केंद्र, राज्य सरकारों की पशुओं में ढेलेदार त्वचा रोग को नियंत्रित करने की कोशिशें जारी: मोदी

ग्रेटर नोएडा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर मवेशियों में ढेलेदार त्वचा रोग के प्रसार को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं. इस बीमारी के कारण कारण देश के विभिन्न हिस्सों में मवेशियों की मौतें हुई हैं. उन्होंने कहा कि ढेलेदार त्वचा रोग (लंपी स्किन डिजीज) के लिए एक स्वदेशी टीका विकसित किया गया है. उन्होंने यहां ‘इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट’ में आयोजित किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय डेयरी संघ – विश्व डेयरी सम्मेलन (आईडीएफ-डब्ल्यूडीएस) 2022 का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही.

कई राज्य मवेशियों में ढेलेदार त्वचा रोग (एलएसडी) से जूझ रहे हैं और यह बीमारी डेयरी क्षेत्र के लिए ंिचता का विषय बनकर उभरी है. गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित आठ से अधिक राज्यों में एलएसडी के कारण हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है.

मोदी ने कहा, ‘‘हमारे वैज्ञानिकों ने ढेलेदार त्वचा रोग के लिए स्वदेशी टीका भी तैयार किया है.’’ ढेलेदार त्वचा रोग (एलएसडी) एक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो मवेशियों को प्रभावित करता है और बुखार, त्वचा पर गांठ का कारण बनता है. इससे मवेशियों की मृत्यु भी हो सकती है.

मोदी ने कहा, ‘‘हाल के दिनों में लंपी नाम की बीमारी से भारत के कई राज्यों में पशुधन का नुकसान हुआ है. केंद्र सरकार विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है.’’ शिखर सम्मेलन में बड़ी संख्या में विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पशुधन की बीमारी एक बड़ा खतरा है क्योंकि यह किसानों और उनकी आय को प्रभावित करती है.

यह बीमारी मवेशियों में बीमारी दूध उत्पादन और इसकी गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है, इसलिए सरकार पशुधन के सार्वभौमिक टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हम पैर और मुंह की बीमारी के लिए वर्ष 2025 तक पशुओं के 100 प्रतिशत टीकाकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं.’’

उन्होंने आगे कहा कि भारत डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस बना रहा है और डेयरी क्षेत्र से जुड़े हर जानवर को टैग किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम जानवरों की बायोमेट्रिक पहचान कर रहे हैं. हमने इसका नाम रखा है-पशु आधार.’ उन्होंने कहा कि पशु आधार के तहत पशुधन की डिजिटल पहचान उनके स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए की जा रही है, जिससे डेयरी क्षेत्र के विस्तार में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ-साथ इस क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक संतुलित डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर भी काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि इस पारिस्थितिकी तंत्र में किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबों का सशक्तिकरण, स्वच्छता (स्वच्छता), रसायन मुक्त खेती, स्वच्छ ऊर्जा और मवेशियों की देखभाल परस्पर जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि गांवों में हरित और सतत विकास के शक्तिशाली माध्यम के रूप में पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा दिया जा रहा है.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गोवर्धन योजना, डेयरी क्षेत्र का डिजिटलीकरण और मवेशियों के सार्वभौमिक टीकाकरण के साथ-साथ एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने जैसी योजनाएं उस दिशा में उठाये गये कदम हैं. इसके अलावा, मोदी ने कहा, सरकार किसान उत्पादक संगठनों और महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ-साथ डेयरी क्षेत्र में स्टार्टअप जैसी उद्यमशीलता संरचनाओं को बढ़ावा दे रही है.

मोदी ने गोवर्धन योजना में हासिल की गई उपलब्धियों का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले 5-6 वर्षों में कृषि और डेयरी क्षेत्र में 1,000 से अधिक स्टार्टअप उभरकर सामने आये हैं. मोदी ने यह भी कहा कि सरकार देशी और संकर नस्ल दोनों को बढ़ावा दे रही है क्योंकि विविधता महत्वपूर्ण है चाहे वह कृषि क्षेत्र हो या डेयरी क्षेत्र हो.

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के अन्य विकसित देशों के उलट, भारत में डेयरी क्षेत्र की प्रेरक शक्ति छोटे किसान हैं. भारत के डेयरी क्षेत्र को ‘‘व्यापक दूध उत्पादन’’ से कहीं ज्यादा ‘‘व्यापक जनता द्वारा उत्पादन’’ किये जाने वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. मोदी ने ‘पशु धन’ और दूध से जुड़े कारोबार को भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति बताते हुए डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने वाली चार अनूठी विशेषताओं पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि छोटे किसानों के प्रयासों से भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना है तथा यह क्षेत्र आठ करोड़ से अधिक किसानों को आजीविका प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि भारत के डेयरी क्षेत्र की यह विशिष्टता दुनिया के अन्य भागों में मिलना मुश्किल है और यह दुनिया के कई गरीब देशों के लिए एक अच्छा व्यवसाय मॉडल हो सकता है.

उन्होंने कहा कि भारत की डेयरी की दूसरी अनूठी विशेषता यहां सहकारी प्रणाली में इसका उत्पादन किया जाना है. उन्होंने कहा कि डेयरी सहकारी समितियां दो लाख से अधिक गांवों में लगभग दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध एकत्र करती हैं और इसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. मोदी ने कहा कि पूरी इस प्रक्रिया में कोई बिचौलिया नहीं है और ग्राहकों से मिलने वाला 70 प्रतिशत से ज्यादा पैसा सीधे किसानों के पास जाता है.

उन्होंने कहा कि तीसरी विशेषता स्वदेशी नस्लें हैं, जो भिन्न प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों को सह सकती हैं. उन्होंने गुजरात के कच्छ क्षेत्र की बन्नी भैंस की मजबूत भैंस नस्ल का उदाहरण दिया. उन्होंने अन्य भैंस और गाय की नस्लों के बारे में भी चर्चा की.
डेयरी क्षेत्र की चौथी अनूठी विशेषता इस क्षेत्र में काम करने वाली नारी शक्ति हैं. डेयरी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं का 70 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘महिलाएं भारत के डेयरी क्षेत्र की असली नेता हैं. इतना ही नहीं, भारत में डेयरी सहकारी समितियों की एक तिहाई से अधिक सदस्य महिलाएं हैं.’’ मोदी ने कहा, भारत के डेयरी क्षेत्र का बाजार 8.5 करोड़ रुपये का है, जिसका मूल्य चावल और गेहूं के कुल उत्पादन से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र की संचालक शक्ति महिलाएं ही हैं.

उन्होंने कहा कि देश का दूध उत्पादन वर्ष 2014 में 14.6 करोड़ टन से 44 प्रतिशत बढ़कर 21 करोड़ टन हो गया है. देश का दुग्ध उत्पादन सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जो वैश्विक वृद्धि दर दो प्रतिशत से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता भी वैश्विक मांग से कहीं अधिक है. इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. आईडीएफ-डब्ल्यूडीएस, वैश्विक डेयरी क्षेत्र की एक वार्षिक बैठक है, जो दुनिया भर के प्रतिभागियों को एक साथ लाने का मंच प्रदान करती है.

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