नीतीश ने कहा, ‘पार्टी का विलय करो या बाहर जाओ’: जीतन राम मांझी

पटना. हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतन राम मांझी ने बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपने पुत्र संतोष सुमन के राज्य मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने का ठीकरा फोड़ा. सुमन के कैबिनेट से इस्तीफा देने के एक दिन बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आठ साल से अधिक समय पहले उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किये जाने का भी जिक्र किया. आठ साल से अधिक समय पहले मांझी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद ही जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रमुख नीतीश कुमार सत्ता में लौटे थे.

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक मांझी से जब एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई मुलाकात की पृष्ठभूमि में उनकी राजग में वापसी की अटकलों के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, ”हम 18 जून को अपनी पार्टी की कार्यकारिणी बैठक के बाद भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे. मैं इस महीने की शुरुआत में नीतीश कुमार से मिला था. मेरे साथ मेरी पार्टी के विधायक थे जो अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के बारे में कुछ चिंताओं को साझा करना चाहते थे. बैठक 45 मिनट तक चली और उस दौरान हमारी पार्टी का जदयू में विलय पर मुख्यमंत्री जोर देते रहे .”

संयोग से नीतीश कुमार से कुछ साल बड़े मांझी ने कहा, ”मैंने उनका ध्यान आर्किषत करने की कोशिश की, यहां तक कि उन्हें मजाक में कहा कि उम्र उनके ऊपर हावी होती दिख रही है.” पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जब नीतीश विलय की बात पर अड़े रहे तो उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है, तब कहा गया कि तो बेहतर होगा कि आप बाहर चले जाएं.

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक ने दावा किया, ”मुझे उसी दिन गया जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए रवाना होना था और 12 जून को लौटना था. मुख्यमंत्री ने मुझे उनके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने और वापस आने पर उन्हें बताने के लिए कहा.” मांझी ने कहा, ”12 जून को मैं उनसे दोबारा मिला और विलय के लिए सहमत होने में अपनी असमर्थता से उन्हें अवगत कराया. उन्होंने फिर कहा कि अगर ऐसा है तो आप यहां से चले जाइए. इसलिए मैंने अपने बेटे से अगले ही दिन इस्तीफा देने को कहा.” उल्लेखनीय है कि राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने दावा किया कि सुमन ने व्यक्तिगत कारणों से एक साथ रहना मुश्किल बताया था .संतोष सुमन ने उन्हें ही अपना त्याग पत्र सौंपा था.

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा अपनी पार्टी की तुलना छोटी दुकान से किए जाने पर भी मांझी ने कहा, ”यह उनके लिए उपयुक्त भाषा है जिनके लिए सब कुछ बिकाऊ है.” उन्होंने कहा कि जदयू को याद रखना चाहिए कि यह कहना व्यर्थ है कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा महागठबंधन से बाहर है क्योंकि पार्टी कभी भी गठबंधन में शामिल नहीं हुई थी और हमारी वफादारी केवल नीतीश कुमार के साथ टिकी हुई थी.

उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर कि नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने में मदद करके उन्हें सम्मान दिया, मांझी ने कहा, ”राजद के युवा नेता में क्षमता है लेकिन वह स्पष्ट रूप से पूरी कहानी से अवगत नहीं हैं.” मांझी ने कहा, ”नीतीश ने मेरे गुणों के कारण मेरा समर्थन नहीं किया. वह 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार पर शर्म महसूस कर रहे थे. वह लाइमलाइट से दूर रहना चाहते थे और अपनी जगह किसी ऐसे व्यक्ति को रखना चाहते थे जिसे वह लचीला मानते थे. लगभग दो महीने तक मैंने उनकी सलाह के अनुसार काम किया. लेकिन मीडिया सहित सभी ने यह हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया कि मैं ‘रबर स्टैंप’ बन गया हूं. इसलिए मैंने खुद पर जोर देना शुरू कर दिया. इससे नीतीश को शक हुआ और उन्होंने मुझे उखाड़ फेंका.”

उन्होंने कहा, ”तेजस्वी को पता होना चाहिए कि नीतीश ने मुझे सम्मान दिया लेकिन मेरे अपमान के लिए भी वह ही जिम्मेदार थे. उन्होंने मुझ पर कभी भरोसा नहीं किया. हालांकि मैंने उन्हें कभी धोखा नहीं दिया. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बजाय मैं विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकता था.”

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