RSS ने मणिपुर में शांति अपील की, कहा-लोकतांत्रिक व्यवस्था में हिंसा, घृणा के लिए कोई स्थान नहीं

नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मणिपुर में जारी हिंसा की रविवार को निंदा की और स्थानीय प्रशासन, पुलिस, सुरक्षा बलों तथा केंद्रीय एजेंसियों सहित सरकार से तत्काल शांति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाने की अपील की. एक बयान में आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने उनसे पूर्वोत्तर राज्य में ”शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई” के साथ-साथ हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों को राहत सामग्री की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया.

आरएसएस ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में घृणा और हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है. बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों को विश्वास की कमी को दूर करना चाहिए, जो वर्तमान संकट का कारण है और शांति बहाल करने के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि आरएसएस नागरिक संस्थाओं, राजनीतिक समूहों और मणिपुर की आम जनता से अपील करता है कि वे वर्तमान अराजक और हिंसक स्थिति को समाप्त करने के लिए हरसंभव पहल करें और मानव जीवन की सुरक्षा और स्थायी शांति सुनिश्चित करने में मदद करें.

होसबाले ने कहा, ”मणिपुर में पिछले 45 दिनों से लगातार हो रही हिंसा बेहद चिंताजनक है. तीन मई को चुराचांदपुर में लाई हराओबा उत्सव के समय आयोजित विरोध रैली के बाद मणिपुर में जो हिंसा और अनिश्चितता शुरू हुई, वह निंदनीय है.” बयान में कहा गया, ”यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सदियों से आपसी सौहार्द और सहयोग से शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने वालों के मध्य में जो अशांति और हिंसा भड़क उठी, वह अभी तक नहीं रुकी है.”

होसबाले ने कहा, ”संघ स्थानीय प्रशासन, पुलिस, सेना और केंद्रीय एजेंसियों सहित सरकार से अपील करता है कि वे इस दर्दनाक हिंसा को तुरंत रोकने के लिए हर-संभव कदम उठाएं, तथा शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई के साथ-साथ विस्थापितों के बीच राहत सामग्री की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.” मणिपुर में मेतई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है. राज्य सरकार ने 11 जिलों में कफ्र्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं.

उन्होंने कहा कि आरएसएस भयानक दुख की इस घड़ी में मणिपुर संकट के विस्थापितों और अन्य पीड़ितों के साथ खड़ा है, जिनकी संख्या 50,000 से अधिक है. होसबाले ने कहा, ”राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह सुविचारित मत है कि लोकता्त्रिरक व्यवस्था में हिंसा और घृणा के लिए कोई स्थान नहीं है और वह यह भी मानता है कि किसी भी समस्या का समाधान आपसी संवाद और शांतिपूर्ण वातावरण में भाईचारे की अभिव्यक्ति से ही संभव है.”

टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने कहा, ”45 दिनों की अंतहीन हिंसा के बाद आखिरकार आरएसएस ने मणिपुर में शांति और सद्भाव के लिए एक सार्वजनिक अपील जारी की है.” कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया, ”आरएसएस का जाना-पहचाना दोहरापन यहां पूरी तरह से नजर आ रहा है, क्योंकि इसकी विभाजनकारी विचारधारा और ध्रुवीकरण की गतिविधियां पूर्वोत्तर की विविधता की प्रकृति को बदल रही हैं.” उन्होंने यह भी सवाल किया कि प्रधानमंत्री कब ”मणिपुर पर कुछ कहेंगे, कुछ करेंगे.”

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