चक्रवात ‘बिपारजॉय’ : गुजरात के तटीय इलाकों से 50 हजार लोगों को निकाला गया, रक्षा मंत्री ने की बैठक

चक्रवात 'बिपारजॉय': महाराष्ट्र, गुजरात में राहत एवं बचाव कार्य के लिए NDRF की 33 टीमें बनायी गयी

मांडवी/अहमदाबाद. गुजरात के कच्छ जिले के जखाऊ बंदरगाह के पास शक्तिशाली चक्रवात ‘बिपारजॉय’ की संभावित दस्तक से पहले अधिकारियों ने राज्य के तटीय इलाकों से अब तक लगभग 50 हजार लोगों को निकालकर अस्थायी आश्रय शिविरों में स्थानांतरित किया है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बुधवार को बताया कि ‘बिपारजॉय’ के गुजरात तट की ओर बढ़ने के साथ सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र को तेज हवाओं एवं भारी बारिश का सामना करना पड़ा. आईएमडी ने कहा कि ‘बिपारजॉय’ बुधवार को मार्ग बदलने और उत्तर-पूर्व दिशा में कच्छ तथा सौराष्ट्र की ओर बढ़ने को तैयार है तथा यह बृहस्पतिवार शाम को जखाऊ बंदरगाह के पास टकराएगा. इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को तीनों सेना प्रमुखों से बात की और चक्रवात ‘बिपारजॉय’ के प्रभाव से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की.

तैयारियों की समीक्षा करने के बाद सिंह ने कहा कि सशस्त्र बल चक्रवात के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने में हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं. सिंह ने ट्विटर पर कहा, “तीनों सेना प्रमुखों से बात की और चक्रवात ‘बिपारजॉय’ के संबंध में सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की.” उन्होंने कहा, “सशस्त्र बल चक्रवात के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति या आपात स्थिति से निपटने में अधिकारियों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं.” राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना, नौसेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भी तैयार हैं.

राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बुधवार सुबह समाप्त हुई 24 घंटे की अवधि में देवभूमि द्वारका जिले के खंभालिया तालुक में सबसे ज्यादा 121 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. वहीं, द्वारका और कल्याणपुर में इस अवधि में क्रमश: 92 मिलीमीटर और 70 मिलीमीटर पानी बरसा.

विज्ञप्ति के मुताबिक, उक्त अवधि में जामनगर, जूनागढ़, राजकोट, पोरबंदर और कच्छ जिले के नौ तालुक में 50 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई. एसईओसी के अनुसार, बुधवार सुबह समाप्त हुई 24 घंटे की अवधि में सौराष्ट्र और कच्छ जिले के 54 तालुक में 10 मिलीमीटर से ज्यादा पानी बरसा.

प्रदेश राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने कहा, “चक्रवात अभी कच्छ से लगभग 290 किलोमीटर दूर है. एहतियाती कदम के तौर पर हमने लगभग 50 हजार लोगों को तटीय इलाकों से निकालकर सुरक्षित आश्रय शिविरों में स्थानांतरित कर दिया है. निकासी अभियान अभी भी जारी है और शाम तक शेष पांच हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा.” पांडे ने गांधीनगर में संवाददाताओं को बताया कि जिन 50 हजार लोगों को निकाला गया है, उनमें से 18 हजार को कच्छ जिले के शिविरों में स्थानांतरित किया गया है, जबकि अन्य को जूनागढ़, जामनगर, पोरबंदर, देवभूमि द्वारका, मोरबी और राजकोट में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

पांडे के मुताबिक, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 15, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के 12, राज्य सड़क एवं भवन विभाग के 115 और प्रदेश विद्युत विभाग के 397 दलों को अलग-अलग तटीय जिलों में तैनात किया गया है. उन्होंने कहा, “विद्युत और सड़क एवं भवन विभाग के अधिकारी बिजली आपूर्ति और संपर्क बहाल करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं. हमने बेहतर संवाद के लिए एचएएम रेडियो सेट और सैटेलाइट फोन से लैस विभिन्न दलों को भी क्षेत्रीय इलाकों में तैनात किया है.” इससे पहले, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने चक्रवात के प्रकोप से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए मंगलवार रात राज्य सरकार के आपातकालीन संचालन केंद्र का दौरा किया.

आईएमडी ने एक बुलेटिन में बताया कि 15 जून को चक्रवात के गुजरात तट पर पहुंचने के साथ ही राज्य में बारिश की तीव्रता बढ़ जाएगी और कच्छ, देवभूमि द्वारका तथा जामनगर में कुछ जगहों पर अत्यंत भारी बारिश होने के आसार हैं.
बुलेटिन के मुताबिक, चक्रवात के कारण पोरबंदर, राजकोट, मोरबी, जूनागढ़ और सौराष्ट्र तथा उत्तर गुजरात क्षेत्र के बाकी जिलों में भी भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका है.

