प्रधानमंत्री ‘चीन’ का नाम तक नहीं लेते, राजनाथ के बजाय उन्हें संसद में जवाब देना चाहिए: कांग्रेस

दौसा. कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह भारत-चीन सीमा पर स्थिति के बारे में संसद में ‘चर्चा करने से भाग रहे’ हैं. विपक्षी दल ने कहा कि रक्षा मंत्री को नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए. कांग्रेस ने भारत चीन सीमा मुद्दे पर सरकार के समक्ष कुछ सवाल रखे और कहा कि देश इनका जवाब मांगन का हक रखता है. पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ‘‘चीन’’का नाम तक नहीं लेते. देश की सबसे पुरानी पार्टी ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार उस देश (चीन) के साथ अपने ‘नजदीकी संबंधों’ के कारण खामोश है.

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के कुछ दिनों बाद सरकार पर यह प्रहार किया गया है.
एक बयान में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूछा कि दो साल लंबे ‘विराम’ के बाद तवांग के यांग्त्से क्षेत्र की भारतीय चौकियों पर कब्जा करने के लिए चीन को किस चीज ने उकसाया.

उन्होंने कहा कि वर्ष 1986 में सुमदोरोंग चू में हुए टकराव के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ओर से सैनिकों की तैनाती के बाद से भारत का यांग्त्से क्षेत्र में दबदबा था. रमेश ने पूछा कि चीन ने नया मोर्चा खोलने की हिमाकत कैसे की? ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत सुबह की पदयात्रा के बाद यहां पत्रकार वार्ता में रमेश ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1988 में चीन गये थे, तब हम सीमाओं पर मजबूत स्थिति में थे तथा इस दौरे के बाद द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए थे.

उन्होंने आरोप लगाया कि अप्रैल 2020 में यह सब खत्म हो गया और एक नया अध्याय खुल गया. उन्होंने दावा किया,‘‘ (मौजूदा) प्रधानमंत्री ने उसे (चीन को) यह कहकर क्लीन चिट दे दिया कि ‘कोई ना आया और ना ही कोई हमारे क्षेत्र के अंदर है.’ इस क्लीन चिट के कारण सौदेबाजी करने के लिहाज से हमारा पक्ष कमजोर हो गया.’’ उन्होंने कहा कि संसद में इस (सीमा) मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देने के साथ विपक्ष के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए.

रमेश ने कहा, ‘‘लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा होनी चाहिए और इसमें प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए, ना कि रक्षा मंत्री, या विदेश मंत्री को. कई पूर्व प्रधानमंत्रियों ने संसद में जवाब दिया है. वह (मोदी) पहले प्रधानमंत्री हैं जो ‘चर्चा से भाग रहे’ हैं और वह ‘चीन’ का नाम तक नहीं लेते.’’ रमेश ने कहा, ‘‘रणनीतिक रूप से इस अहम इलाके में भारतीय सैनिक कई सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक पहुंचने में सक्षम नहीं है. इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी का क्या करने का प्रस्ताव है? बढ़ते चीनी खतरे के बावजूद हमारी क्षमताओं में अब भी अहम अंतर क्यों है?’’

रमेश ने कहा, ‘‘कुछ समय अपने आपने (मोदी) ने राष्ट्रपति शी चिनंिफग के प्रति भाईचारा और नजदीकी दिखायी थी और अपने संबंधों को ‘प्लस-वन’ करार दिया था. आपने कहा था कि शी ने अध्ययन करके रखा था कि आखिर मोदी चीज क्या है. क्या चीन की नई आक्रामकता उस गहन अध्ययन का परिणाम है? क्या यह वही हो सकता है, जो आपने वर्ष 2013 में कहा था कि, ‘‘ समस्या सीमा पर नहीं है, समस्या दिल्ली में है.’’ कांग्रेस महासचिव ने ‘चीन पर चुप्पी तोड़ो, भारत जोड़ो’ का नारा लगाया. प्रेस वार्ता में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी कहा कि प्रधानमंत्री चीन पर जवाब देने से इनकार करते हैं और चीन पर चर्चा नहीं चाहते.

उन्होंने आरोप लगया कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी से चीन के साथ उनके नजदीकी संबंध हैं. खेड़ा ने आरोप लगाया कि देश में ‘वीर सेना और कायर राजा’ की कहानी जैसी स्थिति है. उन्होंने दावा किया कि पूर्व में भाजपा नेताओं ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के लिए चीन की यात्रा की थी. खेड़ा ने सवाल किया कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन जैसे संगठनों के चीन से क्या संबंध हैं, जिसके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल भी जुड़े रह चुके हैं.

खेड़ा ने यह आरोप भी लगाया कि वह ‘ंिथक टैंक’, जिसकी एक इकाई के प्रमुख विदेश मंत्री एस जयशंकर के बेटे हैं, उसे चीनी दूतावास से तीन बार चंदा मिला था. वहीं, भाजपा भी कांग्रेस पर चीन के साथ करीबी संबंध रखने का आरोप लगाती रही है.

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