस’ के लिए अहम: चंद्रशेखर

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए सार्वजनिक डिजिटल ढांचे (डीपीआई) को महत्वपूर्ण घटक बताते हुए सोमवार को कहा कि भारत ने अपनी जनसंख्या की प्रगति एवं विकास के लिए डीपीआई का ‘गुणक’ के तौर पर इस्तेमाल किया है.

चंद्रशेखर ने पुणे में आयोजित वैश्विक डीपीआई सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि डीपाआई प्रारूप भारत समेत दुनियाभर के लिए डिजिटल गवर्नेंस का भविष्य है. उन्होंने कहा, ”डीपीआई की ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पिछले पांच साल में सरकार ने अपने नागरिकों को 400 अरब डॉलर से अधिक रकम हस्तांतरित की है और इसमें कोई भी रिसाव नहीं हुआ है. इस तरह भारत ने अपनी ताकत दर्शाई है.”

उन्होंने कहा, ”हम डीपीआई के ईदगिर्द जिस तरह की भागीदारी का प्रस्ताव रख रहे हैं, वह दुनियाभर के सभी देशों के लिए सही मायने में जीत वाली है, जो डिजिटलीकरण के मामले में पीछे रह गए हैं.” चंद्रशेखर ने डिजिटल अर्थव्यवस्था को एक सशक्त अवसर बताते हुए कहा कि इस बड़े मौके का फायदा उठाने के लिए किसी भी देश के पास डीपीआई का मजबूत आधार होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक डीपीआई सम्मेलन और इस मसले पर हो रही चर्चा भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा के अनुरूप है जिसमें हम एक परिवार के तौर पर सामूहिक भविष्य की बेहतरी के लिए काम करते हैं. इसमें सार्वजनिक डिजिटल संरचनाओं और प्रौद्योगिकियों का अहम स्थान है.

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