मई में थोक मुद्रास्फीति साढ़े सात साल के निचले स्तर पर, शून्य से 3.48 प्रतिशत नीचे रही
नयी दिल्ली. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति खाद्य पदार्थों, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं के दाम घटने से मई में शून्य से 3.48 प्रतिशत नीचे आ गई जो साढ़े सात वर्षों का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही है. इसके पहले अप्रैल में भी यह (-) 0.92 प्रतिशत पर थी. एक साल पहले मई, 2022 में थोक मुद्रास्फीति 16.63 प्रतिशत पर थी.
मई, 2023 के पहले थोक मुद्रास्फीति का पिछला निम्न स्तर नवंबर, 2015 में रहा था जब यह शून्य से 3.7 प्रतिशत नीचे थी. थोक मुद्रास्फीति में तीव्र गिरावट के पीछे उच्च आधार होने के अलावा खाद्य, ईंधन एवं विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में आई गिरावट की अहम भूमिका रही है. नकारात्मक थोक मुद्रास्फीति को तकनीकी तौर पर अपस्फीति कहा जाता है. इसका मतलब है कि कुल थोक मूल्य कीमतों में सालाना आधार पर गिरावट हुई है.
थोक मुद्रास्फीति के पहले मई के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति में भी गिरावट का आंकड़ा सामने आ चुका है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 25 माह के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर रही. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ”मई में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह खनिज तेल, मूल धातु, खाद्य उत्पाद, कपड़ा, गैर-खाद्य सामान, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रसायन उत्पादों की कीमतों में कमी है.” सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति घटकर 1.51 प्रतिशत पर आ गई. अप्रैल में यह 3.54 प्रतिशत थी.
सब्जियों की महंगाई घटकर (-) 20.12 प्रतिशत रह गई. वहीं आलू की मुद्रास्फीति शून्य से 18.71 प्रतिशत नीचे और प्याज की शून्य से 7.25 प्रतिशत नीचे रही. हालांकि, दालों की मुद्रास्फीति तेज बढ़ोतरी के साथ 5.76 प्रतिशत रही. गेहूं की मुद्रास्फीति 6.15 प्रतिशत पर थी. ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति मई में घटकर (-) 9.17 प्रतिशत पर आ गई. अप्रैल में यह 0.93 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में शून्य से 2.97 प्रतिशत नीचे रही. अप्रैल में यह शून्य से 2.42 प्रतिशत नीचे थी.
मूडीज एनालिटिक्स के मुख्य अर्थशास्त्री (एपीएसी) स्टीव कोचरेन ने कहा, ”बीते साल भारत ने सस्ते रूसी कच्चे तेल का आयात दोगुना किया है. इससे उसे ऊर्जा की लागत को उचित स्तर पर रखने में मदद मिली है जिससे मुद्रास्फीति घटी है.” बार्कलेज के प्रबंध निदेशक राहुल बाजोरिया ने कहा कि पिछले महीने थोक कीमतें और घट गईं. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों तथा ईंधन के मोर्चे पर दबाव कम हुआ. जिंसों के दाम घटने से उत्पादकों के लिए उत्पादन लागत घटी है, लेकिन इसका लाभ खुदरा कीमतों तक स्थानांतरित करने में विलंब की वजह से खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के बीच का अंतर बढ़ गया है. उन्होंने कहा, ”हमारा अनुमान है कि निकट भविष्य में खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आएगी. ऐसे में चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) संभवत: ब्याज दरों को यथावत रखेगी.”