आईएमडी ने उत्तर गुजरात के जिलों और निकटवर्ती दक्षिण राजस्थान में शुक्रवार को भी छिटपुट जगहों पर हल्की से मध्यम स्तर की और भारी से बहुत भारी स्तर की बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है. विभाग ने कहा है कि पोरबंदर और देवभूमि द्वारका जिले के तटों पर बुधवार दोपहर से 65-75 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 85 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी.

आईएमडी के मुताबिक, कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जामनगर, राजकोट, जूनागढ़ और मोरबी जिले में ये हवाएं धीरे-धीरे 125-135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार अख्तियार कर लेंगी और फिर बृहस्पतिवार तक 150 किलोमीटर प्रति घंटे के स्तर पर पहुंच जाएंगी.

विभाग ने बताया कि सौराष्ट्र और कच्छ के तटीय क्षेत्रों में समुद्री स्थितियां बुधवार शाम तक बहुत खराब व अस्थिर रहने के आसार हैं. उसने कहा कि बृहस्पतिवार शाम को समुद्री स्थितियों के सामान्य अवस्था में लौटने से पहले अत्यधिक खराब या अभूतपूर्व स्तर तक पहुंचने की आशंका है. आईएमडी ने कहा कि चक्रवात की दस्तक के दौरान समुद्र में खगोलीय ज्वार से लगभग दो-तीन मीटर ऊंची तूफानी लहरें उठने के कारण प्रभावित जिलों के निचले इलाकों में पानी भरने की संभावना है. विभाग के अनुसार, कुछ जगहों पर तीन से छह मीटर ऊंची लहरें उठ सकती हैं.

इस बीच, गुजरात तट पर स्थित मांडवी शहर के पारंपरिक जहाज निर्माता इस बात से चिंतित हैं कि चक्रवात से उनके उद्योग को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि तट पर निर्माणाधीन जहाजों को सुरक्षा के लिए आसानी से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता.
पोत निर्माण से संबंधित एक कार्यशाला की देखरेख करने वाले अब्दुल्ला यूसुफ माधवानी ने कहा, “एक जहाज को बनाने में लगभग दो साल लगते हैं. एक जहाज के निर्माण में लगभग 50 से 70 लाख रुपये का खर्च आता है. हमें डर है कि चक्रवात उन जहाजों को नष्ट कर देगा जो निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं.”

चक्रवात ‘बिपारजॉय’: महाराष्ट्र, गुजरात में राहत एवं बचाव कार्य के लिए NDRF की 33 टीमें बनायी गयी

गुजरात के कच्छ जिले में जखौ बंदरगाह के पास चक्रवात ‘बिपारजॉय’ के संभावित दस्तक से पहले राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने गुजरात और महाराष्ट्र में राहत एवं बचाव अभियान चलाने के लिए कुल 33 टीमों को जिम्मा सौंपा गया है. यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी. एनडीआरएफ की 18 टीमों को गुजरात में रखा गया है, एक को दीव में तैनात किया गया है.

दीव उत्तर में गुजरात के गिर सोमनाथ और अमरेली जिलों से और तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है. अधिकारियों ने गुजरात में एनडीआरएफ की तैनाती का खाका देते हुए कहा कि एनडीआरएफ की चार टीमों को कच्छ जिले में, राजकोट और देवभूमि द्वारका में तीन-तीन, जामनगर में दो, पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, मोरबी, वलसाड और गांधीनगर में एक-एक टीम तैनात की गई है.

अधिकारियों ने कहा कि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में एनडीआरएफ की कुल 14 टीमों में से पांच को मुंबई में तैनात किया गया है जबकि बाकी को तैयार स्थिति में रखा गया है. उन्होंने बताया कि इनमें से प्रत्येक टीम में लगभग 35-40 कर्मी हैं और वे पेड़ और खंभा कटर, बिजली से चलने वाली आरी, हवा भरकर फुलाये जाने वाली नौका और आम बीमारियों की दवाएं और राहत सामग्री से लैस हैं.

एनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक (अभियान) मोहसिन शहीदी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य के अधिकारियों और एनडीआरएफ ने पिछले दो दिनों में गुजरात के तटीय इलाकों में बड़े पैमाने पर लोगों को निकालने का अभियान चलाया है और 45,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

उन्होंने कहा कि संघीय आपदा रोधी बल के लिए ”मुख्य ध्यान वाला क्षेत्र” गुजरात का सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र है जहां आठ जिलों और 442 निचले इलाकों के गांवों के चक्रवात के प्रभाव से तेज बारिश और बाढ़ से प्रभावित होने की आशंका है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि ‘बिपारजॉय’ बुधवार को मार्ग बदलने और उत्तर-पूर्व दिशा में कच्छ तथा सौराष्ट्र की ओर बढ़ने को तैयार है तथा यह बृहस्पतिवार शाम को जखौ बंदरगाह के पास पहुंचेगा.

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