पीएमएलए मामला: राउत ने पात्रा चॉल परियोजना में ‘सक्रिय रुचि’ ली, ईडी ने अदालत से कहा

मुंबई. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को यहां एक विशेष अदालत को बताया कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने पात्रा चॉल पुर्निवकास परियोजना में “सक्रिय रुचि” ली और धनशोधन मामले में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए रिकॉर्ड में सामग्री है. ईडी ने उत्तरी मुंबई में पात्रा चॉल पुर्निवकास से संबंधित धनशोधन मामले में शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत की जमानत याचिका पर अपनी दलीलें सोमवार को पूरी कीं.

राउत को सोमवार को उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने पर विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे के समक्ष पेश किया गया. उनकी जेल की हिरासत मंगलवार तक बढ़ा दी गई, जब उनकी जमानत अर्जी पर आगे की सुनवाई होगी. राउत को धनशोधन मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए जुलाई में गिरफ्तार किया गया था. राउत ने पिछले महीने विशेष धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत से जमानत मांगी थी. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने राउत की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच एजेंसी के पास 2011 के रिकॉर्ड हैं, जो बताते हैं कि राउत पात्रा चॉल परियोजना में शामिल थे.

एएसजी ने एक गवाह के बयान को पढ़ते हुए अदालत को बताया कि राउत (पुर्निवकास परियोजना से संबंधित) बैठक में मौजूद थे और पूरी परियोजना में उन्होंने सक्रिय रुचि ली. सिंह ने दावा किया कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री धनशोधन मामले में राउत की संलिप्तता बताती है. ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुर्निवकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं और उनकी पत्नी और सहयोगियों से जुड़े वित्तीय लेनदेन से संबंधित है. उपनगरी क्षेत्र गोरेगांव में 47 एकड़ में फैली पात्रा चॉल को सिद्धार्थ नगर के नाम से भी जाना जाता है और उसमें 672 किरायेदार परिवार रहते हैं.

2008 में, महाराष्ट्र गृहनिर्माण एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने एचडीआईएल (हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के पुर्निवकास का अनुबंध सौंपा. जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और म्हाडा को कुछ फ्लैट देने थे. वह शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था.

हालांकि, ईडी के अनुसार, पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुर्निवकास नहीं किया, बल्कि अन्य बिल्डरों को भूमि के टुकड़े और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) 1,034 करोड़ रुपये में बेच दिये. एएसजी ने अपनी दलीलें पेश करते हुए ईडी के इस दावे को दोहराया कि राउत अपने ‘‘प्रॉक्सी’’ प्रवीण राउत के माध्यम से पर्दे के पीछे काम कर रहे थे, जो मामले में सह-आरोपी है. उन्होंने दावा किया कि शिवसेना सांसद ने न केवल जांच एजेंसी को गुमराह किया , बल्कि दोष दूसरों पर मढ़ा. उन्होंने  कहा कि यहां तक ??कि राउत की पत्नी ने भी कहा कि उन्होंने लेनदेन किया था.

जांच एजेंसी ने दलील दी कि घोटाले के कारण न केवल किरायेदारों, बल्कि म्हाडा और कुछ वित्तीय संस्थानों को भी नुकसान हुआ है.
एएसजी ने कहा, ‘‘हम जनता के व्यापक हित के बारे में चिंतित हैं. संरचना को ध्वस्त कर दिया गया और किरायेदार कई वर्षों से घर से बाहर हैं. म्हाडा का भवन नहीं बना है. वित्तीय संस्थानों से भारी कर्ज लिया गया था, पैसे का भुगतान नहीं किया गया है, यह जनता का पैसा है, इसलिए वित्तीय संस्थानों को भी नुकसान हुआ है.’’

ईडी ने अदालत को सूचित किया कि आज तक की स्थिति के अनुसार, शिवसेना सांसद को अपराध की कुल आय का 3.27 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ है. उसने कहा कि हो सकता है कि शिवसेना नेता और उनके सहयोगी प्रवीण राउत को अपराध की अधिक आय प्राप्त हुई हो. जांच एजेंसी के मुताबिक राउत के पास अपराध से अर्जित आय दो हिस्सों में थी, एक करीब 1.06 करोड़ रुपये की थी, जिसके लिए उन्होंने कुछ स्पष्टीकरण देने की कोशिश की और बाकी 2.02 करोड़ रुपये के लिए जमानत अर्जी में कोई स्पष्टीकरण नहीं है.

उसने कहा कि 1.06 करोड़ रुपये की राशि में 55 लाख रुपये का भुगतान शामिल है, जिसके बारे में आरोपी पक्ष का दावा है कि यह राउत की पत्नी वर्षा को उनके सहयोगी की पत्नी द्वारा दिया गया एक दोस्ताना ऋण था और इसे चुका दिया गया है. एएसजी ने कहा कि कथित ऋण 2009-10 में दिया गया था और उसे दिसंबर 2021 में वापस किया जाना था. उन्होंने कहा कि एक अन्य मामले में उन्हें (वर्षा राउत को) समन मिलने के बाद ऋण चुकाया गया था.

उन्होंने दावा किया कि 10 वर्षों तक उनके मित्रवत ऋण के दावे का समर्थन करने वाला एक भी दस्तावेज नहीं है. एएसजी ने कहा कि जो भी अपराध से जुड़ा था, उस पर पीएमएलए प्रावधान लागू होते हैं. गवाहों के बयान में विरोधाभास के बारे में राउत के दावे का खंडन करते हुए, सिंह ने कहा, ‘‘इस स्तर पर, हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं कि गवाह ने जो कहा वह गलत है.’’ शिवसेना नेता ने जमानत मांगने के आधार के रूप में चिकित्सा कारणों का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि उनके दिल में छह स्टेंट डाले गए हैं.

एएसजी ने कहा कि जब भी उन्हें कोई चिकित्सीय समस्या होगी, राउत का इलाज डॉक्टरों की एक टीम द्वारा अस्पताल में किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बीमारी ऐसी नहीं है कि जमानत देने का आधार बन जाए. जांच एजेंसी ने दलील दी कि आर्थिक अपराध एक गंभीर अपराध है और जांच जारी है तथा सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ की आशंका है, क्योंकि राउत एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं. राउत की ओर से मंगलवार को अधिवक्ता अशोक मुंदरगी के पेश होने की संभावना है.

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