अमेरिकी खुफिया दस्तावेज लीक होने से दक्षिण कोरिया के साथ शिखर वार्ता उलझी

सियोल. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा से ठीक पहले अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों के ‘लीक’ होने से असहज स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि लीक हुए दस्तावेजों में यूक्रेन को लेकर वरिष्ठ दक्षिण कोरियाई अधिकारियों की आपसी बातचीत भी कथित तौर पर शामिल है. इस प्रकार के दस्तावेज संकेत देते हैं कि अमेरिका अपने एक प्रमुख एशियाई सहयोगी देश पर नजर रख रहा था.

गौरतलब है कि पिछले साल पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति यून सुक योल ने उत्तर कोरिया की ओर से बढ़ते परमाणु खतरों और सैन्य चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी को अपनी विदेश नीति के केंद्र में रखा है. दोनों देशों के बीच आगामी 26 अप्रैल को शिखर वार्ता होने वाली है जिसे सुरक्षा प्रतिबद्धता, आर्थिक और प्रौद्योगिकी नीतियों को लेकर महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. लीक दस्तावेजों को आॅनलाइन पोस्ट किया गया जिसे अमेरिकी खुफिया व्यवस्था का उल्लंघन कहा जा रहा है.

द एसोसिएटेड प्रेस द्वारा देखे गए इन दस्तावेजों के मुताबिक, अमेरिका ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् को यूक्रेन को गोला-बारूद मुहैया कराने के लिए अनुरोध किया था जिसके बाद मार्च की शुरुआत में दोनों देशों के बीच ‘मतभेद’ हुए. दक्षिण कोरिया तेजी से उभरता हथियार निर्यातक देश है और उसकी नीति युद्ध के दौरान किसी देश को हथियारों की आपूर्ति नहीं करने की है. हालांकि, दक्षिण कोरिया ने यूक्रेन को सीधे हथियार नहीं दिए हैं, उसने मानवीय सहायता भेजी और रूस के खिलाफ अमेरिकी नेतृत्व वाले आर्थिक प्रतिबंधों में शामिल हुआ.

सियोल स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ प्रेसिडेंशियल लीडरशिप के निदेशक चोई जिन ने बताया कि यह कोई रहस्य नहीं है कि सहयोगी एक-दूसरे के साथ-साथ अपने विरोधियों की भी जासूसी करते हैं. चोई ने कहा कि अमेरिकी ‘‘वायरटैंिपग’’ गतिविधियां “ऐसी चीजें हैं जो हर कोई पहले से जानता है,” हालांकि यह तब अधिक संवेदनशील मामला बन जाता है जब इसे सार्वजनिक किया जाता है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि दक्षिण कोरिया भी अमेरिकी अधिकारियों को वायरटैप करने की कोशिश करते हैं. लोग वायरटैंिपग शब्द को पसंद नहीं करते हैं. लेकिन दूसरे शब्दों में, इसे खुफिया जानकारी इकट्ठा करना कहा जाता है.”

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