आज MSP की गारंटी का वादा कर रही कांग्रेस, पर 2010 में ठुकराई थी स्वामीनाथन की सिफारिश
पंजाब के हजारों किसानों ने फसलों की MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी मांगते हुए दिल्ली कूच कर दिया है। फिलहाल हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर हजारों किसान और पुलिस आमने-सामने हैं।
इसके चलते हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। सरकार MSP की कानूनी गारंटी को लेकर तमाम पेच बता रही है, जबकि कांग्रेस ने किसानों को सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ में ऐलान किया था कि यह कांग्रेस की गारंटी है कि हम सत्ता में आए तो MSP पर फसल खरीद का कानून लागू करेंगे।
हालांकि कांग्रेस ने ही 2010 में स्वामीनाथन आयोग की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें फसलों की MSP लागत से डेढ़ गुना तक करने की सिफारिश थी। इस संबंध में भाजपा के तत्कालीन राज्यसभा सांसद प्रकाश जावड़ेकर कृषि मंत्री केवी थॉमस से सवाल पूछा था कि क्या स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाएगा।
संसद में MSP पर पूछा गया था क्या सवाल, जिस पर बैकफुट पर आई थी सरकार
यह सवाल 16 अप्रैल, 2010 को पूछा गया था। इस पर कांग्रेसी मंत्री ने विस्तार से जानकारी देते हुए रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि यदि ऐसा हुआ तो फिर अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। प्रकाश जावड़ेकर ने तब सवाल किया था कि क्या किसानों को MSP दिए जाने के मसले पर सरकार स्वामीनाथन आयोग की ओर से दी गई सिफारिशों को लागू करने जा रही है? इस पर जवाब देते हुए केवी थॉमस ने विस्तार से इसे लागू न कर पाने के कारण बताए थे और कहा था कि इससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी।
क्या था कांग्रेस के तत्कालीन कृषि मंत्री का जवाब
कांग्रेसी मंत्री ने कहा था, ‘प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन के नेतृत्व में किसानों पर बने राष्ट्रीय की सिफारिशें मिली हैं। इनमें कहा गया है कि फसलों पर लगी किसान की कुल लागत से डेढ़ गुना अधिक MSP दी जानी चाहिए। हालांकि सरकार ने उनकी इन सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है। यदि इन्हें लागू किया तो फिर इससे मार्केट पर बुरा असर होगा। इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। कुछ मामलों में MSP और फसलों के उत्पादन लागत को जोड़कर देखना गलत होगा। इससे बाजार पर सही असर नहीं होगा।’