मुझे मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनना चाहिए: कर्नाटक के गृह मंत्री परमेश्वर
बेंगलुरु. कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को कहा कि उनके समेत कई दलित नेता सारी क्षमता होने के बावजूद अतीत में और अब मुख्यमंत्री बनने के लिए अवसरों से वंचित हैं. परमेश्वर ने प्रदेश अध्यक्ष रहते 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का श्रेय उन्हें नहीं दिए जाने का भी जिक्र किया. गृह मंत्री ने कहा, ”हम लोगों (दलितों) को हीन भावना को छोड़ना होगा, यही कारण है कि मैं खुले तौर पर कहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा. मुझे क्यों नहीं बनना चाहिए? के एच मुनियप्पा (दलित नेता और मंत्री) भी बनें, क्यों नहीं बनना चाहिए?”
उन्होंने कहा, ”मुनियप्पा या परमेश्वर या महादेवप्पा (मंत्री) या (पिछले अनुभवी नेताओं जैसे) बसवलिंगप्पा या एन राचैया या रंगनाथ की क्षमता में क्या कमी है.” परमेश्वर ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि ”अवसरों से वंचित रखा गया.” उन्होंने दलितों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकार के लिए आवाज उठाएं और अपने वोट का सही इस्तेमाल करें.
परमेश्वर ने पूर्व में खुले तौर पर मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी महत्वाकांक्षा व्यक्त की थी. पिछले महीने चुनाव परिणामों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस द्वारा सिद्धरमैया को चुने जाने पर, उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को चेताया था यदि किसी दलित को उपमुख्यमंत्री पद नहीं दिया जाता है, तो प्रतिकूल प्रतिक्रिया होगी और यह पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर देगी. दलित नेता परमेश्वर (71) एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जनता दल (सेक्युलर)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के दौरान उपमुख्यमंत्री थे. वह सबसे लंबे समय तक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख (आठ वर्ष) भी रहे.
परमेश्वर ने कहा कि जब वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे, कांग्रेस नौ साल के अंतराल के बाद 2013 में सत्ता में आई थी, लेकिन किसी ने उन्हें जीत का श्रेय नहीं दिया. उन्होंने सिद्धरमैया या डीके शिवकुमार का नाम लिए बिना कहा, ”किसी ने इस बारे में बात नहीं की. मैंने भी इस बारे में नहीं बोला. इसके विपरीत, आज लोग अपने नेतृत्व में (2023 में) पार्टी के सत्ता में आने का श्रेय लेते हैं और नेता दावा करते हैं.” परमेश्वर ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस कुछ समुदायों की उपेक्षा करने के कारण 2018 का चुनाव हार गई. उन्होंने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया, लेकिन वह दलित समुदाय को इंगित करते दिखे.
परमेश्वर ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व ने उन्हें आंबेडकर जयंती मनाने की जिम्मेदारी दी थी, जबकि के एच मुनियप्पा को बाबू जगजीवन राम के जन्मदिन समारोह को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. गृह मंत्री ने कहा कि दोनों ने चर्चा की और इसे स्वीकार नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि यह दलित समुदाय के खिलाफ ”फूट डालो और राज करो” वाली बात थी.