मम्मी पापा को स्मार्टफोन दिलाना है ताकि अब मेरा कोई मैच नहीं छूटे, जूनियर एशिया कप स्टार अन्नु

नयी दिल्ली. बचपन से परिवार के बलिदान और संघर्ष देखती आई अन्नु ने जूनियर महिला एशिया कप में जब दनादन गोल दागे तो उसे यही मलाल रह गया कि भूखे सोकर भी उसके सपने पूरे करने वाले उसके माता पिता उसे इतिहास रचते नहीं देख सके. भारतीय टीम ने जापान के काकामिगाहारा में चार बार की चैम्पियन दक्षिण कोरिया को फाइनल में 2 . 1 से हराकर पहली बार खिताब जीता . अन्नु ने फाइनल में पहला गोल किया और पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा नौ गोल करके दो बार ‘प्लेयर आफ द मैच’ बनी.

हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव रोजखेड़ा की रहने वाली अन्नु ने भाषा से कहा ,” मुझे यह दुख हमेशा रहेगा कि मेरे मम्मी पापा मैच नहीं देख सके . उनके पास स्मार्टफोन नहीं था जिस पर लाइव स्ट्रीमिंग देख पाते . अब घर जाकर सबसे पहले उन्हें फोन दिलाना है ताकि आगे से ऐसा नहीं हो .” अन्नु के परिवार में सिर्फ भाई ने मैच देखा जो हाल ही में सेना में भर्ती हुआ है .

अपने परिवार के संघर्षों के बारे में इस होनहार खिलाड़ी ने कहा ,”हमने बहुत बुरे दिन देखे हैं . पापा खेतों में मजदूरी करते तो कभी ईंट के भट्टे पर काम करते थे . मम्मी डिस्क की बीमारी से जूझ रही थी . हम कई बार भूखे भी सोये हैं और मैदान पर खेलते समय माता पिता के ये सारे बलिदान मुझे याद रहते थे .” भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने उसी दिन खिताब जीता जिस दिन क्रिकेट टीम विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल हारी थी . ऐसा अक्सर नहीं होता कि क्रिकेट के बीच हॉकी को मीडिया में ज्यादा तवज्जो मिले लेकिन उस दिन ऐसा हुआ .

अन्नु ने कहा ,” भारत में तो सभी क्रिकेट को पसंद करते हैं और जूनियर हॉकी को तो उतनी पहचान भी नहीं मिलती लेकिन इस मैच ने एक दिन के लिये ही सही , नजारा बदल दिया . पहले जूनियर लड़कों ने और अब पहली बार लड़कियों ने जीतकर इतिहास रचा . उम्मीद है कि सोच बदलेगी और लोग हमारे प्रदर्शन को भी सराहेंगे .” सीनियर टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल और मौजूदा कप्तान सविता भी हरियाणा से हैं और कई रूढियों को तोड़कर भारतीय हॉकी की सुपरस्टार बनी . क्या परिवार को संघर्षों से निकालने का जरिया उनके लिये हॉकी बनी, यह पूछने पर अन्नु ने कहा ,” मेरा हमेशा से यही मानना था कि मुझे कुछ करना है . मुझे अपने परिवार को अच्छी जिंदगी देनी है और देश का नाम भी रोशन करना है .”

उसने कहा ,” जब भी हम कहीं जीतते थे तो जो नकद पुरस्कार मिलता था, वह मैं मम्मी पापा को देती थी . हम पर काफी कर्ज चढा हुआ था जो धीरे धीरे उतारा . हरियाणा टीम में आने पर प्रदेश सरकार से भी पैसा मिलता है जो काफी काम आया .” चौथी कक्षा से हॉकी खेल रही अन्नु ने बताया कि शुरूआत में उनके पिता को लोगों ने हतोत्साहित करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने परिस्थितियों से लड़कर उसे इस मुकाम तक पहुंचाया .

उसने कहा ,” पापा हर जगह खेलने ले जाते थे तो लोग विरोध करते थे कि इससे कुछ नहीं होगा लेकिन पापा ने हार नहीं मानी . अब इस खिताब के बाद पूरा गांव खुशियां मना रहा है तो मुझे और खुशी हो रही है . मेरे पापा का विश्वास जीत गया है .” खेलो इंडिया खेलों में 2018, 2020 और 2021 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीअन्नु की प्रतिभा को परवान हिसार स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र पर कोच आजाद सिंह ने चढाया .

उसने कहा ,” आजाद सर ने मेरा बहुत साथ दिया और मेरे परिवार की हालत देखकर मेरा पूरा ख्याल रखा . कभी प्रशिक्षण में कोई कमी नहीं आने दी . टूर्नामेंट के दौरान सीनियर कोच यानेके शॉपमैन साथ थी तो उनके अनुभव से काफी फायदा मिला . बड़ी टीमों के खिलाफ कैसे खेलना है , उन्होंने बारीकी से बताया .” अब उनका अगला लक्ष्य इस साल होने वाले जूनियर विश्व कप में भी स्वर्ण पदक लेकर आना है लेकिन उससे पहले अपने परिवार के साथ इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाना बाकी है .

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