कर्नाटक सरकार का धर्मांतरण रोधी कानून हटाने का फैसला, भाजपा ने कांग्रेस को ”नयी मुस्लिम लीग” कहा

बेंगलुरु. कर्नाटक मंत्रिमंडल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण रोधी कानून को निरस्त करने का बृहस्पतिवार को फैसला किया. भाजपा ने सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और एम. मल्लिकार्जुन खरगे नीत कांग्रेस को “नयी मुस्लिम लीग” करार दिया. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बी.आर. पाटिल ने ट्विटर पर सवाल किया, ”श्री राहुल गांधी, क्या यह “मोहब्बत की दुकान” है?”

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का “हिंदू विरोधी एजेंडा” सामने आ गया है. उन्होंने कहा, ”क्या आप चाहते हैं कि हिंदुओं का सफाया हो जाए? धर्मांतरण माफिया ने सिद्धरमैया और उनके मंत्रिमंडल को भाजपा द्वारा पेश धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के लिए प्रभावित किया है.” भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने कहा कि कर्नाटक में “धर्मांतरण माफिया ने यह सुनिश्चित किया है कि भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को हिंदू विरोधी कांग्रेस निरस्त कर दे.”

रवि ने आरोप लगाया, “कांग्रेस नयी मुस्लिम लीग है और यह हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाएगी.” कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ”कैबिनेट ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर चर्चा की. हमने 2022 में तत्कालीन (भाजपा) सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनों को रद्द करने के लिए विधेयक को मंजूरी दे दी है. इसे तीन जुलाई से शुरू होने वाले सत्र में पेश किया जाएगा.”

कांग्रेस के विरोध के बीच ‘कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण कानून (धर्मांतरण रोधी कानून)’ 2022 में लागू हुआ था. मौजूदा अधिनियम में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा के साथ ही बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण पर रोक का प्रावधान है.

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