जहाज एमवी रुएन को 14 दिसंबर को समुद्री डाकुओं ने हाइजैक कर लिया था। इसके बाद समुद्री डाकू डकैती के लिए इस जहाज का इस्तेमाल करना चाहते थे। भारतीय नौसेना को जब इस बात का पता चला तो ऑपरेशन का पूरा प्लान तैयार किया गया। जब भारतीय नौसेना ने इस जहाज से संपर्क करने की कोशिश की तो डाकुओं ने गोलीबारी कर दी। देखा गया कि डकैत पोत के डेक पर टहल रहे हैं और भारतीय नौसेने के पोत की तरफ निशाना भी साध रखा है।
शुक्रवार को समुद्री डाकुओं की फायरिंग के बाद नेवी ने अपनी रणनीति बदली। नौसेना ने पी-8I समुद्री गश्ती विमान, फ्रंटलाइन वॉरशिप आईएनएस कोलकाता और आईएनएस सुभद्रा को उतार दिया गया। इसके अलावा ड्रोन का भी सहारा लिया गया। नौसेना ने सी-17 विमान के जरिए मार्कोस कमांडो को जहाज पर उतार दिया। इसके बाद लुटेरों को सरेंडर करना पड़ गया। नौसेना ने बताया कि 40 घंटे के ऑपरेशन के दौरान आईएनएस कोलकाता से बड़ी कार्रवाई की गई।
नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि चालकदल के 17 सदस्यों को बिना किसी नुकसान के बाहर निकाल लिया गया है। नौसेना के जहाज ने डाकुओं को आगे बढ़ने से रोक दिया। भारतीय नौसेना ने पहले भी कई जहाजों को बचाया है। वहीं समुद्री लुटेरे हिंद महासागर में लगातार जहाजों पर हमले कर रहे हैं। जिस जहाज को नौसेना ने बचाया है उसमें म्यांमार, बुल्गारिया, अंगोला के चालक दल के सदस्य शामिल थे। इस समय लाल सागर में हूती विद्रोहियों का आतंक है। वे लगातार जहाजों पर हमला कर रहे हैं और लूटपाट की फिराक में रहते हैं।
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