अमेरिकी राजदूत के रूप में एरिक गार्सेटी के नाम की पुष्टि का स्वागत करते हैं : विदेश मंत्रालय
नयी दिल्ली. भारत ने एरिक गार्सेटी के नयी दिल्ली में अमेरिका के राजदूत के रूप में नामांकन की पुष्टि का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने के लिए उनके साथ काम करने को आशान्वित है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के करीबी एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिका के राजदूत होंगे. सीनेट ने उनके नामांकन की पुष्टि करते हुए करीब दो साल से खाली पड़े प्रमुख राजनयिक पद को भरने की राह साफ कर दी.
इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत में अमेरिका के राजदूत के रूप में एरिक गार्सेटी के नामांकन की पुष्टि का हम स्वागत करते हैं. हम अपने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने के लिए उनके साथ काम करने को आशान्वित हैं.’’ ज्ञात हो कि सीनेट ने 42 के मुकाबले 52 मतों से एरिक गार्सेटी के नामांकन की पुष्टि की. तीन डेमोक्रेटिक सदस्यों ने गार्सेटी का समर्थन नहीं किया. हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी के सात सदस्यों ने उनका साथ दिया, जिससे उनके नामांकन की पुष्टि संभव हो पाई.
सीनेट की विदेशी संबंधों से जुड़े मामलों की समिति ने पिछले सप्ताह गार्सेटी के नामांकन को आठ के मुकाबले 13 मतों से मंजूरी दी थी.
गार्सेटी (52) लॉस एंजिलिस के पूर्व मेयर हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सबसे पहले उन्हें जुलाई 2021 में भारत में अमेरिकी राजदूत के पद के लिए नामित किया था.
हालांकि, राष्ट्रपति के रूप में बाइडन के कार्यकाल के शुरुआती दो वर्ष में गार्सेटी के नामांकन को इसलिए मंजूरी नहीं मिल सकी, क्योंकि कुछ सांसदों ने यह कहते हुए उनकी नियुक्ति का विरोध किया था कि वह मेयर रहने के दौरान अपने एक वरिष्ठ सलाहकार पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से प्रभावी ढंग से निपटने में नाकाम रहे थे. बाइडन ने इस साल जनवरी में गार्सेटी को दोबारा इस पद के लिए नामित किया था.
भारत में अमेरिका के पिछले राजदूत केनेथ जस्टर ने जनवरी 2021 में अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया था. भारत में अमेरिकी दूतावास में जनवरी के बाद से कोई राजदूत नहीं है. भारत में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर गार्सेटी की खबरों में आई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा, ‘‘मैं इस मुद्दे पर मनोनीत राजदूत द्वारा हाल में दिये गए किसी बयान से अवगत नहीं हूं. मैं समझता हूं कि बातें सोशल मीडिया पर हैं जो पुरानी हैं.’’ वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के साथ पंजीकृत इकाई डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (डीपीआई) के बारे में एक सवाल के जवाब में बागची ने कहा कि सरकार को ऐसी किसी इकाई की जानकारी नहीं है और इस बारे में खबरें गलत हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार समय-समय पर परामर्शदाताओं और लॉंबिंग संस्थाओं की सेवाएं लेती है और यह दूतावासों की पहुंच बनाने से जुड़ी गतिविधियों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि वह समझते हैं कि अमेरिका में इस संगठन का नाम कार्नरस्टोन गवर्नमेंट अफेयर्स है और यह वाशिंगटन में हमारे दूतावास से संबद्ध है. उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि लॉंबिंग फर्म को अमेरिका के कुछ नियमनों का पालन करना होता है, हमारे नहीं. प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने भारत के मीडिया में पूरी तरह अटकलों पर आधारित एवं गलत खबर देखी है.